सीबीएसई 10वीं के रिजल्ट के लिए अभी करना होगा इंतजार!
स्कूल संचालकों की मांग- अंक पत्र अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाए सीबीएसई
रिजल्ट तैयार करने के लिए सीबीएसई की ओर से तय मानदंड पर भी उठाये सवाल
कहा-पिछले रिजल्ट में कम से कम 10 प्रतिशत अंक बढ़ाने पर हो विचार
पटना (voice4bihar news)। कोरोना काल के कारण रद्द की की गयी सीबीएसई-10 वीं की वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट प्रकाशित होने में अभी विलंब हो सकता है। पूर्व निर्धारित समय सीमा के मुताबिक 15 मई तक इंटरनल असेसमेंट का अंकपत्र अपलोड करने की समय सीमा तय की गयी थी, लेकिन सीबीएसई स्कूलों ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की है। हालांकि अभी देखना होगा कि स्कूलों की मांग पर सीबीएसई क्या निर्णय लेता है।
इंटरनल असेसमेंट का अंक अपलोड करने की तिथि 10 दिन बढ़ाने की मांग
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इस संबंध में बिहार पब्लिक स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने सीबीएसई, नई दिल्ली को पत्र लिखा है, जिसमें मांग की गयी है कि सीबीएसई 10 वीं के अंक पत्र को अपलोड करने की तिथि बढ़ाई जाए। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. डी. के. सिंह, उपाध्यक्ष डॉ. एस. एम. सोहेल, सचिव प्रेम रंजन ने स्पष्ट शब्दों में सीबीएसई से मांग की है कि दसवीं के इंटरनल असेसमेंट का अंकपत्र अपलोड करने की तिथि जो 15 मई तक निर्धारित की गई है, उसे कम से कम 10 दिनों के लिए बढ़ाया जाए।
लॉकडाउन के कारण 15 मई तक मार्कशीट अपलोड करना संभव नहीं
इस मांग के पीछे संगठन का तर्क है कि कोरोना के कारण अभी आम जनमानस की स्थिति ठीक नहीं है, जिससे विद्यालय परिवार भी अछूता नहीं है। ऐसे समय में सीबीएसई स्कूलों व उसमें कार्यरत शिक्षकों पर अंक अपलोड करने का दबाव बनाना उचित नहीं है। संगठन ने कहा है कि कोरोना काल में कई विद्यालय संचालकों एवं शिक्षकों के साथ अप्रिय घटना भी घट चुकी है। ऐसे में शिक्षक भी डरे-सहमे हुए हैं। कई राज्यों में 15 मई तक लॉकडाउन की घोषणा होने के कारण भी अंक पत्र अपलोड करना आसान नहीं है।
पिछले परफॉर्मेंस को आधार मानकर 3 प्रतिशत अंकों का इजाफा ठीक नहीं
वहीं दूसरी ओर संगठन ने मांग करते हुए कहा कि सीबीएसई ने दसवीं का परिणाम घोषित करने के लिए जो मापदंड निर्धारित किया है, उससे मेधावी बच्चों की काबिलियत को क्षति होगी। बच्चों के पिछले परिणामों को आधार मानकर उसमें 10 प्रतिशत तक इजाफे का विचार सीबीएसई को करना चाहिए। 3 प्रतिशत का इजाफा बच्चों की मेहनत के साथ नाइंसाफी होगी। सीबीएसई को लग रहा कि कोरोना के कारण बच्चों का परिणाम बहुत अच्छा नहीं होगा। जबकि मेधावी छात्र-छात्राओं ने अच्छे परिणाम के लिए कोई कसर नहीं छोड़े हैं।