अपनी ही कर्मभूमि में उपेक्षित हो रहे समाजवादी नेता बीपी कोईराला
पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की सरकार ने गुरु दक्षिणा स्वरूप लगवाई थी आदमकद प्रतिमा
समाजवादी आंदोलन के अगुआ माने जाते थे कोईराला, राजेंद्र प्रसाद के साथ गए थे जेल
गोलघर कैंपस में प्रतिमा स्थल के आसपास लगा गंदगी का अंबार, बच्चे खेलते है क्रिकेट
Voice4bihar desk. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े व समाजवादी आंदोलन के अगुवा नेताओं में एक माने जाने वाले बीपी कोईराला अपनी कर्मभूमि में ही उपेक्षित नजर आ रहे हैं। ऐसे में पटना के गोलघर पार्क स्थित नेपाल के नेता बीपी कोइराला के आदमकद प्रतिमा के संरक्षण व इस जगह को दो देशों के मैत्री पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग उठने लगी है।
मौलिक पहचान भी मिटने के कगार पर
जानकारी के अनुसार 40 के दशक में अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबद्ध होकर कार्य करने वाले नेपाल के नेता बीपी कोइराला को समाजवादी आन्दोलन का अगुवा माना जाता है। तत्कालीन राज्य सरकार ने गुरु दक्षिणा के रूप में बीपी कोइराला की आदमकद प्रतिमा की स्थापना की थी, लेकिन आज यह प्रतिमा स्थल दयनीय स्थिति में है । बिहार सरकार द्वारा स्थापित इस प्रतिमा के पास कचरे का अंबार व बच्चों द्वारा खेल के मैदान के रूप में प्रयोग किये जाने के कारण प्रतिमा को नुकसान तो हो ही रहा है, साथ ही इसकी मौलिक पहचान भी मिटने के कगार पर है।
अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल व मैत्री पार्क के रुप में विकास की संभावना
समाजवादी आन्दोलन के अभियन्ता कोइराला की स्मृति व सम्मान में 25 अक्टूबर 1994 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमन्त्री लालू प्रसाद यादव व बीपी कोइराला की पत्नी सुशीला ने इस प्रतिमा का अनावरण किया था, जो वर्षों से उपेक्षित है। नेपाल से आने वाले बहुतेरे लोगों को तो इस स्थल के बारे में जानकारी ही नहीं है।
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कुछ पर्यटक इस स्थल को ढूंढ़ते हुए यहां आते हैं मगर प्रतिमा स्थल की उपेक्षा देख मायूसी हाथ लगती है। अगर इस स्थल का व्यापक प्रचार प्रसार करते हुए एक कार्य योजना के तहत अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में मैत्री पार्क का निर्माण किया जाता है, तो दोनों देशों के बीच बेहतर संदेश तो जाएगा। जिसका परिणाम दूरगामी रूप से एक इतिहास भी लिखेगा।

लोकनायक जेपी व लोहिया के घनिष्टतम मित्रों में से एक थे कोईराला
समाजवादी आन्दोलन के अगुवा नेता जयप्रकाश नारायण व राममनोहर लोहिया से घनिष्ठतम संबंध रखने वाले नेता बीपी कोइराला झारखंड के हजारीबाग जेल में नेता राजेन्द्र प्रसाद के साथ 1942 से 1945 तक जेल में रहे थे। कैद मुक्त होने के बाद इन्होंने नेपाल में जाकर राणा विरुद्ध अभियान चलाया। इसके लिए कोइराला ने 25 जनवरी 1947 में कोलकाता के भवानीपुर स्थित खाल्सा स्कूल में हुए सम्मेलन से नेपाली राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की थी। भारत में इन्दिरा गान्धी सरकार की ओर से इमरजेंसी पीरियड घोषित होने के बाद बीपी कोईराला हमेशा के लिए पटना से बिराटनगर नेपाल आ गए थे।
बीपी कोईराला का पटना से काफी रहा लगाव
नेपाल की राजनीतिक में पहले जननिर्वाचित प्रधानमन्त्री होने के बाद कोइराला ने विक्रम संवत 2017 में समाजवादी नेता जयप्रकाश के नाम में पटना में स्थापित संग्रहालय का उद्घाटन किया था । वहीं बिहार के तत्कालीन मुख्यमन्त्री लालू प्रसाद यादव ने गान्धी मैदान से बांसघाट तक की सड़क का नामकरण बीपी पथ किया था , लेकिन आगे चलकर राज्य सरकार ने इसी सड़क का नाम अग्रेसन मार्ग कर दिया । इससे बीपी कोइराला के समर्थकों में मायूसी दिखी थी।
दोनों देशों के पुराने अभिलेख का संरक्षण करे सरकार : सांस्कृतिक मंच
इस मुद्दे को ‘भारत-नेपाल सामाजिक सांस्कृतिक मंच ‘ ने राज्य सरकार का ध्यानाकर्षण कराते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे है , ऐसे में दोनों देशों की बिरासत से जुड़े इस स्थल की अनदेखी करना दुखःद है । ऐसे मार्ग व स्थल को एक नया आयाम देने की पहल राज्य सरकार करे ताकि मैत्री सम्बध एक नई ऊंचाई के साथ सामने आ सके।