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राजद के राज्यसभा सांसद एडी सिंह ईडी के शिकंजे में

खाद सब्सीडी घोटाले में गिरफ्तार, अवैध तरीके से अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप

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पटना (voice4bihar desk)। खाद सब्सिडी घोटाले में फंसे राजद के राज्यसभा सांसद एडी सिंह को बृहस्पतिवार की सुबह ईडी ने अवैध तरीके से अकूत संपत्ति अर्जित करने के मामले में गिरफ्तार कर लिया। एडी सिंह को उनके दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया।

ईडी ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा सांसद के दिल्ली के अलावा अन्य बड़े शहरों में उनके ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने पर ईडी के अधिकारी उन्हें गिरफ्तार कर अपने साथ लेते गये। मेडिकल टीम से सिंह के स्वास्थ्य की जांच कराने के बाद ईडी की टीम उन्हें दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय ले गयी जहां उनसे गहन पूछताछ की जा रही है। बताया जाता है कि देर शाम उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेजा जा सकता है।

दुल्हिनबाजार के एनखा गांव के रहने वाले हैं राजद सांसद

एडी सिंह के नाम से चर्चित राज्यसभा सांसद का पूरा नाम अमरेंद्र धारी सिंह है। वे दुल्हिनबाजार के एनखा गांव के रहने वाले हैं। मार्च 2020 में राजद से राज्यसभा सांसद चुने जाने पर उनके गांव में खुशी का माहौल था पर आज गांव वाले इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। बताया जाता है कि पूरा मामला खाद सब्सीडी से मिले सरकारी धन की जालसाजी से जुड़ा हुआ है।

एडी सिंह की कंपनी ज्योति ट्रेडिंग कारपोरेशन का खाद बनाने और बेचने का बड़ा कारोबार है। भारत के अलावा कई देशों में उनका कारोबार फैला हुआ है जहां से वे खाद बनाने में उपयोग के लिए कच्चा माल लाते हैं और तैयार किये गये खाद को कई देशों में निर्यात करते है। उस धंधे में उनकी कंपनी को मोटी कमाई होती है। पर, इस कमाई को और मोटी करने के लिए वे सब्सीडी में घालमेल करते हैं।

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बताते हैं कि एडी सिंह के इस काले कारनामे में IPL (इंडियन फर्टिलाइजर लिमिटेड) और इफको भी साथ देती है। सब्सीडी चुंकि केंद्र सरकार देती है इसलिए प्रत्यक्ष तौर पर इसका नुकसान सरकार को होता है पर इससे किसानों की भी हक मारी जाती है।

इफको-आईपीएल घोटाले के नाम से चर्चित इस मामले की जांच पिछले कई महीने से सीबीआई कर रही है। घोटले की जांच में जब अकूत संपत्ति अर्जित करने का खुलासा हुआ तो सीन में ईडी की एंट्री हुई और एडी सिंह पर शिकंजा कसता गया।

सूत्र बताते हैं कि सब्सीडी की रकम में घालमेल करने के लिए खाद के निर्माण और इसकी बिक्री से जुड़ी कंपनियां कागजों पर इसका लागत मूल्य बढ़ाकर दिखातीं हैं। विदेशों से आयात होने वाले कच्चा माल की कीमत बढ़ाकर दिखायी जाती है जिससे तैयार खाद की कीमत बढ़ जाती है। बढ़ी कीमत का असर किसानों पर कम पड़े इसके चलते बढ़ी हुई कीमत के अनुसार सरकार अपनी ओर से सब्सीडी बढ़ा देती है।

अर्थात् पिछले साल एक बोरी यूरिया की कीमत अगर एक हजार रुपये थी तो अगली बार कंपनी इसकी कीमत लागत मूल्य अधिक दिखाकर 1200 रुपये कर देगी। पिछली बार अगर किसान ने हजार रुपये की बोरी 500 रुपये में खरीदी है तो इस बार उसे 700 रुपये नहीं देना पड़े इसके लिए सरकार अपनी सब्सीडी बढ़ा देती है। किसानों को खुश करने के लिए सरकार कभी बढ़े हुए पूरे मूल्य के अनुरूप सब्सीडी बढ़ा देती है तो कभी इसका कुछ किसानों को भी वहन करना होता है।

यह खेल वर्षों से चल रहा था पर इसका खुलासा हाल ही में होने के बाद इसकी जांच में सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां जुटीं हैं। बताया जाता है कि इस मामले में केंद्रीय एजेंसियां इफको के चेयरमैन यूएस अवस्थी, IPL के पूर्व MD परविंदर सिंह गहलोत समेत कई अन्य बड़े नामों की भी जांच कर रही है।

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