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चिराग ने सार्वजनिक की चिट्‌ठी, ताजपोशी के बाद से ही भतीजे से नाराज थे पारस चाचा

पारस चाचा की महत्वाकांक्षा ले डूबी पार्टी और परिवार को, पारिवारिक विवाद की खुल रहीं परतें

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पटना (voice4bihar desk)। लोजपा सांसदों के तख्ता पलट के बाद पासवान परिवार का आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गया है। इस साल जब पूरा देश होली के रंगों में सराबोर था तब पासवान परिवार में कलह चरम पर थी। इस साल होली तक पासवान परिवार के दो मजबूत पिलर ढह चुके थे। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और उनके भाई समस्तीपुर के सांसद रामचंद्र पासवान की मौत हो चुकी थी।

परिवार के सबसे बुजुर्ग और हाजीपुर के सांसद पशुपति कुमार पारस से चिराग को पार्टी और परिवार में अभिभावक का रोल अदा करने की उम्मीद थी पर वे अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे थे। चिट्‌ठी में लिखी चिराग की बातों को सच मानें तो जिस दिन लोजपा में चिराग पासवान की ताजपोशी हुई उसी दिन से पारस चाचा नाराज हो गये। वे अपने भाई रामविलास पासवान से भी दूरी बनाने लगे। रामविलास पासवान के निधन के बाद परिवार में उपजे तनाव को दूर करने के लिए पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और वर्तमान में लोजपा के प्रधान महासचिव अब्दुल खालिक ने भी पहल की पर कोई हल नहीं निकला।

चिराग पासवान ने चिट्‌ठी की शुरुआत बड़े ही भावुक अंदाज में की है। लिखा है कि आज होली के दिन यह पत्र मैं इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि पापा के बिना यह पहली होली है जिसमें हम सब साथ नहीं हैं। जब तक पापा थे इस त्योहार को हम लोग खूब धूमधाम से मनाते थे। पर अब उनके नहीं रहने पर शायद ही हम कभी वैसी होली दुबारा मना पायें। इस पत्र के लिखने से पहले आपसे मिलकर बात करना चाहता था। खालिक साहब और सूरजभान जी ने कई बार प्रयास किया कि यदि कहीं कोई समस्या है तो उसे साथ बैठकर सुलझा लिया जाए। लेकिन आपकी तरफ से कभी कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला जिसके परिणामस्वरूप आज सारी बातें इस पत्र के माध्यम से आपको लिख रहा हूं।

प्रिंस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने तो चाचा ने शुभकामना तक नहीं दी

चिराग ने लिखा है कि 2019 में रामचंद्र चाचा के निधन के बाद से ही मैंने आपमें बदलाव देखा है और आज तक देखते आ रहा हूं। चाचा के निधन के बाद प्रिंस की जिम्मेदारी चाची ने मुझे दी और कहा कि आज से ही मैं ही प्रिंस के लिए पिता समान हूं और मुझे इसके भविष्य को बेहतर करने की जवाबदेही दी। प्रिंस को आगे बढ़ाने के लिए उसको प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मैंने दी ताकि आप सबके सामने ही प्रिंस पार्टी को बढ़ा पाये और बिहार में अपने पांव जमा ले। मुझे विश्वास था कि प्रिंस को मिली नई जिम्मेदारी से आप भी संतुष्ट होंगे पर आप नाराज हो गये और प्रिंस को मिली नई जिम्मेदारी के लिए उसे शुभकामना देना भी उचित नहीं समझा।

पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान (फाइल फोटो)

पार्टी के कार्यक्रमों से भी पारस चाचा ने बनायी दूरी

पापा चाहते थे कि मैं पार्टी के लिए और समय दूं जिसके लिए उन्होंने मुझे पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया। आपने इस फैसले पर भी नाराजगी जताई। जिस दिन मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया आप सिर्फ पांच मिनट के लिए आये, प्रस्तावक बने और चले गए। मेरे अध्यक्ष बनने के बाद आपने घर आना-जाना कम कर दिया।

