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बाराबंकी हादसा : पहले सड़क पर सुलाया फिर ट्रक पर सवार होकर आयी मौत

ट्रक ने बस में मारी टक्कर, बस ने सड़क पर सो रहे 18 लोगों को कुचला

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लखनऊ (Voice4bihar desk)। जो जन्म लेता है उसकी मौत तय होती है। कहते हैं कि मौत का स्थान और वह कैसे आयेगी ये भी पहले से ही तय होता है। अगर ऐसा नहीं होता तो मधेपुरा, सहरसा, सुपौल और सीतामढ़ी के सूदूर गांवों में रहने वाले 18 लोग मंगलवार की देर रात अपने घर से करीब सात सौ किलोमीटर दूर बाराबंकी के नेशनल हाई वे पर नहीं सो रहे होते। इन 18 लोगों की जहां मौत हुई वहां से उनका कोई नाता नहीं था। घर से तो करीब सात सौ किलोमीटर दूर थे ही जहां काम करते थे वहां से भी पांच सौ किलोमीटर दूर ही थे।

बस में सवार होकर हरियाणा के पलवल से अपने घर के लिए चले थे पर हादसे के वक्त बस में भी सवार नहीं थे। बस खराब हो गयी थी और वे बस से उतरकर सड़क पर सो गये थे। रात के करीब बारह बज रहे थे सो नींद भी गहरी आ गयी थी। उसी वक्त एक ट्रक मौत बन कर आया और बस को पीछे से जोरदार टक्कर मार दिया इससे बस दूर तक घिसट गयी और वहां सो रहे लोग उसकी चपेट में आ गये। इस घटना में कुल 18 लोगों की मौत हो गयी और कम से कम 19 लोग बुरी तरह जख्मी हैं।

अयोघ्या और बाराबंकी की सीमा पर हुआ हादसा

हादसा बाराबंकी के रामसनेही थाना क्षेत्र में स्थित नेशलन हाईवे पर मंगलवार की रात करीब 12 बजे हुआ। हादसे में घायल हुए लोगों ने बताया कि हरियाण के पलवल से करीब 140 लोग मंगलवार को दिन में बस से बिहार के मुजफ्फरपुर के लिए चले थे। हालांकि इन 140 लोगों को दो बसों में सवार होकर आना था पर ऐन मौके पर एक बस के नहीं आने के कारण दोनों बसों के यात्रियों को एक ही बस में बैठा दिया गया।

रात करीब आठ बजे अयोध्या और बाराबंकी के सीमा क्षेत्र रामसनेही में कल्याण नदी के पुल पर बस का एक्सल टूट गया। इसके बाद बस को किसी तरह पुल से नीचे उतारकर सड़क किनारे खड़ा कर दिया गया। बस के कंडक्टर और चालक मैकेनिक के इंतजाम में लग गये। बस में चूंकि क्षमता से अधिक यात्री सवार थे इसलिए अधिकांश लोग बस से उतरकर आसपास टहलने लगे। इस बीच वहां बारिश होने लगी तो कुछ लोग बस में आ गये और कुछ ने बाहर ही बारिश से बचने का ठिकाना ढू्ंढ लिया।

इधर, बस मैकेनिक के आने में देर हो रही थी और उधर रात गहरी होती जा रही थी। बारिश से अलग परेशानी हो रही थी। देर रात जब बारिश ने पीछा छोड़ा तो बस में सवार अधिकतर लोगों ने सड़क को ही अपना ठिकाना बना लिया और बस को ओट बनाकर वहीं लेट गये। रात गहरायी तो कई यात्रियों को गहरी नींद आ गयी। इसी वक्त ट्रक मौत बनकर आया और बस को पीछे से जोरदार टक्कर मार दिया। इस टक्कर से बस दूर तक घिसट गयी। इससे बस को ओट बनाकर सो रहे कई लोग इसकी चपेट में आ गये। बस में सवार कुछ लोग भी घटना में हताहत हुए।

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दुर्घटना के बाद मौके पर मौजूद बाराबंकी पुलिस के अधिकारी।

घायलों को लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर भेजा गया

ट्रक के बस में टकराते ही चीख-पुकार मच गयी। सड़क लोगों के खून से लाल हो गयी। उसी वक्त तेज बारिश भी शुरू हो गयी। हादसे के बाद सड़क पर दोनों ओर भीषण जाम लग गयी। इससे घटनास्थल पर जहां बाराबंकी पुलिस को पहुंचने में देर हुई वहीं हादसे में बुरी तरह जख्मी लोगों को अस्पताल पहुंचाने में भी देर हुई। बाराबंकी पुलिस का कहना है कि तीन लोगों को अस्पताल लाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया जबकि एक की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हो गयी। शेष 14 लोगों की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी। बाराबंकी अस्पताल में भर्ती कराये गये सभी 19 लोगों को बेहतर इलाज के लिए लखनऊ ट्रॉमा सेंटर भेज दिया गया है।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने की दो-दो लाख रुपये सहायता देने की घोषणा

इधर बाराबंकी हादसे को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित उत्तर प्रदेश और बिहार के मुख्यमंत्रियों ने शोक जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे में मृत लोगों के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हादसे में मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये देने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने कहा कि घायलों का समुचित इलाज कराया जायेगा और उन्हें बिहार लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से समन्वय स्थापित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि घटनास्थल पर बिहार सरकार के अधिकारी को भेजा जा रहा है। बिहार के नता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कहा कि हादसे की खबर से वे मर्माहत हैं।

बाराबंकी हादसे में जान गंवाने वाले 11 लोगों के नाम अब तक मिले हैं। इनमें मधेपुरा के सुरेश यादव, सीतामढ़ी के इंदल महतो, जगदीश सहनी और मोनू सहनी, सहरसा के सिकंदर मुखिया, अखिलेश मुखिया, संतोष सिंह और बऊआ, शिवहर के जय बहादुर सहनी, सुपौल के बैजनाथ राम और बलराम मंडल शामिल हैं।

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