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बढ़ती तपिश के साथ प्यास बुझाने की बड़ी चिंता

रोहतास जिले में पेयजल संकट गहराता नजर आ रहा

पेयजल संकट
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कैमूर पहाड़ी पर बसे गांवों के साथ ही शहर में भी पानी की मारामारी

प्रशासन या जनप्रतिनिधियों की ओर से अब तक ठोस पहल नहीं

 

बजरंगी कुमार सुमन की रिपोर्ट

सासाराम (voice4bihar desk)। बढ़ती तपिश के साथ ही जिले में पेयजल संकट गहराता नजर आ रहा है । जिला मुख्यालय सासाराम से लेकर कैमूर पहाड़ी पर बसे गांवों तक जल संकट की तस्वीरें सामने आने लगी हैं। ऐसे ही पेयजल आपूर्ति व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होना लाजिमी है। जिला मुख्यालय सासाराम सहित प्रखंड एवं अनुमंडल मुख्यालयों में सार्वजनिक जल स्रोतों पर निर्भर राहगीरों की प्यास बुझाने की दिशा में अब तक जिला प्रशासन ने कोई पहल नहीं की है।

स्थानीय लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग भी खराब पड़े चापाकलों को सुधारने की दिशा में कोई प्रयास करता नहीं दिख रहा है। यहां तक कि खराब पड़े चापाकल का आंकड़ा भी स्थानीय अधिकारियों के पास नहीं है। जिला मुख्यालय में बैठे वरीय अधिकारियों के नाक तले की स्थिति यह है तो ग्रामीण इलाकों की बदहाली कल्पना योग्य है।

पहाड़ी पर बसे गांवों में करनी होगी विशेष व्यवस्था

रोहतास, नौहट्टा, तिलौथू, चेनारी व शिवसागर प्रखंड इलाके में पेयजल संकट की समस्या के मद्देनजर जिला प्रशासन कैमूर पहाड़ी के ऊपर बसे गांवों में टैंकर के जरिये जलापूर्ति करता रहा है। बढ़ती गर्मी को लेकर जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार अधिकारियों को क्या निर्देश जारी करते हैं, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

हालांकि यह काम सिर्फ प्रशासन का नहीं है। जनप्रतिनिधियों को भी इसकी जानकारी प्रशासन तक पहुंचानी पड़ती है। अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने जलापूर्ति व्यवस्था में सुधार के बाबत जिला प्रशासन या पीएचईडी के अधिकारियों को कोई पत्र नहीं दिया है। इन दिनों पंचायत चुनाव की बढ़ी सरगर्मी के बावजूद पेयजल संकट के प्रति जनप्रतिनिधियों की उदासीनता चुनावी समीकरण को भी प्रभावित करता नजर आ रहा है।

रोहतास जिले में प्यास बुझाने के लिए चुआ से पानी निकालती वनवासी महिला।
रोहतास जिले में प्यास बुझाने के लिए चुआ से पानी निकालती वनवासी महिला।

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बेकार पड़ी है सासाराम मंडलकारा की जल मीनार

जिला मुख्यालय के अदमापुर में स्थित मंडल कारा में पेयजल आपूर्ति को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। परिसर में स्थित बड़ी जल मीनार सफेद हाथी बन कर सिर्फ शोभा की वस्तु बनी हुई है। जेल अधीक्षक राकेश कुमार के मुताबिक मंडल कारा में 950 पुरुष व 10 महिलाओं के साथ 960 बंदियों को रखने की क्षमता है । अभी टोटल 1004 बंदी है, जिनमें 31 महिलाएं भी शामिल हैं। महिलाओं के साथ 4 बच्चे भी हैं, जिनमें दो बच्चियां और दो बच्चे हैं, जो बंदी नहीं हैं। माँ के साथ रखने की ब्यवस्था के तहत इन्हें परिसर में रखा गया है।

जेल में भी पीने के पानी के लिए मशक्कत

नव पदस्थापित एसपी आशीष भारती की लगातार कार्रवाई के साथ ही मंडलकारा में कैदियों की यह संख्या बढ़ने की संभावना है। हालांकि जेल अधीक्षक राकेश कुमार के अनुसार माननीय न्यायालय द्वारा जारी जमानत के आदेश के आलोक में औसतन 10 -12 बंदियो की जमानतीय रिहाई भी होती रहती है जिसके कारण बंदियों की संख्या में उतार-चढ़ाव होता रहता है।

जेल अधीक्षक की मानें तो पीएचीईडी विभाग को कई बार पत्र लिखे जाने के बावजूद अब तक जलमीनार में पानी संरक्षण की ठप्प ब्यवस्था को दुरूस्त नहीं किया जा सका है । सीधी जलापूर्ति पर मंडलकारा की निर्भरता है। हालांकि मंडल कारा में सबमर्सिबल बोरिंग भी है लेकिन बोरिंग का पानी पीने लायक नहीं होने के कारण मजबूरन लोग प्रयोग करते हैं । मंडल कारा के बाहर मुलाकातियों और परिजनों सहित बंदियों को कारा तक पहुँचाने के दौरान पहुंचने वाले पुलिसकर्मियों के लिए पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है।

प्यास बुझाने में अक्षम सासाराम मंडलकारा की जलमीनार।
प्यास बुझाने में अक्षम सासाराम मंडलकारा की जलमीनार।

40 फ़ीसदी विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में अब तक नल जल कनेक्शन नहीं

कोरोना संक्रमण काल के वाद सरकारी विद्यालयों में चहलकदमी लौटी है, लेकिन सरकारी विद्यालयों खासकर चहारदीवारी विहीन स्कूलों के शौचालयों और चापाकलों की स्थिति बदतर है । जागरूक शिक्षकों द्वारा ब्यवस्था सुधार की कवायद जारी है । सरकारी विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल जल कनेक्शन करने का विभागीय आदेश जारी होने के बावजूद 40 फ़ीसदी विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में अब तक नल जल कनेक्शन नहीं दिया जा सका है।

स्कूलों व आंगनबाड़ी में नल जल कनेक्शन के लिए जारी आदेश।

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