सीता नवमी पर विशेष भजन कार्यक्रम में बही भक्ति की बयार
प्रसिद्ध लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने सोशल मीडिया पर किया लाइव कार्यक्रम
‘भइले जनकपुर में शोर कि सीता जनम ले लें हो…’ भजन श्रोताओं ने खूब पसंद किया
हाजीपुर (voice4bihar news)। माता सीता के जन्मदिन सीता नवमी के अवसर पर बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने सोशल मीडिया पर लाइव भजन कार्यक्रम आयोजित कर माता सीता के जीवन से जुड़े लोकगीतों की शानदार प्रस्तुति दी। नीतू कुमारी नवगीत ने कार्यक्रम में कहा कि जल मिथिला क्षेत्र में अकाल आया हुआ था तो जनकपुर के राजा जनक जी सोने का हल लेकर खेती करने निकले थे। पुनौरा धाम में जब वह खेत जोत रहे थे तो उन्हें एक स्वर्ण घड़े में एक नन्ही बालिका प्राप्त हुई थी जिसका नाम उन्होंने सीता रखा था।
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सुश्री नवगीत ने कहा कि जनक जी की पुत्री होने के कारण सीता जानकी और मिथिला की राजकुमारी होने के चलते मैथिली के रूप में भी जानी गई। सीता जी के जन्म से जुड़े सोहर पड़ेले जनकपुर अकलवा कि पनिया न बरसेला हो, रामा भइले जनकपुर सोरवा कि पंडित बोलावा न हो को श्रोताओं द्वारा खूब पसंद किया गया।
गायिका नीतू नवगीत ने कहा कि माता सीता धैर्य, त्याग, समर्पण, प्रेम और सम्मान की प्रतिमूर्ति रही हैं । उनकी वीरता बेमिसाल रही है। बचपन में ही वह उस शिव धनुष को उठा लेती थी जिसे कोई हिला भी नहीं पाता था। स्वयंवर के समय जब दशरथ नंदन राम जनकपुर के बाग में आए थे तो राम और सीता ने एक दूसरे को देखा था नीतू ने उस प्रसंग पर आधारित गीत देखकर रामजी को जनक नंदिनी बाग में बस खड़ी की खड़ी रह गई सुनाया । उन्होंने राजा जनक जी के बाग में अलबेला रघुवर आयो जी लोक गीत भी गाया जिसे खूब पसंद किया गया।
लाइव कार्यक्रम में लोक गायिका नीतू नवगीत ने कहा कि श्री राम की सेवा हेतु अयोध्या नगरी की सुख-सुविधा का त्याग कर दिया और राम के साथ वन को गईं। वन में अत्याचारी रावण द्वारा उन का हरण हुआ और फिर जब राम रावण युद्ध में श्री राम की जीत हुई तो जग को अपनी पवित्रता का विश्वास दिलाने के लिए अग्नि परीक्षा दी । लेकिन अग्नि परीक्षा के बावजूद भी जब अयोध्या की प्रजा का विश्वास नहीं जीत पाई तो फिर से जंगल में चली गई ताकि प्रभु श्री राम को राजकाज में किसी प्रकार की परेशानी ना हो।