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मुख्यमंत्री पर एफआईआर कराने एससी/एसटी थाने पहुंचे आईएएस अफसर

चार घंटे थाने से भागे रहे थानेदार, बोले-अंग्रेजी में लिखे आवेदन पर समझने के बाद करेंगे कार्रवाई

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पटना (voice4bihar desk)। राजधानी के गर्दनीबाग में स्थित एससी/एसटी थाना दिन भर सुर्खियों में रहा। इस थाने में बिहार के मुख्य सचिव स्तर के आईएएस अफसर मुख्यमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे थे। जब इतने हाई प्रोफाइल मामले की भनक मीडिया को लगी तो थाने के पास मीडिया कर्मियों का जमावड़ा लग गया। दूसरी ओर, जब इसकी खबर एससी/एसटी थाने के प्रभारी को मिली तो वे पिछले दरवाजे से थाने से निकल गये। जब आईएएस अफसर को पता चला कि थानेदार भाग गया है तो वे वहीं जम गये।

करीब चार घंटे बाद तक भी जब आईएएस अफसर वहां से नहीं हिले तो थक हार कर थानेदार थाने पहुंचे और यह कहते हुए उन्हें चलता कर दिया कि आपका आवेदन अंग्रेजी में है, समझने के बाद कार्रवाई करेंगे। इधर मीडिया ने जब आईएएस अफसर से थाने आने की वजह पूछी तो उन्होंने केवल इतना कहा कि वे एफआईआर दर्ज कराने आये हैं और इस वक्त कुछ नहीं बतायेंगे। एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद सब कुछ बता देंगे। दूसरी ओर जब इस बारे में एससी/एसटी थाने के प्रभारी रामानुज कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि लंबा चौड़ा आवेदन है, अभी पढ़े नहीं हैं।

इस बारे में दोपहर से शाम तक एससी/एसटी थाने में ड्रामा चलता रहा पर आधिकारिक रूप से किसी ने नहीं बताया कि सीनियर आईएएस अफसर सुधीर कुमार थाने क्यों पहुंचे थे। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सीनियर आईएएस अफसर सुधीर कुमार एससीएसटी एक्ट के तहत राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने एससी/एसटी थाने पहुंचे थे। हालांकि थानेदार के असहयोग के कारण आईएएस अफसर सुधीर कुमार की एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी।

बीएसएससी प्रश्न पत्र लीक मामले में जेल जा चुके हैं आईएएस अफसर सुधीर कुमार

यहां आपको बता दें कि बता दें कि 1987 बैच के आईएएस अफसर सुधीर कुमार वर्तमान में अपर सदस्य राजस्व पर्षद हैं। वे गृह विभाग के प्रधान सचिव की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं पर उनकी सबसे ज्यादा चर्चा बीएसएससी के अध्यक्ष रहते हुई। 22 फरवरी 2022 को सेवा से रिटायर होने वाले सुधीर कुमार बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

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2014 में उनके अध्यक्ष रहते इंटर स्तरीय संयुक्त परीक्षा का पेपर लीक हुआ था। इस मामले में 2017 में उन्हें निलंबित करते हुए गिरफ्तार किया गया था। बताया जाता है कि इसी मामले में आईएएस अफसर सुधीर कुमार का कहना है कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया था। इस साजिश का हिस्सा वे मुख्यमंत्री, उनके प्रधान सचिव और पटना के तत्कालीन को मानते हैं। इन्हीं लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने वे एसएी एसटी थाने पहुंचे थे।

मुख्यमंत्री में न तो नैतिकता बची और न अंतरआत्मा : तेजस्वी

इधर, पूरे दिन के घटनाक्रम को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव शनिवार को अपने आवास के बाहर मीडिया से मखातिब हुए। उन्होंने कहा कि सुधीर कुमार की एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। मुख्यमंत्री में न तो नैतिकता बची और न अंतरआत्मा। मुझे कहते थे एक्सप्लेन करने, अब खुद एक्सप्लेन करें। उन्होंने कहा कि एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सैकड़ों पन्नों के सबूत सहित मुख्यमंत्री के खिलाफ केस दर्ज कराने थाना जाये और उसकी शिकायत ही दर्ज नहीं की जाये तो आप उसे क्या कहेंगे?

नीतीश कुमार का डर बता रहा है कि उन्होंने गड़बड़ की है तभी इतनी बौखलाहट और बेचैनी है। हमने नहीं देखा कि इस तरह से मुख्यमंत्री पर आरोप लगता हो और तानाशाही रवैया अपनाया जा रहा हो। शिकायत दर्ज़ नहीं हो रही है। शिकायत दर्ज़ कर लीजिए फिर पता चल जाएगा की क्या मामला है। इसमें डर किस बात का है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सामने आकर बताना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार में एक IAS अधिकारी जो मुख्य सचिव के पद पर है पिछले 5-6 घंटे से थाने में बैठे हैं। थाने में उनकी एफआईआर दर्ज़ नहीं हो रही। एक मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी पूरे सबूतों के साथ मुख्यमंत्री और उनके अधिकारियों पर एफआईआर करने पहुंचता है लेकिन एफआईआर दर्ज़ नहीं होती। तेजस्वी ने कहा शर्मनाक और निंदनीय! बिहार में एक अपर मुख्य सचिव स्तर के वरिष्ठ अधिकारी को एफआईआर दर्ज कराने के लिए तरसना पड़ रहा है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री ने कुछ गलत नहीं किया तो फिर एफआईआर से क्यों डरे हुए हैं?

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