मुझे मिली नई जिम्मेदारी के बाद मैंने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट यात्रा की शुरूआत की। इसका उद्देश्य था कि मैं पूरे बिहार का भ्रमण कर बिहार की छोटी-बड़ी समस्या को समझकर उसे पार्टी के विजन डॉक्यूमेंट का हिस्सा बनाऊं। इस यात्रा में बिहार के लोगों का अभूतपूर्व साथ और प्यार मिला। पार्टी के सभी सांसद, विधायक और कार्यकर्ता इस यात्रा से काफी खुश थे। मैं चाहता था कि इस यात्रा में मुझे आपका भी आशीर्वाद मिले परन्तु आपने पूरी यात्रा से दूरी बनाये रखी।

कोरोनाकाल के दौरान कई बार महसूस हुआ कि प्रदेश सरकार दूसरे प्रदेशों में रह रहे बिहारियों के साथ कैसा सौतेला व्यवहार कर कर रही है। पापा भी कोरोना में बिहार सरकार के कार्य से बेहद चिंतित थे और मुझसे हमेशा कहते थे कि मैं वहीं करूं जिस पर मैं विश्वास करता हूं अन्यथा जीवन भर मुझे इस बात का पछतावा होगा कि क्यों मैंने कोरोना के दौरान देशभर में फंसे बिहार के लोगों की समस्या सुलझाने के दौरान बिहारियों के पक्ष में अपनी बातों को मजबूती से बिहार सरकार के समक्ष नहीं रखा।

पारस के बदले राजू तिवारी या नूतन सिंह को मंत्री बनाना चाहते थे रामविलास

मुझे आज भी याद है वह दिन जब रातों रात नीतीश कुमार एनडीए की मदद से मुख्यमंत्री बने और आपने खुद एमएलसी और मंत्री बनने की इच्छा जताई और खुद पहले ही नीतीश कुमार से इस विषय पर बात की। इससे पहले पापा राजू तिवारी या नूतन सिंह को मंत्री बनाने की बात सोच रहे थे लेकिन आपके बोलने के बाद पापा ने कुछ नहीं बोला। आपके मंत्री बन जाने से पापा बेहद खुश थे।

मंत्री बनने के बाद आपको पशुपालन विभाग मिला और इससे नाराज होकर आपने मंत्रालय बदलने की बात करने को कहा। आपको लेकर पापा हमेशा चिंतित रहते थे कई बार उन्होंने अमित शाह से आपके लिए बात की ताकि आपको केन्द्र में किसी आयोग में जगह दिलाई जा सके। चाचा जी पापा के हर उस फैसले के साथ मैं खुश था जिसमें आपको एमएलसी, मंत्री और फिर एमपी बनाने की बात थी। हमेशा पापा बोलते थे कि मैं अपने भाईयों को पिता के जैसा प्यार करता हूं ताकि बाबूजी अगर देख रहे हों तो उन्हें शांति मिले।

रामविलास अस्पताल में भर्ती थे, इधर पारस पार्टी विरोधी बयान दे रहे थे

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लॉकडाउन में अनाज बांटने को लेकर पापा और बिहार सरकार में विवाद हुआ जिस पर आपने नीतीश कुमार को कोई जवाब नहीं दिया। मुझ पर या पार्टी पर नीतीश की पार्टी द्वारा जब-जब प्रहार किया गया आप हमेशा खामोश रहे। मुझे याद है कि कुछ दिनों बाद पापा की तबियत खराब हुई और मैं उन्हें अस्पताल ले गया। उनकी रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि उनका हार्ट ट्रांसप्लांट करवाना पड़ेगा। अस्पताल में भी पापा को मीडिया के माध्यम से आपसे जुड़ी पार्टी विरोधी खबरों की जानकारी हुई जिसका आपने कभी खंडन नहीं किया तब पापा ने आईसीयू से आपको फोन कर ऐसी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए कहा।

