आरा (Voice4bihar Desk)। जीयर स्वामी महाराज ने कहा कि गंगा स्नान का मतलब अनीति, अन्याय, बेईमानी, अधर्म और पाप का त्याग है। शास्त्रों में बताया गया है कि जिस घर में, समाज में, राष्ट्र में, प्रजा और समुदाय में ईश्वर ब्रम्ह को कभी याद न किया जाता हो, कभी चिंतन न किया जाता हो, नितध्यासन न किया जाता हो, गुण गान न किया जाता हो वह घर श्मशान के समान बताया गया है।
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जहां सदाचारी, संत महात्मा, ज्ञानी स्त्रियों का आदर नहीं हो, बालकों को शिक्षा न दी जाती हो वह घर श्मशान के समान बताया गया है। जहां पर जुआ खेला जाता है, शराब का व्यसन है, अनेक प्रकार खान-पान उपद्रव कारी हों, मांस इत्यादि का सेवन होता हो वह भी घर श्मशान के समान बताया गया है। मानव पशुओं के समान भोजन, संतानोत्पत्ति करे तो मानव और पशु में कोई अंतर नहीं।
भोजन तो अनेक योनियों में हम करते हैं। शयन तो हम अनेक योनियों में हम करते हैं। संतान उत्पति तो अनेक योनियों में करते हैं। केवल इसके लिए इस संसार में हम जन्म नही लिए हैं। यदि इन सबके लिए इस संसार में हम आए होते तो परमात्मा हमें मनुष्य नही बनाते, बल्कि इसकी जगह पर और कोई जन्तु बनाते। मानव की पहचान संस्कृति है, संस्कार है। सभ्यता है, सरलता है, सहजता है, कोमलता है।
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