विवाहिता की डोली लूटने आए नक्सलियों ने की थी डीएफओ संजय सिंह की हत्या
नक्सली होने की वजह से शादी टूटी तो साथियों के साथ मिलकर बनाया खौफनाक प्लान
विवाहिता की डोली पहुंचने का इंतजार कर रहे थे नक्सली, तभी पहुंच गयी डीएफओ की जिप्सी
डीएफओ हत्याकांड में गवाहों ने किया खुलासा, कहा- ईमानदार और नेकदिल इंसान थे संजय
रोहतास से अभिषेक कुमार के साथ बजरंगी कुमार सुमन की रिपोर्ट
Voice4bihar news. 15 फरवरी 2002 को रोहतास जिले के नौहट्टा के रेहल में तत्कालीन डीएफओ संजय सिंह की हत्या महज एक दुर्योग था। एक विवाहिता की डोली लूटने के लिए एकत्र हुए नक्सली जत्थे के सामने आने पर नक्सलियों ने डीएफओ संजय सिंह की हत्या कर दी। इस तथ्य का खुलासा डीएफओ हत्याकांड की जांच के दौरान सीबीआई के समक्ष दर्ज गवाहों के बयान में हुआ है।
दरअसल डीएफओ संजय सिंह की हत्या करने वाले हार्डकोर नक्सली दस्ते में शामिल रामबचन यादव की शादी पलामू जिले की शैल देवी से होनी थी। शैल देवी रामबचन यादव की प्रेमिका थी। रेहल निवासी गनौरी यादव के मुताबिक शैल एक विधवा थी। हालांकि शैल देवी के पहले पति से सबंध विच्छेद की बात इसी रेहल निवासी सुमेद यादव ने जांच अधिकारियों को बतायी है।
होमगार्ड जवान की बहन से शादी करना चाहता था नक्सली रामवचन
बहरहाल कहानी यह है कि शैल की शादी बभनतलाब निवासी हार्डकोर नक्सली रामबचन यादव से तय हो चुकी थी। हालांकि पिपरडीह पंचायत के तत्कालीन मुखिया और भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष रहे बाण्डा गांव निवासी सुग्रीव सिंह के बयान ने कहानी में थोड़ा ट्वीस्ट ला दिया है। सुग्रीव सिंह ने जांच अधिकारियों के समक्ष खुलासा किया था कि नक्सली रामबचन यादव उन दिनों शैल के साथ जबरदस्ती शादी करने की चाहत रखता था। बाद में शैल देवी के होमगार्ड जवान रहे भाई आनंद यादव को जब पता चला कि रामबचन यादव नक्सली संगठन से जुड़ा है, तो अपने घरवालों से कहकर रामबचन के साथ होने वाला रिश्ता तोड़वा दिया।
नक्सली से रिश्ता टूटा तो दूसरी जगह तय हुई थी शैल देवी की शादी
दूसरी ओर रेहल गांव निवासी शिवानंद यादव के सात पुत्र बुटन यादव, बद्री यादव, गनौरी यादव, नागेश्वर यादव, सिकेश्वर यादव, नागा यादव और लालमुनी उर्फ बिलट यादव थे। इनमें सबसे छोटे लालमुनी उर्फ बिलट यादव की पत्नी मुनिया देवी की दो साल पहले मौत हो चुकी थी। दो बेटियों की जिम्मेदारी लालमुनी यादव उर्फ बिलट पर थी। लालमुनी यादव उर्फ बिलट के पुनर्विवाह की बात भाई नागेश्वर यादव ने पलामू जिले के दलेली गांव के जगदीश यादव से की थी। बाद में शादी पूर्व की प्रक्रिया करते हुए शैल की शादी लालमुनी यादव उर्फ बिलट से तय हो गयी।
शादी तोड़ने की धमकी हुई बेअसर तो रच डाली अपराध की साजिश
