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बचपन से थी बाल खाने की आदत, किशोरी के पेट से निकला दो किलो बाल

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  • आरा में 14 साल की किशोरी का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर भी हुए हैरान
  • बक्सर के ब्रह्मपुर की रहने वाली है किशोरी, आरा में डॉ. पी सिंह ने किया ऑपरेशन

आरा (voice4bihar desk) । बचपन में कई लोगों में अंगूठा चूसने, नाखून चबाने, आंख व नाक छूने या मिट्‌टी खाने जैसी आदतों के बारे में आपने देखा व सुना होगा, लेकिन अगर कोई दो किलोग्राम बाल खा जाए और वह वर्षों बाद भी पेट में जमा रह जाए तो आश्चर्य होना लाजिमी है। ऐसा ही एक मामला बिहार के आरा में सामने आया है, जहां एक किशोरी के पेट का ऑपरेशन कर डॉक्टरों ने दो किलोग्राम बाल का गुच्छा निकाला।

दरअसल आरा के कतिरा मुहल्ला स्थित कंचन शल्य निकेतन में डॉ पी सिंह ने 14 वर्षीया नेहा कुमारी का ऑपरेशन कर करीब 2 किलो वजन का 15 इंच लम्बा और 6 इंच चौड़ा बाल का गुच्छा पेट से निकाला। यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है। डॉ सिंह ने बताया कि बक्सर जिला के ब्रह्मपुर थाना की रहथुआ निवासी मुन्ना सिंह की पुत्री नेहा कुमारी को 9 फरवरी को आरा के कंचन शल्य निकेतन में उपचार के लिए लाया गया।

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सीटी स्कैन में ट्रिकोवेजोर का पता चला

आरंभिक सभी जांच के बाद मरीज का सीटी स्कैन कराया गया, जिसमें ट्रिकोवेजोर निकला। उन्होंने बताया कि रोगी को बचपन से बाल खाने की आदत थी। जांच के बाद पेट का ऑपरेशन कर बाल का गुच्छा उसके स्टोमेक से निकाला गया। रोगी बिल्कुल ठीक है।

मानसिक रोगियों में होती है यह बीमारी

डॉ सिंह ने बताया कि यह बीमारी (ट्रिकोवेजोर) मानसिक रोगियों में होती है। रोगी अपना या किसी दूसरे का बाल खा जाते हैं , जो पेट की आंत में जमा हो जाता है। बाल एंजाइम से गलता नहीं है। यह बहुत ही कम पाए जाने वाली बीमारी है। इस बीमारी का सिर्फ ऑपरेशन से ही इलाज होता है। फिलहाल ऑपरेशन के बाद लड़की स्वस्थ है लेकिन क्षेत्र में शायद पहली बार ऐसी बीमारी का पता चलने पर लोगों के बीच कौतूहल देखने को मिला।

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