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बिहार की सहभागिता के बिना सफल नहीं होगा किसान आंदोलन : टिकैत

ट्रैक्टर पर गेहूं लादकर बिहार विधानसभा की ओर कूच करें किसान

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रोहतास जिले के करगहर में हुई किसान महापंचायत

Voice4bihar news. केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ दमदार आंदोलन खड़ा करने वाले राष्ट्रीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि देश में कोई भी आंदोलनत बगैर बिहार की सक्रिय सहभागिता के सफल नहीं हो सकता। वर्तमान में चल रहा किसान आंदोलन भी तभी सफल होगा जब बिहार के लोग इसमें सक्रिय सहभागी बनेंगे।

श्री टिकैत गुरुवार को रोहतास जिले के करगहर स्थित जगजीवन स्टेडियम में एक जन सभा को संबोधित कर रहे थे। संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में आयोजित किसान महापंचायत में श्री राकेश टिकैत ने कहा कि देश में किसानों की उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। केंद्र में सत्तारुढ़ नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों को यह बता कर मंडियों को समाप्त कर दिया है कि देश के किसान अपनी फसलों को उचित मूल्य पर देश भर में कहीं भी बेच सकते है, लेकिन सह सिर्फ बरगलाने की कोशिश है।

बिहार में अनाज मंडियों के खात्मा होने का दंश झेल रहे यहां के किसान

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श्री टिकैत ने बिहार का संदर्भ देते हुए कहा कि यहां की नीतीश सरकार ने 2008 में ही मंडियों को समाप्त कर दिया है। तो क्या बिहार के किसानों को उपज का अधिक मूल्य मिल रहा है? हकीकत यह है कि मंडी खत्म होने के नौ साल बाद भी बिहार में किसानों का धान व गेहूं औसतन 1600 रुपये प्रति क्विंटल ही बिक रहा है, जबकि सरकार की ओर से धान की कीमत प्रति क्विंटल 1868 व गेहूं की कीमत प्रति क्विंटल 1975 रुपये निर्धारित है।

कार्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए लाया गया कृषि कानून

उन्होंने कहा कि बिहार के किसानों की इस मजबूरी से अंदाजा लगा सकते हैं कि मंडियों के समाप्त करने से किसे फायदा हुआ है। जाहिर सी बात है कि यह फायदा बिचौलिए को ही मिल रहा है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी अनाज मंडियों को समाप्त कर इसी प्रकार कुछ चुनिंदा कार्पोरेट घरानों को लाभ  पहुंचाना चाहती है। ऐसा करने यह सरकार देश के किसानों की जमीन पूंजीपतियों के हाथों सौंपना चाहती है।

देश में किसी पार्टी की नहीं बल्कि कंपनियों की सरकार

श्री टिकैत ने कहा कि देश में किसी भी राजनीतिक पार्टी की सरकार नहीं है। देश में निजी कम्पनियों की सरकार चल रही है। उन्होंने बिहार के किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि आप दिल्ली की तर्ज अपने अपने ट्रैक्टरों पर गेहूं बेचने के लिए बिहार विधान सभा की ओर कूच करें तभी आपकी आवाज सुनी जायेगी। ऐसा करने पर आपको अनेकों मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। जैसा कि दिल्ली जाने के दौरान पंजाब, हरियाणा व यूपी के किसानों करना पड़ा।

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