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हाईकोर्ट ने दे दी इजाजत, अब क्या करेंगे शिक्षा मंत्री

बिहार के लाखों शिक्षक अभ्यर्थियों की उम्मीदें अब बिहार के शिक्षा मंत्री पर टिकीं

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पटना (voice4bihar desk)। पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद बिहार के लाखों शिक्षक अभ्यर्थियों की उम्मीदें अब बिहार के शिक्षा मंत्री पर आ टिकीं हैं। फरवरी में बतौर शिक्षा मंत्री पदभार ग्रहण करने के बाद से विजय कुमार चौधरी लगातार कहते रहे हैं कि बिहार में सवा लाख शिक्षकों की बहाली पटना हाईकोर्ट की रोक के कारण रुकी हुई है। विधानसभा से लेकर अन्य मौकों पर भी वे कई बार दुहरा चुके हैं कि हाईकोर्ट आज अनुमित दे, हम कल से बहाली शुरू करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा है कि विभाग पूरी तरह तैयार है और हम हफ्ता से 15 दिनों में बहाली को पूर्ण कर लेंगे।

अब जब पटना हाईकार्ट ने रोक हटाते हुए बहाली प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण करने को कहा है तो लाखों शिक्षक अभ्यर्थियों के जेहन में यह सवाल है कि क्या सचमुच कल से सवा लाख शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या सरकार अब शीघ्र बहाली शुरू करने की ओर बढ़ेगी अथवा अभी औपचारिकताओं को पूरा करने में ही वक्त जाया करेगी।

विभाग को पहले पटना हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार दिव्यांग अभ्यर्थियों का आवेदन लेने के लिए शिडयूल जारी करना होगा। इसके अतिरिक्त कम से कम 10 फीसद ऐसी ग्राम पंचायत नियोजन इकाइयां हैं जहां फाइनल मेरिट लिस्ट जारी नहीं की गयी है। इसके अलावा कई ऐसी नियोजन इकाइयां हैं जहां मेरिट लिस्ट में अभ्यर्थियों के ब्योरे में आपत्ति के अनुसार सुधार नहीं किया गया है। हैरत की बात नहीं होगी कि अब तक जो अभ्यर्थी काउंसिलिंग की तारीख मांग रहे थे उनमें से कई अब मेरिट लिस्ट में सुधार की मांग करते दिखेंगे।

बहाली में पारदर्शिता लाने के लिए विभाग उन नियोजन इकाइयों को चिह्नित करे जहां अब तक की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से अपनाई गयी है और वहां बहाली प्रक्रिया को आगे बढ़ाये। इसके अलावा जिन नियोजन इकाइयों में गड़बड़ी है उनमें सुधार की कवायद करे। हालांकि कक्षा छह से आठ में नियुक्त किये जाने वाले प्रखंड व नगर शिक्षकों के मामले में गड़बड़ी की आशंका थोड़ी कम है और वहां बहाली प्रक्रिया तुरंत शुरू की जा सकती है। प्रखंड और नगर नियोजन इकाइयों ने अपनी ओर से मेरिट लिस्ट भी जारी कर दी है।

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इसके अलावा माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में होने वाली करीब 30 हजार शिक्षकों की नियुक्ति का मार्ग भी न्यायालय के इस फैसले से खुल गया है। इन स्कूलों के शिक्षकों की नियुक्ति भी विभाग चाहे तो तत्काल शुरू कर सकता है।

शिक्षा विभाग से छनकर जो खबरें मीडिया तक पहुंच रहीं हैं उसके मुताबिक इस बार की बहाली में फर्जीवाड़ा से बचने के लिए शिक्षा विभाग संकल्पित है। इसके लिए विभाग आधुनिक तकनीक का सहारा लेगा। विभाग अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की ऑनलाइन और जरूरत पड़ने पर ऑफलाइन जांच करेगा इसके बाद ही अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देगा। इसके पहले विभाग जिला और प्रखंड स्तर पर अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग आयोजित करेगा जिसमें सभी के प्रमाण पत्रों का भौतिक सत्यापन किया जायेगा। बाद में प्रमाण पत्रों की जांच की जायेगी। जांच में जिनके प्रमाण पत्र सही पाये जायेंगे उन्हें नियुक्ति प्रत्र और गलत पाये जाने पर एफआईआर की कार्रवाई की जायेगी।

शिक्षा विभाग को खासकर उन अभ्यर्थियों पर संदेह है जो मेरिट लिस्ट में 80 से अधिक अंक के साथ अव्वल बने हुए हैं। शिक्षा विभाग के पास 2011 और 2017 में टीईटी पास करने वालों की पूरी लिस्ट है। इसके अलावा सीटेट पास करने वालों के प्रमाण पत्रों की भी ऑनलाइन जांच की जा सकती है। एनआईओएस जैसे कई संस्थान हैं जिनके शिक्षक प्रशिक्षण प्रमाण पत्रों की भी जांच ऑनलाइन की जा सकती है।

सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड सहित हाल के वर्षों में मैट्रिक और इंटर की परीक्षाओं को पास करने वाले बिहार बोर्ड के छात्रों के प्रमाण पत्रों की भी ऑनलाइन जांच हो सकती है। पर, समस्या उन अभ्यर्थियों के साथ ही जिनके प्रमाण पत्रों की जांच ऑफलाइन करनी होगी। इसमें महीनों लग सकते हैं। विभाग इस बार दृढ़ है कि जब तक प्रमाण पत्रों की जांच कर वह संतुष्ट नहीं हो जायेगा तब तक नियुक्ति पत्र नहीं देगा।

बताया जाता है कि विभाग के पास लाखों आवेदकों के प्रमाण पत्र साल भर से पड़े हुए हैं। इस बार विभाग ने अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट भी ऑनलाइन तैयार की है। विभाग ने फजीवाड़ा रोकने के लिए इस पर कुछ काम भी किया है जिसमें कुछ हद तक सफलता हाथ लगी है। प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रंजीत कुमार सिंह ने ऐसे अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग से दूर रहने की चेतावनी भी दी है। अब देखना है कि विभाग जब काउंसिलिंग की प्रक्रिया शुरू करेगा तो उसे फजीवाड़ा रोकने में किस हद तक सफलता हाथ लगती है।

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