बुद्धिस्ट सर्किट व रामायण सर्किट से जुड़कर संस्कृति के साझीदार बनेंगे भारत-नेपाल
तथागत बुद्ध की जन्मस्थली का भ्रमण करने कल लुम्बिनी जाएंगे पीएम नरेंद्र मोदी
पीएम मोदी की नेपाल यात्रा पूरी तरह धार्मिक कार्यक्रम, 16 मई को जाएंगे नेपाल
राजेश कुमार शर्मा की रिपोर्ट
जोगबनी (Voice4bihar News)। तथागत बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी और माता सीता की जन्मभूमि नेपाल को पर्यटन नक्शे पर उभारने के लिए भारत सरकार ने इन स्थलों को बुद्धिस्ट सर्किट व रामायण सर्किट से जोड़ने की योजना प्रस्तावित की है। इस योजना में ठोस पहल की संभावनाएं लेकर भारत के प्रधानमंत्री 16 मई को नेपाल के लुम्बिनी जाएंगे। वैसे तो इस यात्रा का मकसद पूरी तरह से धार्मिक बताया जा रहा है, लेकिन दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान व पर्यटन की संभावनाओं के नजरिये से यात्रा को काफी अहम माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि पड़ोसी देश नेपाल के प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउवा के मैत्रीपूर्ण आमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर नेपाल भ्रमण पर जा रहे हैं। भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति तथा उनके निर्वाण प्राप्ति किए जाने की तिथि वैशाख पूर्णिमा के दिन इस वर्ष मोदी का नेपाल भ्रमण सिर्फ संयोग ही नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक व धार्मिक जुड़ाव को बढ़ाने का मकसद भी है।प्रधानमंत्री मोदी के इस भ्रमण से दो देश के बीच के परम्परागत बहुआयामिक संबंध को प्रगाढ़ बनाने के साथ ही दो देश के साझा सांस्कृतिक विरासत और प्रगाढ़ होना निश्चित है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में चार बार किया था नेपाल भ्रमण
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल (2016-19) के दौरान चार बार नेपाल का भ्रमण किया था। सनातन धर्म संस्कृति में आस्था रखने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में पशुपतिनाथ, जनकपुरधाम तथा मुक्तिनाथ जैसे पवित्र धार्मिक मंदिर एवं देवस्थलों का भ्रमण किया था। तब भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों को नजरअंदाज करते हुए हिन्दू धर्म के स्थलों को महत्व दिया था। प्रधानमंत्री के रूप में 8 वर्ष पूरा कर चुके नरेंद्र मोदी इस बार नए मकसद से नेपाल जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का यह पहला नेपाल भ्रमण है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर में विश्व सम्पदा सूची में सूचीकृत बुद्ध के जन्मस्थल लुम्बिनी के भ्रमण से नेपाल को कई उम्मीदें भी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पर्यटकीय एवं आकर्षक स्थल बनाने में भारत एक सहयोगी की भूमिका निभाएगा।
पहले कार्यकाल में भी लुम्बिनी भ्रमण की जताई थी इच्छा
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प्रधानमंत्री मोदी के लुम्बिनी भ्रमण के अवसर में नेपाल के प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउवा लुम्बिनी में होने वाले कार्यक्रम में संयुक्त रूप से सहभागी होंगे है। तय कार्यक्रम के अनुसार, लुम्बिनी के मायादेवी मंदिर में दोनो देश के प्रधानमंत्री के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन करने का कार्यक्रम है। कोविड–19 के प्रकोप कम होने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी अंतरराष्ट्रीय भ्रमण कर रहे हैं। यूरोप के भ्रमण के पश्चात प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल जाने का कार्यक्रम बनाया है। इससे पूर्व वर्ष 2014 के नेपाल भ्रमण के क्रम में ही वे लुम्बिनी भ्रमण करने का इच्छा जता चुके हैं, लेकिन ऐसा हो न सका।

इस बार तीन दिनों तक मनाई जाएगी बुद्ध जयंती
2566 वां बुद्ध जयंती इस वर्ष तीन दिनों तक नेपाल में मनाया जा रहा है। भारत सरकार के अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट कन्फेरेडेसन (आईबीसी) के मार्फत जर्मन स्तूप उत्तर बिहार का निर्माण कर रही है। इसका निर्माण एक अरब भारतीय रुपये से करवाया जा रहा है, जिसे पूरा करने के लिए तीन वर्ष का लक्ष्य रखा गया है। इस जर्मन स्तूप उत्तर बिहार का मोदी व देउवा संयुक्त रूप में शिलान्यास करेंगे। साथ ही मायादेवी मंदिर व अखण्ड ज्योति दर्शन के बाद मोदी नेपाल में एक कार्यक्रम को सम्बोधन करेंगे।
बुद्धिस्ट सर्किट से जुड़ेंगे लुम्बिनी, बोधगया और कुशीनगर
प्रधानमंत्री मोदी ने माता जानकी के जन्मस्थल जनकपुर (नेपाल) को भगवान राम की जीवनगाथा से जुड़े पवित्र स्थलों को एक साथ जोड़ कर रामायण सर्किट बनाने का प्रस्ताव किए हुए हैं, तो दूसरी ओर तथागत बुद्ध के जन्मस्थान लुम्बिनी व ज्ञान प्राप्ति स्थल बिहार के गया तथा महापरिनिर्वाण स्थल उत्तरप्रदेश के कुशीनगर को समेट कर बुद्धिस्ट सर्किट निर्माण करने का योजना प्रस्तावित की है। प्रधानमंत्री मोदी के इस भ्रमण से बुद्ध सर्किट के निर्माण कार्य में तेजी आने का अनुमान लगाया जा रहा है। इनके इस भ्रमण से रामायण व बुद्धिस्ट सर्किट के निर्माण से नेपाल व भारत का ही नहीं अपितु विश्वभर के पर्यटक को इस तरफ आकर्षित करेगा।
नेपाल व भारत के बीच बिगड़े रिश्ते को सुधारने की पहल
मोदी का लुम्बिनी भ्रमण विशुद्ध रूप में धार्मिक भ्रमण है लेकिन अगर कूटनीतिक स्तर पर देखा जाए तो दो देश के विगत बिगड़े रिश्ते में मिल का पत्थर माना जा रहा है। नेपाल व भारत के बीच परम्परागत एवं बहुआयामिक संबंध रहा है। दो देशों के बीच के परस्पर सम्बन्ध को सुदृढ़ एवं प्रगाढ़ बनाने में सामाजिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्ध का सबसे बड़ा योगदान है। इस अद्वितीय व अकाट्य संबंध को प्रगाढ बनाने में दोनों देशों की सरकार, बुद्धिजीवी, धर्माचार्य, साहित्यकार, कवि एवं कलाकार भी अपने-अपने स्तर से महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करते आये हैं। संविधानतः दोनो देश धर्मनिरपेक्ष होने के बाद भी यहां की जीवन पद्धति में हिन्दू एवं बुद्ध धर्म का व्यापक प्रभाव है।