लालमुनी और शैल की शादी की तारीख 14 फरवरी 2002 तय हुई। इस बीच लालमुनी यादव उर्फ बिलट के घर पहुंच कर नक्सली रामबचन यादव ने धमकाया कि शैल के साथ शादी न करे, वरना अंजाम बुरा होगा। इस चेतावनी के बावजूद लालमुनी यादव उर्फ बिलट की शादी नियत तिथि को ही पलामू के दलेली गांव निवासी शैल से हो गयी। शादी के अगले दिन यानि 15 फरवरी को बारात वापसी तय थी, जिसमें दुल्हन का आना भी निश्चित था।
रेहल निवासी गनौरी यादव और गनौरी की भाभी श्रीपतिया देवी, राम विरिच उरांव, शनिचर उरांव और कामेश्वर राम सहित बंडा गांव निवासी सुग्रीव सिंह के अलावे कई लोगों ने जांच अधिकारियों के समक्ष बताया है कि नक्सली संगठन के एक सदस्य रामबचन यादव का विवाह शैल देवी से नहीं होने से बौखलाए नक्सलियों ने डोली लूटने की योजना बनाई थी।
नक्सली कमांडर निराला यादव के नेतृत्व में डोली लूटने पहुंचे थे नक्सली
नक्सली कमांडर निराला यादव के नेतृत्व में हार्डकोर सशस्त्र नक्सलियों ने इसी डोली को लूटने की नीयत से रेहल रेंज हाऊस के आसपास डेरा डाला था। इस जत्थे में महिला नक्सली भी शामिल थी, लेकिन लालमुनी यादव उर्फ बिलट की डोली आने के पहले ही वन विभाग के अधिकारियों की सफेद जिप्सी वहां पहुंच गयी और डीएफओ संजय सिंह की हत्या की घटना को नक्सलियों ने अंजाम दे दिया।

सीटी बजते ही नक्सलियों से घिर गयी वन विभाग के अधिकारियों की टीम
आम तौर पर पुलिस या सरकारी जांच एजेंसियां किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार रखती है, लेकिन जब नक्सलियों ने उल्टे सरकारी नुमाइंदों को गिरफ्तार करने की बात कही तो सभी चौंक गए थे। 15 फरवरी 2002 को धनसा रेहल रेंज सीमा से लगभग दस किलोमीटर आगे चलने के बाद टीम वन विभाग वाले डाक बंगला(आईबी) पहुंची। हां ताला बंद मिलने पर तत्कालीन डीएफओ संजय सिंह ने ड्राइवर को गाड़ी घुमाते हुए रेहल रेंज ऑफिस चलने का निर्देश दिया। तब लगभग 11:00 बजे का समय हो रहा था।
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टीम जैसे ही रेहल वन क्षेत्र कार्यालय के लगभग 25 गज दूरी पर रही होगी तो उनकी नजर दो लोगों पर पड़ी जिसमें एक वर्दी में था और दोनों कार्यालय की बरामदे की दीवार और खंभों पर पोस्टर चिपका रहे थे। उनके पास एक साथी और भी था। गाड़ी रुकते हैं वर्दी वाला व्यक्ति हथियार लेकर ऑफिस के पीछे चला गया जबकि सादे लिबास का व्यक्ति वहीं खड़ा रहा। डीएफओ ने गाड़ी से उतर कर बरामदे की दीवार पर लगे पोस्टर को पढ़ने के बाद वापस चलने के लिए ड्राइवर महबूब आलम को निर्देश दिया।
ड्राइवर पहले से ही गाड़ी घुमा चुका था। वापस चलने का निर्देश जारी होते ही सादे लिबास के व्यक्ति ने सवाल किया- कौन हैं आप लोग? उसके सवाल के जवाब में डीएफओ ने वन विभाग के अधिकारी होने की जानकारी दी और कहा कि जंगल में चल रहे विकास का काम देखने के उद्देश्य से आए थे और काम देखकर वापस लौट रहे हैं। इस पर सादे लिवास वाले व्यक्ति ने सख्त लहजे में कहा कि रुकिए, आपसे बात करनी है।
