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कितनी बड़ी क्षति है पूर्व मंत्री मेवालाल चौधरी का यूं चले जाना…

खामियों के लिए चर्चा में रहे मेवालाल कुशवाहा में थी बशुमार खूबियां

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भारत सरकार के बागवानी मिशन आयुक्त के तौर पर किये थे बेहतरीन काम

पटना (voice4bihar desk)। वर्ष 2015 में बिहार के दिग्गज नेता व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के उम्मीदवार शकुनी चौधरी को हराकर विधानसभा में जगह बनाने वाले मेवालाल चौधरी उर्फ मेवालाल कुशवाहा अब नहीं रहे लेकिन अपने पीछे यश-अपयश दोनों छोड़ गए। सियासत की बात करें तो मेवालाल की चर्चा उनकी खामियों की वजह से होती रही, लेकिन असल में उनके अंदर बेशुमार खूबियां भी थी। यही वजह है कि तमाम राजनीतिक लांछनों के बावजूद मुंगेर के सर्वप्रिय नेताओं में एक थे। बिहार में कृषि रोडमैप तैयार करने में अहम भूमिका के साथ ही ये भारत सरकार के बागवानी मिशन के आयुक्त भी रहे।

बिहार में कृषि रोडमैप तैयार करने में रही अहम भूमिका

शिक्षाविद मेवालाल चौधरी ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर) और बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (भागलपुर) में बतौर कुलपति कार्य किया। इसके अलावा बिहार कृषि रोडमैप का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी के अहम सदस्य थे। भारत सरकार के बागवानी आयुक्त के रूप में काम करते हुए उन्होंने मसौदा बागवानी मिशन, सूक्ष्म सिंचाई परियोजना और राष्ट्रीय बांस मिशन के विकास में सहायता की। साथ ही उन्होंने दलितों व पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कई काम किये।

बिहार के दो एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति रह चुके थे मेवालाल

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मेवालाल चौधरी उर्फ मेवालाल कुशवाहा ने एग्रीकल्चर में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री ली थी। इनके पिता दीपनाराण चौधरी थे। जदयू विधायक नीतू चौधरी से उनका विवाह हुआ था लेकिन घर में हुए रसोई गैस सिलेंडर विस्फोट के कारण नीतू की मृत्यु हो गई। 2010 में सक्रिय राजनीति में मेवालाल का प्रवेश हुआ और और जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट पर वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा सीट पर जीत हासिल की। उन्होंने उस चुनाव में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के शकुनी चौधरी को हराया था।

शिक्षा जगत में इनके अनुभव की वजह से ही नीतीश ने सौंपी थी शिक्षा की कमान

वर्ष 2020 में मेवालाल कुशवाहा ने एक बार फिर तारापुर सीट से जीत हासिल की और नीतीश कुमार कैबिनेट में शिक्षा मंत्री के रूप में शपथ ली। इस बीच मेवालाल पर हुए चौतरफा हमलों के बीच इन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। रसोई गैस सिलेंडर विस्फोट में हुई इनकी पत्नी नीतू चौधरी की मौत को साजिश का आरोप एक भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी ने लगाया था।

वर्चस्व को चुनौती देने के कारण धोखाधड़ी का आरोप लगा!

इसके अलावा बिहार कृषि विश्वविद्यालय 2017 घोटाले में इनका नाम आया था। कथित रूप से बिहार कृषि विश्वविद्यालय कृषि वैज्ञानिक और कनिष्ठ प्रोफेसरों की नियुक्ति में इन पर धोखाधड़ी का आरोप लगा था, लेकिन मेवालाल के समर्थकों का कहना है कि एक वर्ग विशेष के वर्चस्व का चुनौती देने के कारण ही उन्हें इस पचड़े में फंसाया गया।

यह भी पढ़ें : पूर्व शिक्षा मंत्री व शिक्षाविद् मेवालाल चौधरी का कोरोना से निधन

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