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केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होगा जदयू, लोजपा में टूट की आहट

आरसीपी सिंह, ललन सिंह, सुशील मोदी, संतोष कुशवाहा और कविता सिंह के नामों की चर्चा

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पटना (voice4bihar desk)। राजद की ओर से बिहार में सरकार गिराने की लगातार जारी कोशिशों के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार की कवायद की खबरें सामने आ रहीं हैं। पिछले दो दिनों में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह दो बार कह चुके हैं कि उनकी पार्टी केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने के लिए तैयार है और यह उनकी पार्टी का हक भी है। ऐसे में इस बात की भी चर्चा तेज हो गयी है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस विस्तार में किनके भाग्य का सितारा चमकेगा। बिहार के राजनीतिक गलियारे में जारी चर्चा के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू के दो और भाजपा के एक अन्य नेता को जगह मिल सकती है।

चिराग पासवान

इस बीच, खबर यह भी है कि लोजपा ने भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। हालांकि लोजपा का रास्ता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रोक रखा है। गत विधानसभा चुनाव में लोजपा प्रमुख चिराग पासवान जिस प्रकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर थे उसे नीतीश कुमार भूले नहीं हैं। इसलिए नीतीश कुमार किसी भी हाल में चिराग को एनडीए का हिस्सा नहीं बनने देना चाहते हैं। ऐसे में बताया जा रहा है कि लोजपा टूट की ओर बढ़ रही है।

पशुपति कुमार पारस

पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि लोजपा सांसदों ने चिराग पासवान को किनारे कर आगे बढ़ने का फैसला किया है। इसके लिए पार्टी के सांसद और राम विलास पासवान के छोटे भाई पशुपति नाथ पारस का नाम सामने आया है। फिलहाल लोजपा के लोकसभा में छह सांसद हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से पांच ने पारस को नेता मानने पर सहमति दी है। अगर नीतीश कुमार पारस के नाम पर सहमति देते हैं तो लोजपा उन्हें नेता मानकर न केवल एनडीए बल्कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी शामिल हो जायेगी।

ललन सिंह

इधर, जदयू और भाजपा से जिन नामों की चर्चा है उनमें बात सबसे पहले जदयू की करते हैं। लोकसभा में तीन सौ से अधिक सीटों वाली भाजपा के बाद जदयू एनडीए का सबसे बड़ा घटक दल है। लोकसभा में जदयू के 16 जबकि राज्यसभा में उसके पांच सदस्य हैं। इन 16 में जिन तीन नामों की चर्चा है उनमें जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह का नाम तय है। दूसरा नाम ललन सिंह का है जिस पर संशय है। बताया जाता है कि 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद जब केंद्रीय मंत्रिमंडल अपना आकार ले रहा था तब ललन सिंह के नाम पर ही बात बिगड़ गयी थी। उस वक्त मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण से पहले नीतीश कुमार यह कह कर दिल्ली से लौट आये थे कि जदयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में न शामिल होगा और ना इस मुद्दे पर आगे कोई बात होगी।

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संतोष कुशवाहा
कविता सिंह

अब जब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने की सार्वजनिक तौर पर घोषणा कर रहे हैं तो एक बार फिर ललन सिंह का नाम दावेदार के तौर पर सामने आ रहा है। यह देखना अभी बाकी है कि इस बार ललन सिंह के नाम पर सहमति बनती है अथवा नहीं। वैसे जदयू की ओर से जिन दो और नामों की चर्चा हो रही है उनमें पूर्णिया के सांसद संतोष कुशवाहा और सीवान की सांसद कविता सिंह हैं। चुंकि प्रधानमंत्री युवा चेहरे पर ज्यादा भरोसा करते हैं इसलिए इनके नामों पर भी सहमति बन सकती है। सीवान की सांसद कविता सिंह नारी सशक्तिकरण के एजेंडे पर भी खरी उतरतीं हैं।

सुशील कुमार मोदी

इधर भाजपा कोटे के केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाने वाला नाम जो सबसे आगे चल रहा है वह सुशील मोदी का है। 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद उपमुख्यमंत्री पद से सुशील मोदी का नाम झटके से काट कर केंद्रीय नेतृत्व ने तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को उप मुख्यमंत्री बना दिया। तब लगने लगा था कि केंद्रीय नेतृत्व ने सुशील मोदी को बिहार की राजनीति से किनारे कर दिया है। पर, रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई सीट से सुशील मोदी को राज्यसभा भेजकर केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी अहमियत को स्वीकार कर लिया था। अब माना जा रहा है कि उन्हें केद्रीय मंत्रिमंडल में भी सम्मानजनक स्थान मिलेगा।

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से एनडीए के दो घटक शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल उसका साथ छोड़ चुके हैं। लोजपा की स्थिति स्पष्ट नहीं है क्योंकि पार्टी प्रमुख चिराग पासवान खुद को एनडीए का हिस्सा मानते हैं। 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बतौर मंत्री लोजपा से रामविलास पासवान, अकाली दल से हरसिमरत कौर और शिवसेना से अरविंद सावंत ने शपथ ली थी।

इनमें से पासवान का निधन हो चुका है जबकि कौर और सावंत की पार्टियां एनडीए से अलग हो चुकी हैं। एक अन्य केंद्रीय मंत्री सुरेश अंगड़ी का भी निधन हो चुका है। इसके चलते 57 सदस्यीय मंत्रिमंडल में अब 53 सदस्य बचे हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कुल 78 मंत्री थे। इस बार मंत्रियों की संख्या कम होने से मंत्रिमंडल के सदस्यों पर काम का अधिक दबाव है। उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में मोदी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और इसमें कुछ नये चेहरे देखने को मिलेंगे।

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