मैं उस दौरान निरंतर पार्टी के काम और उनके इलाज के बीच संघर्ष करता रहा। इसी बीच पापा ने सुझाव दिया कि पेपर में एैड दिया जाये ताकि पार्टी अपने विचारों को और अधिक लोगों तक पहुंचा पाये। पेपर में विज्ञापन छपवाने के लिए पार्टी के हर एक मजबूत साथी ने अपना योगदान दिया। विज्ञापन छपने से पापा बहुत खुश थे और उस पूरा दिन अस्पताल से ही पार्टी के लोगों को फोन कर विज्ञापन से हो रही पार्टी की चर्चा के बारे में जानकारी ली।

पापा के जाने के बाद मुझे सबसे ज्यादा जरूरत थी आपकी चाचा

पापा ने मुझे बोला कि अब पार्टी को आगे बढ़ाने का समय आ गया है। अब यह समय आ गया था जहां पापा और मैं नीतीश के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। एक साल में पार्टी ने भी काफी मेहनत की थी जिसके आधार पर चुनाव अकेले ही लड़ा जा सकता था। आप अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं थे और यह बात किसी से छुपी नहीं थी। चुनाव के दौरान भी आपने नीतीश कुमार की तारीफ की जिससे पार्टी के प्रदर्शन पर असर पड़ा। मुझे पापा के जाने के बाद सबसे ज्यादा आपकी जरूरत थी लेकिन आपने जब चुनाव के पूर्व नीतीश के पक्ष में बात की तो मुझे बेहद दुःख हुआ।

पार्टी के प्रत्याशियों ने आप पर कार्रवाई करने की मांग की लेकिन मैंने नजरअंदाज किया। पापा के नहीं रहने के बाद एक पिता के तौर पर आपसे मागदर्शन की अपेक्षा रखता था मुझे उम्मीद थी कि जब मैं पापा के निधन के बाद उनके क्रियाकर्म में एक पुत्र की जिम्मेदारी निभा रहा था तब आप चुनाव की तैयारियों में मेरा साथ देते परन्तु आपने चुनाव के प्रचार प्रसार या रणनीति बनाने में कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। पिता तुल्य होने के नाते आपने कभी मुझसे जानना नहीं चाहा कि पापा के निधन के बाद मैं अकेले चुनाव का खर्चा कैसे उठा रहा हूं? पूरे चुनाव में आपने एक भी विधानसभा का दौरा नहीं किया, एक बार भी आर्थिक व्यवस्था की बात मुझसे नहीं की।

लालगंज और जगदीशपुर के सीटिंग विधायक का टिकट काटना चाहते थे पारस

आपके कहने पर उचित टिकट भी दिया लेकिन लालगंज की सीट आप बिटू गुप्ता को देना चाहते थे जबकि पार्टी ने फैसला लिया था कि पार्टी अपने सिटिंग विधायक का टिकट नहीं काटेगी। राज कुमार साह का टिकट पार्टी नहीं काटना चाहती थी और ऐसा ही विवाद जगदीशपुर की सीट पर हुआ था। आपने चुनाव में पांच सिंबल मांगे थे मैंने वो भी आपको भिजवा दिए थे। मात्र दो टिकट नहीं मिलने के कारण आपने पापा की मृत्यु के बाद जिस प्रकार का व्यवहार किया उससे मैं टूट गया और अब रिश्तों पर भरोसा नहीं कर पाता हूं।