लेकिन डीएफओ ने सभी स्टाफ को गाड़ी में बैठने का निर्देश देते हुए स्वयं भी गाड़ी में बैठ गए (शायद अनहोनी की आशंका को डीएफओ संजय सिंह ने भांप लिया था) लेकिन जब तक सभी स्टाफ जिप्सी में बैठ पाते, तभी पीछे से सीटी बजी। जहां 10-12 साल का लड़का खड़ा था। सीटी बजते हीं वन विभाग की टीम को दर्जनों हथियारबंद लोगों ने घेर लिया और सादे लिबास का ब्यक्ति जिप्सी के आगे खडा होकर बोला कि आपको तो बात करके हीं जाना होगा इतना सुन डीएफओ गाडी से उतरकर बोले क्या बात करनी है? बोलिए ! तब तक जिप्सी से सभी लोग उतर चुके थे ।
कमांडर ने पूछी जाति और मांगी पांच लाख की लेवी
घटनास्थल पर मौजूद वन विभाग के अधिकारियों के बयान के मुताबिक वन विभाग की टीम को घेरने के बाद नक्सलियों ने जांच पड़ताल शुरू किया जांच पड़ताल के दौरान सबसे पहले नक्सलियों ने ड्राइवर से चाबी ले ली और हथियार जांच करने लगे वन विभाग के अधिकारियों की टीम पूरी तरह निहत्थी थी। हाथ में SLR लिए नक्सली कमांडर निराला ने तत्कालीन डीएफओ संजय सिंह से सवाल जवाब किया जो इस प्रकार है-
कमांडर : तुम कौन हो?
डीएफओ : मैं डीएफओ हूँ ।
कमांडर : नाम क्या है?
डीएफओ : संजय सिंह ।
कमांडर : कहाँ के रहने वाले हो?
डीएफओ : सीतामढ़ी ।
कमांडर : जाति?
डीएफओ : राजपूत
कमांडर रेंजर से : तुम कौन हो?
कुमार नरेन्द्र : मैं रोहतास रेंज का रेंजर हूँ ।
कमांडर : आप लोगों के पास रिवाल्वर तो नहीं है!
रेंजर : हमारे पास कुछ नहीं है ।
कमांडर ने डीएफओ को अच्छी तरह से चेक किया और फिर पूछा
कमांडर : पुलिस वाला है कोई
डीएफओ : कोई नहीं
कमांडर : पुलिस लेकर क्यों नहीं आते?
डीएफओ : पुलिस नीचे ही रहती है, हम निहत्थे ही आते हैं
कमांडर : डीएफओ जी, जंगल का जो रोड बनवाया है, उसमें हमारी संस्था (एमसीसी) को कमीशन मिलता है ।
डीएफओ : दो ढाई हजार रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से पैसा आता है आपको दे देंगे तो सड़क कैसे बनेगी? हम लोग आपलोगों का सहयोग चाहते हैं ।
कमांडर : आपने महुआ पियार जंगल से ले जाने पर रोक लगा दिया है।
डीएफओ : ऐसी बात नहीं है बडे़ बडे़ ब्यापारी खरीद कर ले जाते हैं उनको रोका है। गांव के लोग समिति के माध्यम से खुद बेचेंगे तो उनका विकास होगा।
कमांडर : करवंदिया में पत्थर खनन का काम बंद कर देने से गरीबों को रोज़ी रोटी नहीं मिल रही है बडे़ बडे़ लोगों का खनन चल रहा है ।
डीएफओ : जिसको लीज मिला है उसका खनन चल रहा है। जिसको लीज नहीं मिला, उसे खनन करने से रोक दिया गया है ।
कमांडर : आपने सब क्रेशर (क्रशर मशीन) बंद करवा दिया है ।
डीएफओ : वे लोग गरीब नहीं हैं। क्रशर चार पांच लाख का आता है और मैने बंद नहीं करवाया। डीएम साहब ने बंद करवाया है। मैने केवल उनका सहयोग किया है ।
कमांडर : आप पांच लाख रुपया दीजिए
डीएफओ : पांच लाख तो बहुत बडी बात है पांच हजार भी मैं देने में असमर्थ हूँ ।
कमांडर : आप बीस हजार महीना कमाते हैं और पांच हजार देने में असमर्थ हैं
डीएफओ : हमको उतना ही पैसा मिलता है जिससे मैं अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा हूँ ।
कमांडर : आज आपको छोड देते हैं तो आप हमसे दुबारा आकर मिलेंगे कि नहीं?
