धमौन के छाता होली की देश दुनिया में है खास पहचान
छाता के नीचे रंग गुलाल उड़ाने की वर्षों से चली आ रही है परंपरा
पटना (voice4bihar desk)। समस्तीपुर जिले के पटोरी अनुमंडल स्थित धमौन में होने वाली होली की खास पहचान है। धमौन में इस दिन यहां के लोगों के आराध्य देव निरंजन स्वामी के पवित्र स्थान पर क्षेत्र के लोग एकत्र होते हैं और घंटों छाता के नीचे रंग और गुलाल उड़ाते हैं। इस दौरान लोग होली से जुड़े पारंपरिक गीत गाते हैं और उसकी धुन पर झूमते हैं।
इस बार कोरोना के चलते भले रौनक कम है पर उत्साह में कमी नहीं
हालांकि इस बार कोरोना की वापसी की आशंकाओं के बीच होली समारोह पर प्रशासनिक रोक ने छाता होली की रौनक छीन ली है मगर यहां के लागों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है। धमौन की छाता होली बरसाने, मथुरा आदि के विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली से अलग अपनी खास पहचान रखती है।
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सन् 1935 से धमौन गांव में मनाई जा रही छाता होली
इस होली के लिए धमौन गांव में होली से दो दिन पहले से ही छतरी की भरपूर सजावट की जाती है। ग्रामीण बताते हैं कि छाता होली और धमौन का करीब 86 सालों का रिश्ता है। बताते हैं कि सन् 1935 से धमौन गांव में छाता होली मनाई जाती है। 1935 के आसपास पहला छाता स्व.नबुद्दी राय ने निकाला था। सन् 1940 में गांव के चौकीदार झूठी साहनी ने गैर यादव वर्ग से पहली बार छाता बनाया था। रंग गुलाल की बौछार के बीच बड़े से रंग-बिरंगे छाता के नीचे हारमोनियम की धुन और ढोलक की थाप पर दोपहर से सारी रात होरी, चैताबर आदि श्रृंगार रस से ओतप्रोत लोक गीतों पर लोग झूमते रहते हैं।
16वीं शताब्दी में हरियाणा के संबलपुर से धमौन में आकर बसे हैं लोग
बताया जाता है कि यादव बाहुल्य वाले इस गांव में 16वीं शताब्दी में आए संबलगढ़ हरियाणा से आये सैकड़ों जाट यादव परिवार निवास करते हैं। गांव में ही इनके कुलदेवता आराध्य देव निरंजन स्वामी का भव्य मंदिर है। यह मंदिर देश भर में यादवों का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है । यहां पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह समेत मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, शरद यादव और तेजस्वी यादव जैसे नेता आकर श्री निरंजन स्वामी मंदिर में पूजा अर्चना कर चुके हैं। छाता होली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते रहे हैं।