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कोवैक्सीन पर फैलाये गये भ्रम का केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया जवाब

भाजपा सांसद सुशील मोदी बोले, कांग्रेस पहले दिन से भारत में टीकाकरण के महाअभियान को विफल करने की साजिश में लगी है

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पटना (voice4bihar desk)। कोवैक्सीन बनाने में गाय के बछड़े का सीरम मिलाये जाने का भ्रम फैलाने वालों के खिलाफ केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को बयान जारी किया है। सोशल मीडिया पर चलायी जा रही इस खबर कों मंत्रालय ने फेक न्यूज करार दिया है। कोवैक्सीन की संरचना के बारे में कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया है कि कोवैक्सीन के टीका में नवजात बछड़ा सीरम है।

मंत्रालय का कहना है कि ऐसे पोस्टों में तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है और गलत तरीके से पेश किया गया है। मंत्रालय के अनुसार, नवजात बछड़ा के सीरम का उपयोग केवल वेरो कोशिकाओं की तैयारी/विकास के लिए किया जाता है। विभिन्न प्रकार के गोजातीय और अन्य पशु सीरम वेरो सेल (कोशिका) के विकास के लिए विश्व स्तर पर उपयोग किए जाने वाले मानक संवर्धन घटक हैं। वेरो कोशिकाओं का उपयोग कोशिका जीवन स्थापित करने के लिए किया जाता है जो टीकों के उत्पादन में सहायक होते हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल दशकों से पोलियो, रेबीज और इन्फ्लूएंजा के टीकों में किया जाता रहा है।

इन वेरो कोशिकाओं को विकास के बाद पानी और रसायनों से धोया जाता है। तकनीकी रूप से इस प्रक्रिया को बफर के रूप में जाना जाता है। नवजात बछड़ा के सीरम से दवा को मुक्त करने के लिए इस प्रक्रिया को कई बार दुहराया जाता है। इसके बाद ये वेरो कोशिकाएं वायरल ग्रोथ के लिए कोरोना वायरस से संक्रमित होती हैं।

वायरल ग्रोथ की प्रक्रिया में वेरो कोशिकाएं पूरी तरह नष्ट हो जातीं हैं। इसके बाद इस बड़े वायरस को भी मार दिया जाता है या कहें कि निष्क्रिय कर दिया जाता है और शुद्ध किया जाता है। मारे गए इस वायरस का प्रयोग अंतिम टीका बनाने के लिए किया जाता है और अंतिम टीका बनाने में कोई बछड़ा सीरम का उपयोग नहीं किया जाता है। इसलिए अंतिम टीका (कोवैक्सीन) में नवजात बछड़ा सीरम बिलकुल नहीं होते हैं और बछड़ा सीरम अंतिम वैक्सीन उत्पाद का घटक भी नहीं है।

असल में यह पूरा विवाद बुधवार को कांग्रेस के डिजिटल कम्युनिकेशन और सोशल मीडिया के नेशनल कोआर्डिनेटर गौरव पांधी के सोशल मीडिया पर किये गये एक पोस्ट के बाद शुरू हुआ। पांधी ने दावा किया कि सरकार ने आटीआई से मांगी गयी सूचना में स्वीकार किया है कि कोवैक्सीन बनाने में गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है।

पांधी के इस ट्वीट के बाद बुधवार को सोशल मीडिया पर उनके पक्ष और विपक्ष में मानो भूचाल आ गया। पांघी के समर्थन में आये कई सोशल मीडिया यूजर ने कहा कि अगर सचमुच में कोवैक्सीन का टीका बनाने में गाय के बछड़े के सीरम का उपयोग होता है तो सरकार को इस बारे में लोगों को पहले बताना चाहिए था।

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दूसरी ओर, केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ पूरी भाजपा खड़ी नजर आयी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने जहां दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरी कांग्रेस पार्टी की लानत मलानत की वहीं पार्टी के कई अन्य नेताओं ने कांग्रेस पार्टी पर देश में चल रहे विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को विफल करने का आरोप लगाया।

सुशील कुमार मोदी

बिहार में भाजपा के राज्यसभा सांसद और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि टीकाकरण को विफल कर कांग्रेस आज भी कोरोना से मौत का आंकड़ा इतना बढाना चाहती है कि भारत को दुनिया भर में बदनाम किया जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सबसे तेज टीकाकरण कर सरकार ने लाशों की राजनीति करने वालों को करारा तमाचा लगाया है।

भाजपा सांसद ने कहा कि कोरोना की वैक्सीन में गाय के बछड़े के खून की अफवाह फैलाना पूरी तरह निराधार और भ्रामक है। कांग्रेस पहले दिन से भारत में टीकाकरण के महाअभियान को विफल करने की साजिश में लगी है। अब वह कोवैक्सीन को लेकर धार्मिक भावनाएं भड़काने और साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने पर उतर आई है।

उन्होंने कहा कि वैक्सीन में बछड़े के खून की अफवाह उस कांग्रेस की तरफ से फैलायी जा रही है, जिसकी सरकार ने गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग को लेकर 1966 में संसद के सामने अहिंसक प्रदर्शन करने वाले 400 से ज्यादा साधुओं पर गोली चलवा दी थी। संतों की हत्या के खून से जिसके हाथ रंगे है, वह कांग्रेस आज कोरोना टीका के विरुद्ध दुष्प्रचार करने का महापाप कर रही है।

सुशील मोदी ने कहा कि स्वदेशी टीका विकसित होने पर गर्व करने की बजाय कांग्रेस शुरू से इसके खिलाफ तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। कभी कोवैक्सीन को विदेशी टीके से घटिया बताया गया, कभी इसे भाजपा का टीका कहा गया, तो कभी इसके दाम पर सवाल उठाये गए।

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