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आकाश के बहाने जमीं पर आया राजद का अंतरकलह

जगदानंद और तेजप्रताप आमने-सामने, तेजस्वी का जगदानंद सिंह को मौन समर्थन

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पटना (voice4bihar desk)। यूं तो आकाश और गगन का मतलब एक ही है पर इन दोनों नामों के चलते राजद में जो तूफान उठा है उसका दायरा बढ़ता ही जा रहा है। आकाश और गगन के नाम पर शुरू हुई राजद की लड़ाई ने पार्टी से लेकर परिवार तक के कलह को सार्वजनिक कर दिया है। एक दिन पहले जहां राजद के वड़े नेता जगदानंद सिंह और तेजप्रताप यादव ने एक-दूसरे के अस्तित्व को नकारने की कोशिश की वहीं शुक्रवार को तेजप्रताप और तेजस्वी के बीच संजय यादव के आ जाने से पार्टी में जगदानंद सिंह का पलड़ा भारी दिखा।

जगदानंद में इतनी हिम्मत आयी कहां से

जो लोग एक दिन पहले तक पूछ रहे थे कि आखिर वंशवाद परंपरा वाली पार्टी में राजकुमार के अस्तित्व को नकारने की हिम्मत जगदानंद सिंह में कहां से आयी, उन्हें अपने सवालों का जवाब मिल गया है। अब तस्वीर शीशे की तरह साफ है कि जगदानंद सिंह को तेजस्वी का समर्थन हासिल है और तेजप्रताप नहीं चेते तो वे दल में किनारे लग जायेंगे।

तेजप्रताप अपनी पार्टी राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को अपमानित करने का कोई भी मौका नहीं चूके हैं। शुरू में तो जगदानंद सिंह ये कहते हुए अपमान का घूंट पीते रहे कि यह आपस की बात है। वे बैठकर उनसे बात कर लेंगे। पर, जब पानी सिर से ऊपर बहने लगा तब जाकर जगदानंद सिंह पर अपना सम्मान बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

इस बार पार्टी मुख्यालय में नहीं पहुंचे जूतों के सौदागर

15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर वर्षों की वह परंपरा टूट गयी जिसके तहत राजद के प्रदेश अध्यक्ष पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराते रहे थे। इस बार 15 अगस्त को राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पार्टी के प्रदेश मुख्यालय नहीं पहुंचे। नतीजतन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को राष्ट्रीय झंडा फहराने की औपचारिकता पूरी करनी पड़ी।

हालांकि इसके ठीक तीसरे दिन 18 अगस्त को जगदानंद सिंह पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पहुंचते हैं और छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष पद पर से आकाश यादव को हटाते हुए इस पद पर गगन यादव को बैठा देते हैं।

तेजप्रताप यादव।

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इसके बाद ही राजद में तूफान उठा जिसकी रफ्तार रोज तेज होती जा रही है। आकाश यादव को राजद के प्रदेश अध्यक्ष पद पर तेजप्रताप यादव ने ही आसीन कराया था। तेजप्रताप छात्र राजद के संरक्षक हैं। जगदानंद सिंह के इस कदम से तेजप्रताप आग बबूला हो गये। वे राजद से संविधान लेकर अपने प्रदेश अध्यक्ष पर टूट पड़े और उनके कृत्य को संविधान विरोधी करार दिया।

जगदानंद ने पूछा -हू इज तेजप्रताप

तेजप्रताप का कहना है कि राजद के संविधान के मुताबिक किसी को पद से हटाने ये पहले उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। आकाश यादव के मामले में ऐसा नहीं कर जगदानंद सिंह ने राजद के संविधान की धज्जियां उड़ाई है। अगले दिन जब पत्रकारों ने जगदानंद का घ्यान तेजप्रताप के बयान की ओर दिलाया तो उन्होंने ये कहकर कि हू इज तेजप्रताप, मामले को और गरमा दिया।

तेजप्रताप पार्टी नेताओं के खिलाफ पहले भी बयानबाजी करते रहे हैं। आज उनके निशाने पर जगदानंद सिंह हैं। इनके पहले उनके निशाने पर वशिष्ठ नारायण सिंह हुआ करते थे। वशिष्ठ नारायण यूपीए सरकार में केंद्र में मत्री भी रह चुक हैं। संयोग से दोनों नेता राजपूत विरादरी से आते हैं और दोनों लालू प्रसाद के सर्वाधिक विश्वासपात्रों में रह चुके हैं। वशिष्ठ नारायण सिंह की पिछले साल कोरोना के कारण मौत हो चुकी है। हालांकि मौत के कुछ दिन पहले जब वे अस्पताल में भर्ती थे तो वहीं से राजद से इस्तीफा दे दिया था।

जगदानंद पूर्व में तेजप्रताप की बातों को गंभीरता से नहीं लेते थे। पर, उनकी शिकायत वे लालू प्रसाद से दिल्ली तक जाकर कर चुके हैं। हालांकि आठ अगस्त को तेजप्रताप द्वारा हिटलर कहे जाने के बाद जगदानंद सीरियस हो गये और तब जाकर माने जब तेजस्वी ने उन्हें फ्री हैंड दिया। फ्री हैंड मिलते ही जगदानंद के पहले शिकार आकाश यादव बने। आठ अगस्त के कार्यक्रम के र्दारान आकाश यादव तेजस्वी को पहले ही नाराज कर चुके थे। आठ अगस्त को राजद कार्यालय में पार्टी नेताओं की बड़ी बैठक थी। इस बैठक के लिए पार्टी कार्यालय के इर्द-गिर्द जो पोस्टर लगाये गये उसमें तेजस्वी नदारद थे और तेजप्रताप छाये हुए थे।

जगदानंद ने दबा दी तेजप्रताप की दुखती रग

राजद के बड़ नेताओं के निर्देश पर पोस्टर तो हटा दिये गये लेकिन इससे जो बात दिल में बस गयी वह नही हटी। इसलिए जब जगदानंद सिंह को फ्री हैंड मिला तो उन्होंने आकाश यादव को ही पहला निशाना बनाया। आकाश यादव को निशाने पर लेने से जगदानंद सिंह को दोहरा फायदा हुआ। एक तो इसमें उन्हें तेजस्वी का मौन समर्थन मिला वहीं इससे तेजप्रताप की दुखगी रग दब गयी। अगले दिन तेजप्रताप के अस्तित्व को ही नकार कर जगदानंद सिंह ने उन्हें खुली चुनौती दे दी।

अगले दिन जब तेजप्रताप शिकायतों का पुलिंदा लेकर अपने छोटे भाई तेजस्वी के पास राबड़ी आवास पहुंचे तो वहां से भी इग्नोर किये जाने के बाद तमतमाते हुए बाहर आये। हालांकि तेजप्रताप ने इसके लिए सीधे सीधे तेजस्वी को दोषी ठहराने की बजाये उनके पीए संजय यादव पर सारा ठीकरा फोड़ दिया। अब तक इस विवाद का समाधान नहीं हुआ है। तेजप्रताप ने कहा है कि आकाश यादव के मामले को वे कोर्ट ले जायेंगे। साथ ही उन्होंने भी एलान किया है कि जबतक जगदानंद सिंह के खिलाफ पार्टी कार्रवाई नहीं करती है वे पार्टी की किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। अब आने वाला वक्त ही बतायेगा कि आकाश के बहाने सामने आया राजद का यह अंतरकलह यहीं विराम लेता है या यह किसी तार्किक अंत पर पहुंचता है।

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