शिक्षक बहाली : पटना हाईकोर्ट ने रोक हटायी, शीघ्र बहाली पूर्ण करने को कहा
दिव्यांगों को आवेदन करने के लिए मिला 15 दिनों का मौका
पटना (voice4bihar desk)। बिहार में शिक्षक बहाली पर लगी रोक पटना हाईकोर्ट ने हटा ली है। बृहस्पतिवार को ब्लाइंड फेडरेशन की याचिका का निपटारा करते हुए पटना हाईकोर्ट ने फेडरेशन की दोनों मांगें मान ली। फैसले के अनुसार, शिक्षक बहाली में दिव्योंगों को चार फीसद आरक्षण मिलेगा वहीं उन्हें आवेदन करने के लिए भी 15 दिनों का अतिरिक्त समय दिया जायेगा। व्लाइंड फेडरेशन ने इस फैसले पर संतुष्टि जाहर की है। इसके साथ ही बिहार में शिक्षक बहाली से जुड़े लाखों अभ्यर्थियों में शीघ्र बहाली पूर्ण होने की उम्मीद जगी है।
सोमवार को व्लाइंड फेडरेशन की याचिका का निपटारा करते हुए पटना हाईकोर्ट ने भी सरकार को यथाशीघ्र बहाली प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है। फिलहाल इस फैसले पर शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया नहीं मिली है। पर, जैसा कि शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बार-बार कहा है कि बिहार सरकार न्यायालय की संतुष्टि के अनुरूप बहाली पूर्ण करना चाहती है, ऐसे में माना जा रहा है कि बिहार सरकार इस फैसले को स्वीकार करते हुए अपनी ऊर्जा बहाली को पूर्ण करने में लगायेगी।
विभाग की गलितयों से बार-बार अदालत में घसीटी गयी बहाली
बता दें कि बिहार में वर्तमान में जारी शिक्षक बहाली प्रकिया वर्ष 2019 में शुरू हुई थी। विभाग की गलतियों की वजह से अब तक यह अधर में लटकी हुई है। छात्रों की जायज मांगों को विभाग ने दरकिनार किया और उसे बार-बार हाईकोर्ट में मुंह की खानी पड़ी। ब्लाइंड फेडरेशन वाला मामला पहला नहीं है जब उसे अदालत ने गलत ठहराया है, इसके पहले भी दो बार इसी बहाली के सिलसिले में पटना हाईकोर्ट राज्य सरकार के स्टैंड को गलत ठहरा चुकी है।
एनआईओएस को बहाली से किया दूर तो अभ्यर्थी पहुंचे हाईकोर्ट
2019 में जब विभाग की ओर से बहाली के लिए आवेदन मांगे गये तो इसमें एनआईओएस से शिक्षक प्रशिक्षण का दो साल का कोर्स करने वाले अभ्यर्थियों को आवेदन करने से रोक दिया गया। कहा गया कि इन अभ्यर्थियों ने 18 माह का कोर्स किया है जबकि शिक्षक बहाली के लिए कम से कम दो साल का कोर्स अनिवार्य है। शिक्षक अभ्यर्थियों के एक शिष्टमंडल ने विभाग में मंत्री और अधिकारियों तक अपनी बात रखी पर किसी ने उनकी नहीं सुनी।
असल में केंद्र सरकार ने 2017 में नियम बनाया था कि मार्च 2019 के बाद किसी भी निजी अथवा सरकारी कॉलेज में वही शिक्षक पढ़ाने के योग्य होंगे जो कम से कम दो साल का शिक्षक प्रशिक्षण का कोर्स पास होंगे। इसके लिए केंद्र सरकार के कहने पर एनआईओएस ने 18 महीने का एक कोर्स सेवारत अप्रशिक्षित शिक्षकों को ध्यान में रखते हुए 2017-19 सत्र में डिजाइन किया।
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इसमें सामान्य कोर्स में छह महीने के अघ्यापन की अवधि को शामिल नहीं किया गया यह कहते हुए कि चुंकि ये सभी पूर्व से ही शिक्षक हैं इसलिए उस अवधि को इसमें समायोजित मान लिया जायेगा। एनआईओएस से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षक शनिवार और रविवार को अपने नजदीकी सेंटर पर जाकर पढ़ते थे और शेष दिन वे अपने स्कूलों में पढ़ाते थे।
करीब छह महीने सुप्रीम कोर्ट में खराब करने के बाद माना शिक्षा विभाग
शिक्षा विभाग ने अभ्यर्थियों और एनआईआएस की किसी भी दलील को नहीं माना तो अभ्यर्थी पटना हाईकोर्ट चले गये। पटना हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों और एनआईआएस की दलील को सही ठहराते हुए शिक्षा विभाग को इन्हें भी आवेदन करने का मौका देने का आदेश सुनाया तो शिक्षा विभाग सुप्रीम कोर्ट चला गया। करीब छह महीने सुप्रीम कोर्ट में खराब करने के बाद शिक्षा विभाग ने अपनी याचिका वापस ले ली और पटना हाईकोर्ट के निर्देशानुसार एनआईओएस से प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को आवेदन करने के लिए एक माह का समय दिया।
प्राथिमकता के फरमान के खिलाफ भी मामला हाईकोर्ट पहुंचा
अभी एनआईओएस से प्रशिक्षित अभ्यर्थी आवेदन जमा ही कर रहे थे कि शिक्षा विभाग के एक और गलत फैसले के चलते जुलाई 2019 के पहले हफ्ते में पटना हाईकोर्ट ने नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी। असल में विभाग ने नया फरमरन जारी किया था जिसके अनुसार, प्राथमिक शिक्षकों की बहाली में दो साल का डिप्लोमा कोर्स करने वालों को प्राथमिकता दिया जाना था।
विभाग के आदेश के अनुसार, सीट खाली रह जाने पर ही बीएड डिग्री धारकों को मौका दिया जाना था। बीएड डिग्री धारक सरकार के इस फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट चले गये। पटना हाईकोर्ट ने बीएउ डिग्रीधारकों की इस दलील को सही माना कि विभाग विज्ञापन जारी करने के बाद इसके प्रावधानों में बदलाव नहीं कर सकता है।
अक्टूबर 2020 में पटना हाईकोर्ट ने बहाली पर से रोक हटायी इसके पहले ही जुलाई 2020 में मुख्य न्यायाधीश की डबल अन्य बेंच ब्लाइंड फेडरेशन की याचिका पर बहाली पर रोक लगा चुका था। अब जाकर ब्लाइंड फेडरेशन की याचिका का भी निपटारा हो चुका है और फिलहाल न्यायालय से किसी प्रकार की रोक इस बहाली पर नहीं है। हालांकि सीटेट पास अभ्यर्थी को बहाली से बाहर करने और 2011 में टीईटी पास अभ्यर्थियों को बहाली में आरक्षण देने जैसे मामले अब भी पटना हार्हकोर्ट में लंबित हैं जिन पर न्यायालय समय-समय पर सुनवाई कर रहा है।
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