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नयी व्यवस्था में भी मुखियागिरि बरकरार

राज्य सरकार ने जारी किया अध्यादेश, मुखिया होंगे परामर्श समिति के प्रमुख

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पटना (voice4bihar desk)। राज्य के आठ हजार से अधिक निवर्तमान मुखिया की मुखियागिरि आगे भी जारी रहेगी। सरकार के अध्यादेश के मुताबिक जिस परामर्श समिति का गठन किया जायेगा उसके प्रमुख मुखिया ही होंगे। बिहार में पंचायती राज व्यवस्था में अब कभी भी यह स्थिति नहीं आयेगी जब लोग कहें कि अब आगे क्या होगा। पहले ईवीएम को लेकर राज्य और केंद्रीय चुनाव आयोग की भिड़ंत और फिर कोरोना महामारी ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि इस बार पंचायतों के चुनाव समय पर नहीं हो सके। बिहार में 15 जून को पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। वर्तमान हालात के मुताबिक अब इस साल के अंत तक ही पंचायतों के चुनाव कराये जा सकते हैं।

16 जून से बिहार में लागू होगी नयी पंचायती राज व्यवस्था

इस परिस्थिति में पंचायती राज व्यवस्था को 16 जून से सुचारू रूप से चलायमान रखने के लिए बिहार के राज्यपाल ने बुधवार को अघ्यादेश जारी कर दिया। वर्तमान में जब विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा है तो सरकार के पास अध्यादेश का ही विकल्प बचा था जिसका उसने इस्तेमाल किया। विपक्षी नेता समेत सत्ता में शामिल दलों के बड़े नेता भी सरकार से पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे थे। नयी व्यवस्था में निवर्तमान पंचायतों के मुखिया का कार्यकाल तो नहीं बढ़ाया गया पर उनकी मुखियागिरि पर आंच भी नहीं आयेगी।

बुधवार को बिहार के राज्यपाल ने जो अध्यादेश जारी किया है उसके अनुसार पंचायतों का कामकाज सुचारू रखने के लिए परामर्श समिति का गठन किया जायेगा। इस समिति के प्रमुख निवर्तमान मुखिया ही होंगे। इसके सदस्यों में पंचायत के सभी निवर्तमान वार्ड सदस्य, पंचायत सचिव, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी, बीडीओ द्वारा नामित पंचायत क्षेत्र का एक निवासी औऱ राज्य-केंद्र, सेना, रेल या किसी सार्वजनिक उपक्रम से रिटायर्ड व्यक्ति इस समिति के मेंबर होंगे। मुखिया को ग्राम पंचायत परामर्श समिति का प्रधान कहा जायेगा। उन्हें वे सभी अधिकार होंगे जो उन्हें निर्वाचित मुखिया के रूप में थे।

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बैठकों में रहेंगे सरकारी अधिकारी पर वोटिंग नहीं करेंगे

परामर्श समिति की बैठकों में प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी, अंचल निरीक्षक औऱ प्रखंड समन्वयक सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल होंगे। हांलांकि उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होगा। सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग औऱ उसे विभाग के संज्ञान में लाने की जिम्मेवारी इन अधिकारियों की होगी। यहां बता दें कि फिलहाल राज्य में कुल 8,336 ग्राम पंचायत हैं। इन ग्राम पंचायतों में 16 जून से नयी व्यवस्था के अनुरूप ही कार्य होंगे। ग्राम कचहरी भी इसी नयी व्यवस्था के तहत कार्य करेगी।

प्रखंडों में भी नयी व्यवस्था ही होगी लागू

प्रखंड स्तर पर निर्वाचित होने वाली पंचायत समिति के लिए भी इसी अध्यादेश के जरिये 15 जून के बाद के लिए कामकाज निपटाने की व्यवस्था की गयी है। प्रखंड स्तरीय पंचायत समिति के प्रमुख पूर्व की भांति निवर्तमान प्रखंड प्रमुख ही होंगे। उनके पास वे सारे अधिकार रहेंगे जो 15 जून तक उनके पास हैं। पंचायत समिति के सभी निवतर्मान सदस्य इस परामर्श समिति के सदस्य होंगे। इनके अलावा बीडीओ और प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी भी इस समिति के सदस्य होगे पर उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होगा। वे सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर परामर्श समिति की बैठकों में मौजूद रहेंगे।

इसी तरह, निवर्तमान जिला परिषद अध्यक्ष ही जिला परिषद परामर्श समिति के प्रमुख होंगे। पूर्व की तरह उनके पास अधिकार भी रहेंगे। सभी जिला परिषद सदस्य इस परामर्शी समिति के सदस्य होंगे। डीडीसी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी भी इस समिति के सदस्य होंगे लेकिन उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होगा. वे सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे।

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