कालिगण्डकी नदी के शालीग्राम पत्थर से बनेगी अयोध्या में श्रीराम की प्रतिमा
करीब एक हजार वर्ष तक टिकाऊ रहने वाली शिला नेपाल से भारत आएगी
18 टन के क्वाजराईट व 10 टन के क्याल साइट नामक पत्थर से बनेगी श्री राम की प्रतिमा
क्षमा पूजा व अन्य धार्मिक कार्य करने के बाद एक सप्ताह के अंदर होगा शिला का उत्खनन
शालीग्राम शिला के साथ ही अन्य धार्मिक व पौराणिक वस्तुओं अयोध्या ले जाया जायेगा
- अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि में निर्मित हो रहे मंदिर में विराजमान होने वाली प्रतिमा के लिए चयनित दुर्लभ व अनूठे पत्थर की चर्चा खूब हो रही है। इस बारे में भारत-नेपाल मामले के जानकार व भारत नेपाल सामाजिक सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष राजेश कुमार शर्मा की ओर से दी गयी जानकारी के मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं।……
Voice4bihar News. उत्तर प्रदेश के अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर कई मायने में अनूठा होगा। मंदिर के मेहराब, गुंबद व दीवारों की भव्य निकासी का काम भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में जारी है, वहीं गर्भ गृह में प्रतिमा स्थापित करने के लिए जिस पत्थर को चुना गया है, वह अपनी खासियत को लेकर विख्यात है। ज्ञात सूचना के अनुसार नेपाल की प्रसिद्ध धार्मिक नदी कालिगण्डकी के शालिग्राम शिला से श्री राम की प्रतिमा का निर्माण किया जायेगा। इसके लिए शालीग्राम शिला की पहचान कर ली गयी है।
ससुराल से आए अनोखे पत्थर से अयोध्या में जीवंत होगी श्रीराम की प्रतिमा
खास बात यह है कि नेपाल को भगवान राम का ससुराल माना जाता है, और इस लिहाज से ससुराल की मिट्टी से श्रीराम की मूरत गढ़ी जाएगी। भारत-नेपाल मामले के जानकार व भारत-नेपाल सामाजिक सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष राजेश कुमार शर्मा ने इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि कालीगण्डकी कोरिडोर अंतर्गत उत्तर–दक्षिण सड़क को जोड़ने वाली बेनी–गलेश्वर सड़क खण्ड अंतर्गत म्याग्दी के बेनी नगरपालिका वार्ड संख्या-6 के नजदीक कालिगण्डकी नदी के तट पर 18 टन के क्वाजराईट व 10 टन के क्याल साइट नामक शिला को पहचान कर विधिपूर्वक उत्खनन की तैयारी शुरू की गयी है।
श्री शर्मा ने बताया कि करीब एक महीने तक स्थलगत अवलोकन तथा स्थान की पहचान के बाद दक्ष विज्ञ की टीम ने करीब 1 हजार वर्ष तक टिकाऊ रहने वाले शिला (पत्थर) की पहचान विशेषज्ञों ने की है। धार्मिक विधि से अनुष्ठान पूरा करने के बाद पत्थर उत्खनन की तैयारी अंतिम चरण में है।

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म्याग्दी व कालिगण्डकी नदी के दोभान से खोज कार्य की हुई थी शुरुआत
बताया जाता है कि श्री राम की प्रतिमा के लिए उपयुक्त पत्थर की खोज का काम म्याग्दी व कालिगण्डकी नदी के दोभान से शुरु किया गया था। प्राविधिक तथा धार्मिक हिसाब से बड़े भू संख्यल्न के नजदीक उपयुक्त शिला प्राप्त की गयी है। शिला मिलने के स्थान की पहचान कर जानकी मंदिर के महन्थ व राम मन्दिर के प्रतिनिधि की उपस्थिति में गण्डकी प्रदेश के प्रमुख पृथ्वीमान गुरुँग अब क्षमा पूजा व अन्य धार्मिक अनुष्ठान पूरे करेंगे। खनन करने के बाद एक सप्ताह के अंदर शिला को जनकपुरधाम ले जाया जायेगा, जहाँ से उक्त शिला के साथ ही अन्य धार्मिक व पौराणिक वस्तुओं अयोध्या ले जाया जायेगा।
जहां से शालीग्राम शिला का उत्खनन होगा, उस जगह का संरक्षण किया जाएगा
भारत-नेपाल सामाजिक सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष श्री शर्मा बताते हैं कि शिला उत्खन कर अयोध्या ले जाने के बाद उक्त स्थान को संरक्षण किया जायेगा। जिस जगह से पत्थर निकाला जाएगा वहां पर कालिगण्डकी नदी में स्नान सहज होने के साथ ही स्थल को संरक्षण करने की भी योजना है।
क्षमा पूजा व अन्य धार्मिक कार्य पूरे, एक सप्ताह के अंदर शुरू होगा खनन
कालिगण्डकी का तट भारतीय सहित हिन्दू धर्मावलंबियों के आस्था का केंद्र बनेगा
नेपल की बेनी नगरपालिका इस खनन को लेकर काफी उत्साहित है। माना जा रहा है कि उक्त स्थान पर भारतीय सहित अन्य हिन्दू धर्मावलंबियों का आगमन बढ़ेगा। राम मंदिर में मुख्य प्रतिमा के लिए शिला पहुंचाने वाले स्थान को देखने के लिए श्रद्धालुओं की आस्था उन्हें यहां खींच लाएगी। यहां आने वाले धार्मिक पर्यटकों की सुविधा के लिए सहज रास्ते का निर्माण तथा स्नान के लिए आवश्यक संरचना निर्माण में सहयोग करने की बात कही गयी है।
सिर्फ कालिगण्डकी में ही पाया जाता है शालीग्राम पत्थर
राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि सिर्फ कालिगण्डकी नदी में ही अत्यधिक पाए जाने वाला शालिग्राम शिला विभिन्न प्रकार के मानवीय व प्राकृतिक प्रकोपों के कारण लुप्तप्राय होता जा रहा है। शालिग्राम को हिंदू धर्म में विष्णु के अवतार के रुप में पूजा जाता है। ऐसे में सिर्फ कालिगण्डकी नदी में पाया जाने वाला शालिग्राम पत्थर हिंदू धर्मावलम्बी के लिए शिला शास्त्र व धार्मिक ग्रन्थ में काफ़ी बहुमूल्य माना गया है।