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इस बार रसीले आम का जायका न बिगाड़ दे मौसम की बेरुखी

आम के मंजर पर मधुआ रोग का प्रकोप, किसान हुए हताश

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बिहार को आम खिलाने वाले भागलपुर में हो सकती है आम उत्पादन में भारी गिरावट

भागलपुर (voice4bihar news)। अगर आप गर्मियों के दिनों में भागलपुरी मालदह व अलफांसो जैसे रसीले आम खाने का शौक रखते हैं तो यह खबर आपको थोड़ा मायूस कर सकती है। राज्य के सबसे अधिक आम आपूर्ति करने वाले भागलपुर जिले में आम की पैदावार में इस बार भारी गिरावट हो सकती है। यह गिरावट बाजार में आम की किल्लत व ग्राहकों की जेब पर भार बनकर सामने आएगा। क्योंकि तापमान में तेजी से वृद्धि होने और फिर एकाएक इसमें गिरावट आने से आम के मंजर पर मधुआ रोग का प्रकोप देखा जा रहा है। इसे लेकर क्षेत्र के आम उत्पादक किसान खासे चिंतित दिख रहे हैं।

मौसम का तापमान अचानक बढ़ने व घटने से बढ़ता है मधुआ रोग

दरअसल आम के मंजर समेत पेड़ों और पत्तियों पर मधुआ कीट का प्रकोप होने से आम उत्पादक किसान रात-दिन धुल रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि कभी तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाने और एकाएक इसमें गिरावट दर्ज किए जाने के बाद मधुआ कीट का प्रकोप परेशानी दायक बन चुका है। मधुआ के शिशु और व्यस्क कीट आम की नई शाखाओं समेत मंजर और पत्तियों का रस चूस जा रहे हैं। इस कारण मंजर के सूख कर झड़ जाने की शिकायत आ रही है।

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह-मधुआ रोग की रोकथाम अब भी संभव

इसके अलावा इस कीट द्वारा चिपचिपा मधु सरीखा पदार्थ छोड़ने के कारण मंजर पर फफूंद उग जा रहे हैं। यह पौधे की प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया की बाधा बन रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में पेड़ अपना भोजन नहीं ले पाते हैं और यह आम की उत्पादकता को सीधे प्रभावित करने लगता है। मधुआ के प्रकोप के कारण आम की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि राहत की बात यह है कि अभी जिले में प्रकोप का शुरुआती दौर है। यह स्थिति संभल सकती है।

अब भी संभले तो 50 प्रतिशत से अधिक का नुकसान तय

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सबौर कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि तत्काल इसकी रोकथाम के लिए किसान प्रयास नहीं करेंगे तो उन्हें बड़ी क्षति उठानी पड़ेगी। यह नुकसान पचास फीसदी से लेकर शत प्रतिशत भी हो सकता है। उन्होंने ससमय कीटनाशी रसायन के प्रयोग का सुझाव दिया है। उन्होंने बताया कि मधुआ छोटे आकार का सिलेटी गहरे एवं भूरे रंग का फुदकने वाला कीट है। इसकी पहचान बेहद आसान है । आम के बगानों से गुजरने पर भनभनाहट की आवाज के साथ उड़ते हुए यह आदमी के अंगों से टकरा जाता है। किसान इसी से इसके प्रकोप का अनुमान लगाते हैं।

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इन दवाओं के छिड़काव से बचेगी आम की फसल

हालांकि उन्होंने कहा कि मंजर और पत्तियों का काला होना भी इसकी पहचान है लेकिन इस स्थिति से पहले ही किसानों को चेत जाना चाहिए। उन्होंने कीटनाशी रसायन के रूप में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल दवा की एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की अनुशंसा की है । इसके अलावा एसिफेट 75 प्रतिशत एसपी एक ग्राम प्रति लीटर पानी अथवा सल्फर 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी तीन ग्राम प्रति लीटर के साथ मिलाकर मंजर में छिड़काव का सुझाव दिया है।

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि मंजर में सरसों के बराबर दाना बन जाने पर इमिडाक्लोप्रिड के प्रति तीन लीटर पानी के साथ कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का तीन ग्राम अथवा काबेंडाजिम 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण एक ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। फल गिरने से बचाने के लिए प्लानोफिक्स का एक मिलीलीटर सवा दो लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना जरूरी है।

आम के मंजर बचाने की कोशिश में जुटे किसान

क्षेत्र के आम उत्पादक किसानों ने बताया कि कि मौसम के उतार – चढ़ाव के कारण आम के मंजर पर कीटों का प्रकोप दिखने लगा है। इसके समाधान को लेकर कृषि वैज्ञानिक से सलाह ले रहे हैं। इस बार आम का मंजर बढ़िया है। इसे बचाने की पूरी कोशिश जारी है। मौसम की मार झेलने की नौबत है। मधुआ रोग परेशान कर रहा है। किसानों ने कहा कि सबौर स्थित कृषि विश्वविद्यालय को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। इस मामले में किसानों को जागरूक करना भी विश्वविद्यालय की जिम्मेवारी है।

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