16वें बुद्ध महोत्सव में दिखी प्राचीन भारत की गौरवपूर्ण संस्कृति की झलक
शिवसागर के सोनहर गांव में जुटे हजारों बुद्ध प्रेमी व बौद्ध भिक्षु
हमारे महान पुरखों ने दी सामाजिक सौहार्द, एकजुटता व ज्ञान की सीख : आलाेक कुमार मेहता
भारतीय संविधान की मूल भावना के अनुरूप करें पाखंडमुक्त समाज का निर्माण : श्रीभगवान
तथागत बुद्ध के संदेशों को अपनाने से ही होगा समाज में भेदभाव का अंत : श्याम बिहारी राम
सासाराम (Voice4bihar News) l हमारे महान पुरखों ने जीवन जीने का तरीका बताया। समाज में सौहार्द, एकजुटता व ज्ञान के प्रसार की सीख हमें दी है। उन विचारों की आस्था का मंदिर यहां बन रहा है वह सराहनीय कदम है। यह मंदिर पोंगापंथ का मंदिर नहीं है। यहां आकर लोग महात्मा बुद्ध के विचारों को सीखते हैं और आत्मसात करते हैं।
उक्त बातें राज्य के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने रविवार को शिवसागर प्रखंड के सोनहर गांव में आयोजित 16वें बुद्ध महोत्सव में ”धम्मा अशोक” की प्रतिमा अनावरण के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कही। श्री मेहता ने कहा कि शाहाबाद की धरती पर तथागत बुद्ध के विचारों का जिस तरह से प्रसार हो रहा है, वह सुखद है। इस इलाके में महामानव बुद्ध की तपोभूमि बोधगया से भी अधिक बौद्ध अनुयायी हैं, जो बुद्ध की करुणा, ज्ञान व विश्वशांति जैसे उदात्त विचारों को फैला रहे हैं।

बुद्ध वंदना से हुई बुद्ध महोत्सव की शुरुआत
इससे पूर्व कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ बुद्ध वंदना हुई तत्पश्चात विभिन्न देशों से आये बौद्ध भिक्षुओं के सानिध्य में धम्म चर्चा की गयी। इसके बाद राष्ट्रीय ध्वज का आरोहण पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह कुशवाहा ने किया जबकि पंचशील ध्वजारोहण बुद्ध विहार के संस्थापक भंते असजी ने किया। महामानव बुद्ध की आदमकद प्रतिमा का अनावरण पूर्व मंत्री श्रीभगवान सिंह कुशवाहा ने किया।
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”वर्तमान परिवेश में मानव कल्याण के लिए तथागत बुद्ध के संदेश” परचर्चा में भाग लेते हुए पूर्व मंत्री श्री भगवान सिंह ने कहा कि बुद्ध का मतलब शिक्षा होता है। वह शिक्षा जो वैज्ञानिक व तार्किक सोच पैदा करे। इसी से व्यक्तिव, समाज व देश का विकास संभव है। पूर्व मंत्री ने दहेजमुक्त समाज के लिए वहां उपिस्थत जनसमूह विशेषकर महिलाओं से सहयोग मांगा। उन्होंने संविधान को सर्वोपरि रखने एवं उसमें प्रदत अधिकारों के प्रयोग पर बल दिया। साथ ही पाखंडमुक्त समाज बनाने के लिए हाल के वर्षों में हो रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने शाक्मुनि बुद्ध विहार के तमाम सदस्यों को ऐसे आयोजन के लिए बधाई व साधुवाद दिया।

बिहार पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष वीरेद्र कुशवाहा ने कहा कि बिना बुद्ध का मार्ग अपनाये शिक्षा की लौ नहीं जल सकती और शिक्षा के बिना व्यक्ति व समाज का विकास संभव नहीं है। पूर्व विधायक श्याम बिहारी राम ने तथागत बुद्ध के सिद्धांतों को दिल से अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि जब हमारे जन्म व मृत्यु का स्वरूप एक है तो बाहरी स्तर पर ऊंच-नीच की भावना को मिटाना होगा। ऐसा करना बुद्धिज्म के बिना नहीं संभव नहीं है।
सासाराम नगर निगम की उपमेयर सत्यवंती देवी ने महिलाओं को कुप्रथा व कर्मकांडों से दूर रहकर शिक्षा की ओर अग्रसर होने का आह्वान किया। पूर्व नप पार्षद चंद्रशेखर सिंह ने जिले के विभिन्न स्थानों पर पुस्तकालय की स्थापना तथा बुद्ध विहारों के विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बुद्ध विहार वास्तव में शिक्षा के केंद्र होते हैं, न कि प्रार्थना स्थल। मौर्य शक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि कुमार मौर्य ने देश के गौरवपूर्ण इतिहास को याद करते हुए समाज को एकसूत्र में पिरोने की बात कही।

अन्य वक्ताओं ने गौतम बुद्ध के सर्वोत्तम विचारों से लोगों को प्रभावित किया। उनके जीवन दर्शन की वैज्ञानिकता को विस्तार से बताया। बुद्ध के बताये पंचशील और अष्टांगिक मार्ग पर चलने की बात समझायी गई। विद्वानों ने इस बात पर जोर दिया कि हमारा देश भारत बुद्ध के बताये मार्ग पर ही चलकर विकसित राष्ट्र बन सकता है। बौद्ध धम्म को ही अपनाकर देश में व्याप्त अंधविश्वास और पाखंड का समूल नाश किया जा सकता है। महोत्सव में अन्य गणमान्य लोगों के अलावा प्रवीण कुमार सिंह, सुनीता देवी, भोला यादव, रामनाथ पासवान, सोनू पासवान, संजय पासवान, सत्येन्द्र सुहाना, इंद्रजीत कुशवाहा, अमरेन्द्र कुमार सिंह समेत बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, बच्चे-बच्चियां उपस्थित थे।

गौरवपूर्ण अतीत को संजोये है सोनहर गांव
रोहतास जिले का सोनहर गांव अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए विशिष्ट पहचान रखता है। यह बौद्ध राजा जयचंद का मुख्य केंद्र रहा है। यहां 12वीं शताब्दी में राजा जयचंद से जुड़ा ताम्रपत्र प्राप्त हुआ है, जिसपर इस जगह का नाम सोनहल अंकित है जो कालांतर में परिवर्तित होकर सोनहर हो गया। यह ताम्रपत्र पटना म्यूजियम में सुरक्षित रखा गया है। सम्राट अशोक की खंडित प्रतिमा व अन्य प्राचीन कलाकृतियां गांव के विभिन्न हिस्सों से प्राप्त हुई हैं। यह गांव प्राकृतिक व मानवकृत दोनों ही नजरिये से समृद्ध रहा है। वर्तमान में शाक्यमुनि बौद्ध विहार के चलते रोहतास जिले में सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियों को केंद्र बना हुआ है। बौद्ध विरासत सारनाथ व बोधगया के बीच स्थित यह स्थान बौद्ध आश्रय स्थल के रूप में विख्यात है।