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क्या जननायक कर्पूरी ठाकुर की हत्या की गयी थी ?

प्रत्यक्षदर्शी ने किया था उनके मुंह से झाग निकलने का दावा

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पटना (voice4bihar desk)। क्या जननायक कर्पूरी ठाकुर की हत्या की गयी थी ? जननायक की मौत के करीब 32 वर्षें बाद एक बार फिर यह सवाल फिजां में तैरने लगा है। 17 फरवरी, 1988 को जब कर्पूरी ठाकुर की मौत हुई थी तब एक प्रत्यक्षदर्शी ने उनके मुंह से झाग निकलने की बात कही थी। अब एक बार फिर  उत्तर बिहार जागरण मोर्चा के संयोजक डॉ. निशीन्द्र किंजल्क ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भेजकर पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर की मौत को रहस्यमयी बताते हुए उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।

डॉ. निशीन्द्र किंजल्क ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बताया है कि जननायक कर्पूरी ठाकुर ने अपनी मौत से पहले हत्या की आशंका जतायी थी और इस संबंध में तत्कालीन मुख्य सचिव केके श्रीवास्तव को पत्र भी लिखा था। डॉ. किंजल्क ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में बताया है कि अपनी मौत से चार साल पहले 11 सितंबर, 1984 को कर्पूरी ठाकुर ने यह पत्र तत्कालीन मुख्य सचिव को लिखा था।

कर्पूरी ठाकुर 22 दिसंबर, 1970 से 2 जून, 1971 तक तथा 24 जून, 1977 से 21 अप्रैल, 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। इसके पहले 1967 में जब बिहार में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी तब उस सरकार में कर्पूरी ठाकुर उपमुख्यमंत्री बने थे। निधन के वक्त उनकी उम्र 64 साल थी। आधिकारिक रूप से उनकी मौत का कारण दिल का दौरा पड़ना बताया गया था। हालांकि तब एक प्रत्यक्षदर्शी ने यह दावा कर सनसनी फैला दी थी कि प्राण निकलने से पहले उनके मुंह से झाग निकल रहा था ।

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कर्पूरी ठाकुर की मौत के कुछ दिन बाद डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी इसकी जांच कराने की मांग की थी । उन्होंने 22 फरवरी, 1988 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को इस संबंध में पत्र भी लिखा था। डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह बाद में बिहार और क्रेंद्र में मंत्री भी बने। पिछले साल उनका निधन हो गया था। डॉ. सिंह ने अपने पत्र की प्रति बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद को भी दी थी ।

लोकनायक की मौत के इतने सालों बाद भी इस रहस्य पर से पर्दा नहीं उठ सका जबकि उनके निधन के बाद उनके पुत्र रामनाथ ठाकुर कई सालों तक विधायक और बिहार सरकार में मंत्री भी रहे। बताते हैं कि पटना में ही एक नेता के यहां अपनी हत्या की साजिश रचे जाने की सूचना कपिल देव सिंह व रामलखन सिंह यादव ने कर्पूरी ठाकुर को दी थी। इसके बाद ठाकुर ने इस संबंध में तत्कालीन मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी पर सरकार द्वारा इस पर संज्ञान नहीं लिया गया और कुछ सालों बाद रहस्यमयी परिस्थितियों में उनकी मौत हो गयी।

कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री से लेकर विपक्ष के भी तमाम नेता करते रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार कर्पूरी ठाकुर की मौत की उच्च स्तरीय जांच करा कर इस रहस्य से सदा के पर्दा उठायेगी। डॉ. किंजल्क ने इस जांच को तीन महीने में पूरा करवा कर इसकी रिपोर्ट बिहार की जनता के सामने रखने की भी मांग की है ।

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