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क्या चतरा के आतंकी सुफियान ने दरभंगा को बना लिया है अपना ठिकाना

दरभंगा रेलवे स्टेशन पर पार्सल में धमाके के बाद सुफियान को सरगर्मी से तलाश रही है जांच एजेंसी

विस्फोट के बाद पार्सल का निरीक्षण करते दरभंगा जीआरपी के अधिकारी (फाइल फोटो)।
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पटना (voice4bihar desk)। क्या एनआईए की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल कुख्यात आतंकी मो. सुफियान अरशद ने अपना ठिकाना बदल लिया है? अब वह झारखंड के चतरा को छोड़कर बिहार के दरभंगा से आतंकी गतिविधियों को संचालित कर रहा है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि दरभंगा रेलवे स्टेशन पर जिस पार्सल में धमाका हुआ था वह मो. सुफियान के ही नाम से आया था। पार्सल भेजने वाले ने अपना नाम-पता और मोबाइल नंबर तो गलत दिया ही था उसने रिसीवर का पता और मोबाइल नंबर भी गलत दिया था। पार्सल मो. सुफियान के नाम से ही आया था।

पार्सल में धमाके के बाद इसके किसी दावेदार के सामने नहीं आने से जांच एजेंसी मान रही है कि भेजने और रिसीव करने वाले को पता था कि पार्सल में विस्फोटक भेजे जा रहे हैं। अगर यह विस्फोट नहीं करता तो रिसीवर सुफियान इसे पार्सल घर से ले जाता और इसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में करता। दरभंगा रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर दो पर 17 जून को हुए विस्फोट ने आतंकियों के मंसूबे को तो नाकाम कर दिया लेकिन इसमें सुफियान का नाम आने से सुरक्षा एजेंसियों की नींद हराम हो गयी है।

मो. सुफियान के बारे में जांच एजेंसियों का कहना है कि वर्ष 2016 से वह उसके निशाने पर है। दरभंगा में जब तहसीन नामक आतंकी की गिरफ्तारी हुई थी तब पहली बार उसका नाम सामने आया था। सुरक्षा एजेंसी उसी वक्त से उसे तलाश रही है। बाद में पकड़े गये कई आतंकियों ने भी उसका नाम लिया पर वह अब तक भारतीय जांच एजेंसियों की पकड़ से बाहर है। अब तक उसका ठिकाना चतरा माना जाता रहा है लेकिन दरभंगा में हुए पार्सल धमाके के बाद जांच एजेंसी मान रही है कि उसने ठिकाना बदल लिया है और अब वह दरभंगा से अपनी आतंकी गतिविधियों को संचालित कर रहा है।

दरभंगा धमाके की जांच में जुटे एटीएस ने वारदात के दिन 17 जून के सीसीटीवी फुटेज में एक संदिग्ध की पहचान की है पर, अभी पक्के तौर पर यह नहीं कहा जा सकता है कि वह सुफियान ही है। बताया जाता है कि विस्फोट के बाद जब आरपीएफ की टीम मौका ए वारदात पर जांच में जुटी थी तभी प्लेटफॉर्म नंबर एक पर कुर्ता पायजामा और टोपी पहने एक व्यक्ति दाखिल होता है।

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विस्फोट स्थल पर लगी भीड़ को देखकर वह कुछ दूर पहले ही रुक जाता है। विस्फोट स्थल को अधिक साफ देखने के लिए वह पास के फुट ओवर ब्रिज पर चला जाता है। वह ऐसी जगह खड़ा होता है जहां से उसे घटनास्थल साफ-साफ दिखता है पर सुरक्षाकर्मी की नजर उस पर नहीं पड़ती है।

वह वहीं खड़े होकर करीब दस मिनट तक किसी से मोबाइल पर बात करता है। संभवत: वह उसे घटना की जानकारी देता है और फिर वहां से चला जाता है। माना जा रहा है कि उस संदिग्ध व्यक्ति को दरभंगा रेलवे स्टेशन पर लगे सीसीटीवी कैमरे के लोकेशन के बारे में अच्छे से जानकारी थी। क्योंकि जाते वक्त वह प्लेटफॉर्म नंबर एक पर खड़ी स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस ट्रेन में सामने की बॉगी में सवार होता है और अंदर ही अंदर आगे जाकर ऐसी जगह उतरता है जहां सीसीटीवी कैमरे की पकड़ में नहीं आता है।

जांच एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि मोबाइल से बात कर रहे उस शख्श के मोबाइल नंबर का पता चला है और उसकी तलाश की जा रही है। जांच एजेंसी अभी यह नहीं बता रही है कि वह नंबर किसका है।

इधर, सिकंदराबाद आरपीएफ ने भी पार्सल बुक कराने आये चार संदिग्धों को हिरासत में लिया है। बताया जाता है कि ये संदिग्ध उसी तरह का पार्सल लिए 15 जून को सिंकदराबाद रेलवे स्टेशन परिसर में सीसीटीवी में दिखे हैं जिस तरह का पार्सल आतंकियों ने बुक कराया है। ये चारों लोग एक कार से सिकंदराबाद स्टेशन परिसर में दाखिल होते हैं और वहां मोटरसाइकिल सवार दो लोगों से बात करते हैं। सिकंदराबाद आरपीएफ मोटरसाकिल सवार दोनों लोगों को भी तलाश रही है।

बिहार एटीएस दरभंगा और बांका में हुए धमाके के तार को भी जोड़ने का प्रयास कर रही है। सूत्रों का कहना है कि बांका के मदरसा में हुए धमाके में जिस मौलवी की मौत हुई थी उसके चतरा से जुड़े होने की बात सामने आयी है। मो. सुफियान का संबंध भी चतरा से था। इसलिए एटीएस मान रही है कि दोनों धमाके में एक ही आतंकी माड्यूल हो सकता है। हालांकि बिहार पुलिस ने अब तक बांका विस्फोट को आतंकी घटना नहीं करार दिया है।

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