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नगर पंचायत : ‘चुपके से बहाल’ किये गए कर्मियों को अब जांच के बाद ही मिलेगा वेतन

नोखा नगर पंचायत की मुख्य पार्षद ने जांच के लिए कार्यपालक पदाधिकारी को लिखा पत्र

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Voice4bihar की खबर का असर, लंबे वक्त से सक्रिय आरटीआई कार्यकर्ताओं की मेहनत रंग लाई

जांच पूरी होने तक मामले से जुडे़ कर्मियों का वेतन रहेगा स्थगित

रोहतास से बजरंगी कुमार सुमन की रिपोर्ट

सासाराम (voice4bihar news)। रोहतास जिले की नोखा नगर पंचायत में दैनिक पारिश्रमिक व अनुबंध पर बहाल कर्मियों की सेवा वर्ष 2010 में स्थाई किए जाने के मामले में Voice4bihar.com पर प्रकाशित खबर का असर होना शुरू हो गया है। विगत दिनों इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्टों की सक्रियता बढ़ने व मामले में उठ रहे सवालों को लेकर Voice4bihar ने “न विज्ञापन, न आवेदन, चुपके से हो गयी बहाली” शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इस मामले में मुख्य पार्षद ने जांच के लिए पत्र लिखा है।

इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्टों की बढ़ी सक्रियता के बीच खबर प्रकाशित होने के बाद मामला सियासी गलियारे सहित प्रशासनिक महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसे लेकर नोखा नगर पंचायत की चेयरमैन पम्मी वर्मा ने नप के कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र लिख कर मामले की जाँच शुरू करने की अनुशंसा कर दी है। पत्र में यह भी कहा गया है कि जांच पूरी होने तक संबंधित कर्मियों के वेतन भुगतान पर रोक लगी रहेगी।

जानिए क्या है पूरा मामला

दरअसल नोखा नगर पंचायत में दैनिक पारिश्रमिक पर बहाल किए गये दो कर्मियों की सेवा स्थायी करने के मामले में जांच की आंच आ गयी है। वजह यह कि स्थाई किए गए कर्मियों की सेवा पुस्तिका पर दर्ज नगर विकास विभाग पटना द्वारा 20 अक्टूबर 1981 को जारी पत्रांक 4545 के आलोक में नोखा नगर पंचायत को कुल 9 पदों का सृजन प्राप्त हुआ था।

10 मार्च 2004 को नोखा नगर पंचायत के पार्षदों की आयोजित सामान्य बैठक के प्रस्ताव संख्या 9 के अनुसार 8 कर्मचारियों को मानदेय पर नियुक्त किया गया था। ऐसे में 9 कर्मचारियों के पद सृजन के बावजूद सिर्फ 8 कर्मचारियों को मानदेय पर नियुक्त करते हुए 1 पद को रिक्त रखने पर पूरा मामला सवालों के घेरे में आ गया।

विवादों के घेरे में आये कर्मचारियों का सर्विस बुक।

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कर्मचारी बहाल हुए आठ लेकिन वेतन की मंजूरी नौ की हुई

इसके साथ ही सेवा पुस्तिका पर दर्ज विवरण के अनुसार मानदेय पर नियुक्त किए गए कर्मियों की सेवा नियमित करने के लिए 21 सितंबर 2006 को प्रस्ताव संख्या 9 के द्वारा सरकार से अनुरोध किया गया जिसके आलोक में नगर विकास एवं आवास विभाग के सरकार के उप सचिव सह निदेशक द्वारा 23 नवंबर 2008 को जारी पत्र 5670 के द्वारा 9 पदों की स्वीकृति के साथ अवधि विस्तार की गई थी। इसके बाद सरकार के संयुक्त सचिव प्रेमचंद चौधरी ने 11 दिसंबर 2008 को जारी पत्रांक 5945 के आलोक में नगर पंचायत नोखा में कार्यरत नौ कर्मियों के वेतन की स्वीकृति प्रदान की थी ।

कर्मचारियों के सर्विस बुक में नहीं है किसी पत्र का संदर्भ

मामले पर गौर करें तो जब 10 मार्च 2006 को आयोजित सामान्य बैठक में मात्र 8 कर्मचारियों को मानदेय पर नियुक्त किया गया तो 9 बलों के वेतन की स्वीकृति के लिए सरकार को पत्राचार क्यों किया गया? वेतन स्वीकृति के पश्चात भुगतान करने की संपुष्टि पार्षदों ने सामान्य बैठक में 29 दिसंबर 2008 को प्रस्ताव संख्या 11 के तहत की है, जिसके आलोक में नोखा नगर पंचायत के कुछ कर्मियों का वेतनमान पर भुगतान किया गया है। सर्विस बुक पर दर्ज विवरणी में संविदा कर्मियों के सेवा स्थाई किए जाने के किसी निर्णय की चर्चा नहीं है और ना ही संविदा कर्मियों के सेवा स्थाई करने संबंधी विभाग द्वारा जारी किसी पत्र का हवाला दिया गया है।

आरटीआई के तहत मांगी गयी सूचना के एवज में मिला असंगत जवाब।

जांच की आंच में झुलसेगा कौन?

आरटीआई एक्टिविस्ट मुकेश कुमार सिंह द्वारा मांगी गई सूचना के आलोक में नोखा नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा वर्ष 2017 में दी गई सूचना की कंडिका दो में स्पष्ट रूप से जानकारी दी गई है कि 20 अक्टूबर 1986 को जारी विभागीय पत्रांक 4545 के द्वारा सृजित पदों के विरुद्ध दैनिक पारिश्रमिक तथा अनुबंध के आधार पर पूर्व से कार्य करते आ रहे थे। अतः अखबार में न कोई सूचना प्रकाशित की गयी और न कोई आवेदन प्राप्त किया गया और न तुलनात्मक विवरणी तैयार की गयी।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पार्षदों द्वारा आठ लोगों को संविदा पर कार्य करने हेतू चयनित किया जाने की प्रक्रिया नगर पालिका अधिनियम के तहत है या नहीं यह जांच का विषय बन चुका है। बहरहाल ऐसे में देखना है कि कर्मियों की दैनिक पारिश्रमिक से लेकर सेवा स्थाई किए जाने तक के मामले को लेकर छिड़े विवाद के बाद शुरू हुई जांच की आंच में कौन झुलसता है।

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