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पटना, आरा व रोहतास समेत कई जिलों में कुख्यात कोढ़ा गिरोह का आतंक

राज्य भर में अपराध के अचूक निशाने के लिए कुख्यात है कोढ़ा गिरोह

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पलक झपकते ही झपट्टा मार कर पैसे उड़ा लेने में माहिर हैं गिरोह के शातिर

आरा में कोढ़ा गिरोह के सात सदस्यों की गिरफ्तारी से हुआ खुलासा

पटना/आरा (voice4bihar news)। बड़े ही शातिराना अंदाज में अचूक निशाने के साथ अपराध को अंजाम देने के लिए कुख्यात कोढ़ा गिरोह के अपराधी इन दिनों राजधानी पटना, रोहतास, आरा व छपरा समेत कई जिलों में सक्रिय हैं। अगर आप भी इनमें से किसी जिले में रहते हैं तो जरा होशियार हो जाइए। ताबड़तोड़ अपराधों को अंजाम देकर पुलिस व जनता की नींद उड़ाने वाले इस गिरोह के सात बदमाशों को भोजपुर पुलिस ने पकड़ा है। वहीं राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ में इसी गिरोह का एक बदमाश धरा गया है। अन्य जिलों में भी यह गिरोह लगातार वारदातों को अंजाम देता फिर रहा है।

आरा में धराये अपराधियों के पास से 15 मोबाइल, पैसे व डिक्की तोड़ने के उपकरण बरामद

दरअसल आरा टाउन थाना पुलिस की टीम ने बृहस्पतिवार को इस गिरोह के कारनामे का खुलासा किया है। पुलिस ने किराये के मकान से कोढ़ा गिरोह के सात अपराधियों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से 15 मोबाइल, 15 हजार रुपये, बाइक की डिक्की तोड़ने के उपकरण और चोरी की दो बाइक बरामद की गयी है। गिरफ्तार सदस्यों में धर्म यादव, विक्की, छोटू, मुन्ना, अविनाश, अभिमन्यु और सौरभ हैं। सभी कटिहार जिले के कोढ़ा थाना क्षेत्र के जुड़ावगंज गांव के रहने वाले हैं। सभी को शहर के धरहरा स्थित किराये के एक मकान से गिरफ्तार किया गया है।

पटना, औरंगाबाद, बक्सर, रोहतास और छपरा में फैले हैं गिरोह के बदमाश

पुलिस के अनुसार इस गिरोह का आतंक भोजपुर सहित करीब आधा दर्जन जिलों में है। आरा में रहकर गिरोह के सदस्य औरंगाबाद, बक्सर, रोहतास, पटना और छपरा सहित अन्य जिलों में छिनतई की घटना को अंजाम देते हैं। वहीं बाइक की डिक्की तोड़ कर पैसे उड़ाते हैं। इनके खिलाफ अलग-अलग जिलों में करीब दो दर्जन मामले दर्ज हैं।

बताया जाता है कि गिरोह के सदस्य झपट्टा मार कर पलक झपकते ही गायब हो जाते हैं। इनके निशाने पर बैंक से पैसे निकाल कर लौटने वाले लोग होते हैं। गिरोह के सदस्य बैंक और आसपास मंडराते रहते हैं। बैंक से पैसे निकालने के बाद से लोगों के पीछे लग जाते हैं। पकड़े गए अपराधियों ने पुलिस को बताया कि होली में गिरोह द्वारा बड़े पैमाने पर छिनतई की घटनाओं को अंजाम दिया जाना था। पुलिस सभी से पूछताछ कर पूरे गिरोह और अबतक की गयी घटनाओं के बारे में जानकारी लेने में जुटी है।

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पटना में बैंक से पैसा निकाल कर आ रह शख्स से झटके 1.06 लाख रुपये

राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ में टमटम पड़ाव चर्च के नजदीक बाइक सवार बदमाशों ने एसबीआई शाखा से पैसा निकालकर मिल्लत कॉलोनी जा रहे राजस्व कर्मचारी शाहिद इकबाल से बैग झटक लिया। इस बैग में शाहिद ने 1 लाख 6 हजार रुपये रखे थे। वहां मौजूद लोगों ने बाइक चला रहे बदमाश को धर दबोचा जबकि पीछे बैठा बदमाश पैसा लेकर बाइक से कूदकर फरार हो गया। पकड़ा गया बदमाश करण कुमार कटिहार के कोढ़ा का रहने वाला है। इसका संबंध कुख्यात कोढ़ा गैंग से होने की बात कही जा रही है।

फर्जी आधार कार्ड दिखाकर किराये पर लिया था मकान

कोढ़ा गिरोह के सदस्य आरा में रहकर भोजपुर और दूसरे जिलों में छिनतई करते थे। सभी फर्जी आधार कार्ड पर किराये का मकान लेकर रहते थे। पुलिस के अनुसार सदस्य पहचान छुपाने के लिये दूसरे के आधार कार्ड पर मकान लेते थे। गिरोह के लुटेरे घटना को अंजाम देने में चोरी या लूट की बाइक का प्रयोग करते हैं। खास बात यह है कि ये घटना में किसी भी हथियार का प्रयोग नहीं करते हैं।

क्यों कुख्यात है कोढ़ा गिरोह?

राज्य के कटिहार जिला अंतर्गत कोढ़ा थाना क्षेत्र का एक गांव अपराध की पौधशाला के रूप में कुख्यात है। कोढ़ा थाना के गेराबारी गांव में इस गिरोह के लुटेरे रहते हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाई गुड़ी में भी अपना मकान बनाकर रहते हैं। ये संगठित रुप से अपराध को अंजाम देते हैं और पहले शिकार की रेकी करते हैं। बहुत कम ऐसे मौके आते हैं, जब ये शातिर मौका ए वारदात पर पकड़े गए हों। जब किसी वारदात में किसी लुटेरे का नाम आता है और पुलिस उसके गांव पहुंचती है तो पता चलता है कि वह शख्स कई दिनों व कई माह से घर नहीं आया है।

एक ऐसा गिरोह, जिसके अपराधियों को सजा नहीं होती!

जैसा कि आरा में पकड़े गए कोढ़ा गिरोह के अपराधियों के मामले में सामने आया है, इनके पास पहचान वाले सभी कागजात फर्जी होते हैं। कोढ़ा थाना के गेराबारी गांव में कई बार हुई छापेमारी में बरामद आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आइकार्ड व अन्य पहचान पत्र फर्जी पाये गए हैं। इनके घर में कोई विशेष कीमती सामान भी नहीं देखने को मिलता।

बताया जाता है कि कई मर्तबा इस गिरोह के अपराधी गिरफ्तार भी किए जाते हैं लेकिन लुटेरों को साक्ष्य के बिना कोर्ट से सजा नहीं मिल पाती है। जेल भेजे जाते हैं तो कुछ माह या वर्ष के बाद जेल से जमानत पर बाहर आ जाते हैं। इनका जमानतदार भी कोई सहयोगी होता है। केस में गवाही नहीं होने और साक्ष्य नहीं मिलने के कारण इनके मामले सजा तक नहीं पहुंच पाते हैं।

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