पापा की तेरहवीं के लिए चाचा ने मम्मी से लिये 25 लाख रुपये

मैंने हमेशा चाहा कि जैसे पापा हमेशा अपने दोनों भाइयों को साथ लेकर आगे बढ़े उसी तरह मैं भी प्रिंस, कृष्ण और मुस्कान को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करूं। मुझे उम्मीद थी कि हम बच्चों को आगे बढ़ते देख आप खुश होंगे। पापा के बाद मेरी गलतियों को सुधारने की जिम्मेदारी आपकी थी मुश्किल दौर में आपको मेरा मार्गदर्शन करना था परन्तु ऐसा करना तो दूर आपने मुझसे बात करना ही बन्द कर दिया। पार्टी या परिवार में जब भी कोई मुश्किल आई मैंने सबसे पहले आपको याद किया।

पापा के रहते और उनके बाद भी कई बार आपने पार्टी को तोड़ने की कोशिश की। चाचा जी इन सभी बातों के साथ यह बात भी मुझे बहुत दुःख देती है कि पापा की तेरहवीं के कार्यक्रम के लिए भी मम्मी ने 25 लाख रूपये दिए। मुझे यह बात सुनकर पीड़ा हुई और अकेला होने का अहसास हुआ।

सांसद प्रिंस को ब्लैकमेल किये जाने के मामले में भी चाचा ने नहीं की मदद

कुछ दिन पूर्व स्वाति नाम की महिला जो पहले पार्टी से जुड़ी हुई थी वह प्रिंस पर यौन शोषण का आरोप लगाकर ब्लैकमेल कर रही थी। परिवार के बड़े होने के नाते आपसे इस विषय पर परामर्श किया लेकिन आपने इस गंभीर मामले को भी अनदेखा कर दिया। आपके अनदेखा करने के बाद मैंने प्रिंस को पुलिस के पास जाने की सलाह दी ताकि सच और झूठ सामने आये एवं जो कोई भी दोषी हो वह दंडित हो। संगठन को लेकर जब भी मैंने आपसे चर्चा करनी चाही या सुझाव मांगा तो आपने हमेशा ये कहकर नकार दिया कि आपका इससे कुछ लेना देना ही नहीं।

पार्टी के कार्यक्रमों में जब भी आपको आमंत्रित किया गया आपने हमेशा उसे अस्वीकार किया। सार्वजनिक तौर पर आपने अपने साथियों के बीच हमेशा मेरी निंदा की व पार्टी के प्रति हमेशा नकारात्मक बातें कही। मम्मी ने पूरी उम्र इस परिवार को एक रखने में बिताई। आपको एवं रामचंद्र चाचा को सगे भाई से बढ़कर प्यार किया हर सुख-दुःख में आपके एवं चाची के साथ वह चट्टान की तरह खड़ी रही परन्तु आज पापा के नहीं रहने पर उन्हें सबसे ज्यादा आपकी और चाची की जरूरत थी तो आप दोनों ने पूरे तरीके से उन्हें अकेला छोड़ दिया।

यदि आपको मुझसे शिकायत है तो इसकी सजा मम्मी या पूरे परिवार को क्यों दी जा रही है। पार्टी के साथ आप काम करना चाहें तो करें नहीं करना चाहे तो ना करें। लेकिन मुझे और प्रिंस को चाचा की जरूरत है ताकि हमारा परिवार एक रहे। मेरे लिए मुस्कान और प्रिंस में कोई अंतर नहीं है। पार्टी के कामों को परिवार से अलग रखना चाहिए यही मैंने अपने अनुभव से सीखा है।

आपने जो भी कुछ कहा किया मेरे मन में अब कुछ नहीं है यदि आपके मन में कुछ है तो मुझसे खुलकर बात करें। पापा हमेशा चाहते थे कि परिवार एक रहे। पापा के सपनों को और मम्मी की मेहनत को मैं विफल होते नहीं देख सकता इसलिए इस पत्र के माध्यम से आपसे आग्रह करता हूं कि बड़े होने के नाते परिवार एवं पार्टी को एक रखने की जिम्मेदारी आप उसी तरह निभाये जैसे पापा निभाते थे।

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