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मन को जगत के साथ-साथ जगदीश में भी जोड़िए

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आरा (voice4bihar desk)। जीयर स्वामी कहते हैं कि माता देवहुति ने अपने पुत्र भगवान कपिलदेव जी से पूछा कि आत्मोद्धार कैसे हो सकता है। उन्होंने बताया कि आत्मोद्धार का सबसे सरल तथा सहज उपाय यह है कि मन को जगत के साथ-साथ जगदीश में भी जोड़िए। मन को केवल जगदीश में जोड़ना संभव नहीं है।

उसी प्रकार से जगदीश में यदि संबंध जोड़ लेते हैं तो सही मायने में हमें जगत का संबंध पास कर लेगा। जगत का व्यवहार हमें पास कर देगा। अगर जगदीश से संबंध में पास नहीं करते हैं तो व्यवहार से जगत से पास होने के बाद भी फेल माने जाएंगे। इसलिए जगत की व्यवस्था में रहें लेकिन जगदीश से संबध जोड़ कर रहें। कहीं किसी कारण से जाने अनजाने में बुरी आदत जो हो उसको त्यागिए। हर पल, हर क्षण उसके जीवन का कार्य हमारा भजन बन जाएगा।

श्रीमद्भागवत महापुराण में बताया गया है बंधन और मोक्ष का कारण मन है। यदि जगदीश में फंसा हुआ है तो मोक्ष है। यदि मन कहीं जगत में फंसा हुआ है तो बंधन है। मोक्ष का सरल और सहज साधन मन है। मन को अपने आप में दुनिया से समेट लिए तो ठीक है। यदि मन को दुनिया में लगा दिए तो कहीं न कहीं उलझन में

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फंसना जरूरी है।

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