रोहतास में वित्तीय विसंगति से जूझ रहा आईसीडीएस विभाग
आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिकाओं को झेलना पड़ रहा अफसरों की गलती का खामियाजा
एक साल से डीडीओ के खाते में पड़ी है भविष्य निधि के नाम पर हुई कटौती की रकम
कोरोना काल के दौरान यात्रा भत्ता के भुगतान पर कुंडली मारे बैठी हैं कई सीडीपीओ
रोहतास से अभिषेक कुमार सुमन की रिपोर्ट
सासाराम (voice4bihar news)। रोहतास जिले का आईसीडीएस विभाग इन दिनों वित्तीय विसंगति को लेकर काफी चर्चा बटोर रहा है। जिले के 20 सीडीपीओ कार्यालय का पिछले दो वित्तीय वर्ष से जिला प्रोग्राम पदाधिकारी कार्यालय से समन्वय स्थापित नहीं होने की वजह से ऐसी नौबत आई है। अथवा यूं कहें कि सीडीपीओ की मनमाने रवैये के कारण आईसीडीएस विभाग वित्तीय विसंगति का दंश से झेल रहा हैं।
ईपीएफ की कटौती के मुद्दे पर दो भागों में बंटीं जिले की परियोजनाएं
वित्तीय विसंगति को सबसे बड़ा खामियाजा जिले की महिला पर्यवेक्षिकाओं को झेलना पड़ रहा है। जिला प्रोग्राम पदाधिकारी से लेकर जिलाधिकारी तक लिखित आवेदन देकर लगाई गई गुहार भी बेअसर साबित हो रही है। वित्तीय वर्ष 2019-2020 में जिले के कई सीडीपीओ कार्यालय ने पर्यवेक्षिकाओं के मानदेय भुगतान के दौरान ईपीएफ राशि की कटौती की, जबकि अधिकांश सीडीपीओ ने ईपीएफ राशि की कटौती नहीं की। ईपीएफ कटौती के मामले में मनमाने ढंग से की गई कार्रवाई से पर्यवेक्षिकाएं क्षुब्ध हैं।
भविष्य निधि की रकम कहीं अफसरों के गले की फांस न बन जाए!
दूसरी ओर ईपीएफ कटौती की राशि को लौटाने के लिए कई बार लिखित आवेदन दिए जाने के बावजूद अब तक कटौती की राशि को लौटाई नहीं जा सकी है। कानूनी जानकारों की मानें तो इस मामले ने कानूनी संघर्ष का रूप लिया तो अधिकारियों के गले की हड्डी साबित हो सकती है। ईपीएफ कटौती के बाद राशि का डीडीओ के खाते में पडे़ रहना संज्ञेय मामला माना जाता है। नियमत: इस राशि का कर्मचारी भविष्य निधि में एक नियत समय के भीतर डालना होता है।
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ठेंगे पर डीपीओ का आदेश, नहीं हुआ यात्रा भत्ता का भुगतान
वहीं दूसरी ओर आईसीडीएस विभाग में कोरोना संक्रमण काल के वित्तीय वर्ष 2020 21 के दौरान मानदेय भुगतान के क्रम में अलग-अलग सीडीपीओ कार्यालय ने यात्रा भत्ता भुगतान में भी मनमानी की। यह आईसीडीएस में वित्तीय विसंगति का दूसरा बड़ा प्रमाण है। शिवसागर, करगहर, चेनारी, नोखा, नासरीगंज सहित कई सीडीपीओ कार्यालय ने कोरोना संक्रमण काल का यात्रा भत्ता भुगतान नहीं किया है, जबकि भुगतान रोकने के बाबत किसी वरीय अधिकारी का कोई निर्देश उन्हें प्राप्त नहीं है। उधर, इसी जिले में सासाराम, तिलौथू, बिक्रमगंज, अकोढीगोला सहित कई सीडीपीओ कार्यालय ने यात्रा भत्ता का भुगतान कर दिया है।

एक ही जिले में दो नीति अपनाये जाने से आक्रोश
एक जिले में एक ही विभाग में दो तरह की नीतियां अपनाए जाने को लेकर पर्यवेक्षिकाओं में आक्रोश ब्याप्त है। कोरोना संक्रमण काल में जान की परवाह किए बिना कोरंटाईन सेंटर का निरीक्षण, बीमार व्यक्तियों सहित प्रवासी मजदूरों का सर्वे, चक्षु ऐप सत्यापन, अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, गांव गांव जाकर कोरोना संक्रमण के बचाव संबंधी जागरूकता सहित सभी अभियान में पर्यवेक्षिकाओं की सक्रियता रही थी। इसका हवाला देते हुए पर्यवेकिकाओं ने मामले में विगत फरवरी महीने में पर्यवेक्षिकाओं के एक शिष्टमंडल ने जिला प्रोग्राम पदाधिकारी से मुलाकात कर मामले में हस्तक्षेप करते हुए यात्रा भत्ता भुगतान की गुहार लिखित आवेदन देकर लगाई थी।
डीपीओ के आदेश को भी नहीं मान रहे सीडीपीओ कार्यालय
मामले को ठंडे बस्ते में जाता देख मार्च महीने में निबंधित डाक द्वारा आवेदन भेज कर जिला अधिकारी से यात्रा भत्ता भुगतान की गुहार लगाई। जिलाधिकारी को भेजे गये आवेदन की प्रतिलिपि जिला प्रोग्राम पदाधिकारी को भी पर्यवेक्षिकाओं ने भेजी थी। जिसके आलोक में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी कार्यालय द्वारा 27 मार्च को पत्रांक 489 जारी करते हुए जिले की सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों को महिला पर्यवेक्षकाओं के यात्रा भत्ता भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। बावजूद इसके अब तक यात्रा भत्ता का भुगतान नहीं किया जाना जिला प्रोग्राम पदाधिकारी के आदेश को ठेंगा दिखाने जैसा साबित हो रहा है।
बहरहाल देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है? वही ईपीएफ कटौती की राशि लौटाने के मामले में भी जिला पदाधिकारी कार्यालय को पत्र भेजकर गुहार लगाई जा चुकी है। हालांकि इस मामले में अभी तक जिलाधिकारी द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। जिला प्रोग्राम पदाधिकारी कार्यालय से भी इस मामले पर अब तक कोई निर्देश जारी नहीं हुआ है। जिले के आईसीडीएस विभाग में व्याप्त आर्थिक विसंगति का मामला धीरे-धीरे उजागर हो रहा है जो भविष्य में अधिकारियों के गले की हड्डी साबित हो सकती है।