डीएफओ :समय होगा तो मिलेंगे समय नहीं होगा तो नहीं मिलेंगे । लेकिन मैं आऊंगा जरूर मैं बराबर आता रहता हूँ
कमांडर ने फिर दुहराया: आज आपको छोड देते हैं तो आप हमसे दुबारा आकर मिलेंगे कि नहीं?
डीएफओ ने भी बात दुहराई: समय होगा तो मिलेंगे समय नहीं होगा तो नहीं मिलेंगे। लेकिन मैं आऊंगा जरूर मैं बराबर आता रहता हूँ
कमांडर : किसी को पानी पीना है?
डीएफओ : नहीं पीयेंगे।
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नक्सली दस्ते में थीं महिलाएं भी शामिल
वन विभाग के अधिकारियों को घेरने वाले सशस्त्र नक्सली दस्ते में नक्सली कमांडर निराला यादव उर्फ दीपक ऊर्फ रामराज यादव, वीरेंद्र यादव उर्फ राणा यादव, राम बचन यादव, तेगबहादुर यादव, अवधेश यादव,नीतीश उर्फ बीरबल,सुदामा उरांव ऊर्फ इनरजीत , प्रकाश उरांव,सुदर्शन भूईया, मनोज भूईया, शम्मू उर्फ गुप्ता, विनय उर्फ सहदेव,सुनील पासवान,रमेश कहार सहित दो दर्जन हार्डकोर नक्सलियों के अलावे गीता, पूनम, गीता,किरण, उत्तर प्रदेश चंदौली चकिया निवासी सुमित्रा उर्फ विनीता उर्फ प्रियंका उर्फ शशिबाला और सिन्टू नाम की महिला नक्सली भी शामिल थीं ।
वीरेंद्र यादव उर्फ राणा ने मारी थी डीएफओ को गोली
रेहल गांव के पास तत्कालीन डीएफओ संजय सिंह को पौने एक घंटे की पूछताछ के बाद नक्सलियों ने गमछे से पीछे की तरफ हाथ बांध दिया था। पहले तो लाठी और बंदूक के कूंदे से पीटा और फिर वन विभाग के अधिकारियों से पांच लाख लेवी मांगी। जवाब में वन विभाग की टीम ने एक-एक माह का वेतन देने का वादा किया। इसके बाद भी नक्सली उन्हें बख्शने के मूड में नहीं थे। वहां इकट्ठा महिला-पुरुष सहित सभी ग्रामीणों ने पैर पकड़ कर रोते गिड़गिड़ाते हुए रहम की भीख मांगी।
ग्रामीणों ने डीएफओ संजय सिंह को अच्छा और ईमानदार व्यक्ति बताते हुए रिहाई की भीख मांगी, इसके बावजूद नक्सलियों ने पहले तो कुछ ग्रामीणों को लाठी और बेल्ट से पीटा, फिर फायर करते हुए कुछ दूर ही रुकने की चेतावनी दी। गांव वालों और वन विभाग के अधिकारियों से अलग ले जाकर नक्सलियों ने तत्कालीन डीएफओ संजय सिंह को गोली मार दी। गोली मारने वाला नक्सली वीरेन्द्र यादव उर्फ राणा यादव था, जिसने अपने एसएलआर से तत्कालीन डीएफओ संजय सिंह को तीन गोली मारी थी।
हालांकि जांच में आधा दर्जन से अधिक गोली चलने की आवाज सुने जाने का खुलासा वन पदाधिकारियों ने किया है। डीएफओ संजय सिंह को गोली मार हत्या किए जाने के पश्चात नक्सली कमांडर ने शेष बचे सभी वन पदाधिकारियों से उनकी जाति पूछी और सभी को गरीब का बच्चा कहते हुए वर्दी पहनकर जंगल में नहीं आने की चेतावनी देते हुए लौट जाने का निर्देश दिया। तब रोहतास रेंज के रेंजर कुमार नरेंद्र ने नक्सली कमांडर से पूछा कि पैदल ही जाएं? इतना सुन कमांडर में एक नक्सली को गाड़ी की चाबी ड्राइवर को देते हुए गाड़ी लाने का निर्देश दिया।
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