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पटना में सामान्य पेट्रोल की कीमत भी सौ के करीब

इसी रफ्तार से बढ़त जारी रही तो सप्ताहांत तक शतकवीर हो जायेगा सामान्य पेट्रोल

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पटना (voice4bihar desk)। बिहार में एक्स्ट्रा प्रीमियम पेट्रोल की कीमत तो पिछले महीने ही शतक लगा चुकी है। अब बारी सामान्य पेट्रोल के शतक लगाने की है। पटना में 15 जून को सामान्य पेट्रोल की कीमत 98.59 रुपये थे। जिस बेलगाम रफ्तार से रोज इसकी कीमत बढ़ रही है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस सप्ताह के अंत तक बिहार में सामान्य पेट्रोल की कीमत भी सौ रुपये को पार कर जायेगी।

पेट्रोल-डीजल बेचकर सरकार सबसे ज्यादा कमाती है टैक्स

पेट्रोल-डीजल बेचकर सरकार सबसे ज्यादा टैक्स कमाती है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत घटती है तो सरकार टैक्स बढ़ाकर अपना मुनाफा बढ़ाती है पर जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ती है तो सरकार टैक्स घटाना भूल जाती है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत के उतार-चढ़ाव का असर सरकारी खजाने पर नहीं होता है। हर हाल में सरकारी खजाना भरता है और उपभोक्ता की जेब खाली होती है।

सस्ते क्रूड ऑयल का मुनाफा चला जाता है सरकारी खजाने में

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आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2014 में क्रूड ऑयल की कीमत 112 डॉलर प्रति बैरल थी तो भारत में पेट्रोल की कीमत 71 रुपये के आस पास थी। हालांकि 2014 में ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत घटने लगी जो 2016 के शुरुआती महीने में घटकर करीब 30 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गयी। उस वक्त दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 60 रुपये में बिकता था। अप्रैल 2017 में सरकार ने तय किया कि अब अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुसार रोज पेट्रोल-डीजल के दाम तय होंगे। कहा गया कि पेट्रोलियम कंपनियां रोज दाम तय करेंगीं।

इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल सस्ता होने पर भारत में ग्राहकों को सस्ते में तेल मिलेगा। पर ऐसा कभी हुआ नहीं। जब तेल के भाव गिरने लगे सरकार ने टैक्स बढ़ाकर उसे थाम दिया और जब भाव बढ़ने लगे तो टैक्स घटाना भूल गयी जिससे तेल लगातार महंगा होता गया। सरकार ने 2010 में पेट्रोल-डीजल की कीमत मार्केट रेट के अनुसार तय करने का अधिकार तेल कंपनियों को दिया पर सब दिन इसमें वर्चस्व सरकार का कायम रहा। यही कारण रहा कि जब क्रूड ऑयल की कीमत 112 डॉलर रही तो भारत में पेट्रोल 71 रुपये प्रति लीटर बिका और जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल की कीमत घटकर प्रति बैरल 30 डॉलर पर पहुंची तो भारत में पेट्रोल सिर्फ 11 रुपये सस्ता हुआ।

तेल का मुनाफा सरकारी खजाने में भरने की होड़ जितनी मनमोहन सरकार में थी उतनी ही मोदी सरकार में भी है। 2004 में जब मनमोहन सरकार ने सत्ता संभाली थी तो दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 33.71 रुपये प्रति लीटर थी। मई 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने उनकी विरासत संभाली तो पेट्रोल दिल्ली में 71.41 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था। यानी दस साल के यूपीए शासन में पेट्रोल की कीमत 38 रुपये बढ़ चुकी थी। इसी तरह नरेंद्र मोदी के सात साल के शासन काल में भारत में पेट्रोल की कीमत में लगभग 28 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है।

हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल की कीमत की बात करें तो मनमोहन सिंह के शासनकाल में जब यह 112 डॉलर प्रति बैरल था तो भारत में पेट्रोल की कीमत करीब 71 रुपये थी और आज जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल करीब 66 डॉलर प्रति बैरल है तो पटना में इसकी कीमत 100 रुपये को छूने को बेताब है। इसमें करीब 33 रुपये केंद्र और करीब 25 रुपये राज्य सरकार की ओर से विभिन्न नामों से टैक्स के रूप में वसूले जाते हैं।

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