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बनगांव की होली खेलने चला था पूरा परिवार, रास्ते में ट्रक ने रौंदा डाला

एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत

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गोपालगंज में सड़क हादसा, ट्रक व कार की भीषण टक्कर

होली में दिल्ली से सहरसा के बनगांव जा रहे थे सभी लोग

गोपालगंज/सहरसा ( voice4bihar news )। बिहार के सहरसा जिले की विख्यात ‘बनगांव की होली’ खेलने के लिए दिल्ली से चला एक परिवार रास्ते में ही सड़क हादसे की भेंट चढ़ गया। गोपालगंज में कार और ट्रक के भिड़त में कार पर सवार एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई । घटना एनएच 27 पर मोहम्मदपुर थाना के डुमरिया घाट की है। सभी मृतक एक ही परिवार के है । जिसमे पति पत्नी और पुत्र और पुत्री शामिल हैं।

गोपालगंज के मोहम्मदपुर के डुमरिया घाट ओवर ब्रिज के पास हादसा

डुमरिया गांव के विद्याभूषण प्रसाद के मुताबिक एक ही परिवार के सभी चार सदस्य होली की छुट्टी मनाने के लिए दिल्ली से कार द्वारा अपने गांव सहरसा जिले के बनगाँव वापस लौटे रहे थे। आज सुबह जैसे ही वे लोग मोहम्मदपुर के डुमरिया घाट ओवर ब्रिज के पास पहुंचे तभी सामने से मिर्ची लदे ट्रक से कार की भिड़त हो गई । इस भीषण हादसे में चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी। सभी मृतकों के शव को पुलिस ने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए गोपालगंज सदर अस्पताल के लिए भेज दिया ।

दुर्घटना में मारे गए परिवार का फाइल फोटो।

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पति-पत्नी व पुत्र-पुत्री ने घटना स्थल पर ही दम तोड़ दिया

दिल्ली से बनगांव की ऐतिहासिक होली में शामिल होने आ रहे मधुकांत झा के पुत्र संजीव झा ( 50 ) , उनकी पत्नी निमि झा उर्फ सुनीता झा ( 48 ) , बेटा राजकुमार ( 18 ) व बेटी आस्था कुमारी ( 20 ) की के निधन की खबर मिलते ही वनगांव में शोक की लहर छा गई। पूरे गांव में सन्नाटा छाया हुआ है गांव में खुशी का माहौल नहीं होकर गम का माहौल हो चुका है। इस घटना को लेकर होली के अवसर पर आयोजित सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया। पुलिस ने दोनों गाड़ी को जल करने के बाद शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है।

क्यों प्रख्यात है बनगांव की होली?

उल्लेखनीय है कि सहरसा जिले के कहरा प्रखंड क्षेत्र के बनगांव में ऐतिहासिक होली खेली जाती है। गांव से दूर रहने वाले लोग इस मौके पर घर आने की पूरी कोशिश करते है। यहां यह कहावत काफी प्रचलित है “जे जीबा से खेला फौग ” जिसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ है कि जो भी जिन्दा हैं वे होली के दिन जरूर खेलें। घर घर मे मालपूआ पकाया जाते है और लोग रंग या गुलाल के साथ एक दूसरे से होली खेलते है।

यहां पूरे देश से एक दिन पहले मनाई जाती है होली

होली यहां कई बार दो दिनों तक मनाया जाता है। पहले धुरखेल खेला जाता है जिसमें लोग धूल गर्दे, मिट्टी और कीचड़ के साथ एक दूसरे के साथ होली खेलते हैं। दूसरे दिन रंग और गुलाल के साथ होली खेली जाती है। कई बार धुरखेल और रंग दोनों एक ही दिन खेले जाते हैं। होली की एक और खास बात यह है कि यहां होली पूरे देश से एक दिन पहले मनाया जाता है। होली के बाद सांकृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होता है। इस कार्यक्रम मे शास्त्रीय संगीत में पारंगत कलाकारों को बुलाया जाता है। इस कार्यक्रम में कभी प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित राजन मिश्र व साजन मिश्र जैसे कलाकार आ चुके हैं।

सहरसा के बनगांव में मनाई जाने वाली ‘घुमौर होली’ की अपनी अलग पहचान है। इसमें लोग एक-दूसरे के कंधे पर सवार होकर, उठा-पटक करके होली मनाते हैं। घुमौर होली का त्‍योहार होली से एक दिन पहले मनाया जाता है। रविवार को यह धूमधाम से मनाई गई। यह ब्रज की ‘लट्ठमार होली’ की ही तरह ही प्रसिद्ध है। मान्‍यता है कि इसकी परंपरा भगवान श्रीकृष्‍ण के काल से ही चली आ रही है। वर्तमान में खेले जाने वाले होली का स्वरूप 18वीं सदी में यहां के प्रसिद्ध संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं ने तय किया था।

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