दरभंगा की गौड़ाबौराम सीट पर फंसी वीआईपी, चुनाव अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे संतोष सहनी
राजद के अफजल अली खान की उम्मीदवारी लालू प्रसाद के अनुरोध पर भी नहीं हुई रद्द
दरभंगा जिले में वीआईपी के कुल तीन प्रत्याशी, दो प्रत्याशियों के सामने आई मुसीबत
एक जगह प्रत्याशी को नहीं मिला सिंबल तो दूसरी जगह महागठबंधन के ही दो प्रत्याशी
दरभंगा (Voice4bihar News)। बिहार विधानसभा चुनाव में प्रथम चरण के मतदान से पहले दरभंगा की गौड़ाबौराम विधानसभा सीट पर महागठबंधन के अंदर का विवाद अब खुलकर सामने आ गया है। वहीं चुनाव आयोग के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगे हैं।
सोमवार को नाम वापसी की अंतिम तारीख बीत जाने के बाद यह साफ हो गया कि अब इस सीट पर महागठबंधन के दो प्रत्याशी आमने-सामने होंगे। आरजेडी के टिकट पर नामांकन करने वाले अफजल अली खान ने अपना नाम वापस नहीं लिया है, जबकि वीआईपी की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी चुनाव मैदान में हैं।
एक तरफ गौड़ाबौराम सीट पर अब एक ही गठबंधन के दो उम्मीदवार आमने-सामने होंगे, तो दूसरी ओर कुशेश्वरस्थान सीट पर तकनीकी वजह से वीआईपी के उम्मीदवार को सिंबल नहीं मिला। अब वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में रहेंगे। उल्लेखनीय है कि दरभंगा जिले में वीआईपी को तीन सीटें दी गयी थी, लेकिन दो सीटों पर उसे मतदान से पहले ही बड़ा झटका लग गया है।
अधिकारियों पर आरोप, जान-बूझकर रद्द नहीं किया राजद के प्रत्याशी का नामांकन
इस बीच विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष संतोष सहनी ने मंगलवार को कहा कि वह दरभंगा जिले की गौड़ाबौराम विधानसभा सीट के चुनाव अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के उम्मीदवार अफजल अली खान की उम्मीदवारी पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद के लिखित अनुरोध के बावजूद रद्द नहीं की गई।
वीआईपी के संतोष सहनी ही महागठबंधन के आधिकारिक उम्मीदवार
लालू प्रसाद ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को पत्र लिखकर खान की उम्मीदवारी को ‘अमान्य’ मानने का आग्रह किया था, लेकिन चुनाव अधिकारियों ने इसे स्वीकार नहीं किया। संतोष सहनी ने कहा, ‘मैं संबंधित चुनाव अधिकारियों के खिलाफ उच्च न्यायालय जाऊंगा। जब लालू प्रसाद ने सीईओ को लिखित रूप से बता दिया कि खान की उम्मीदवारी रद्द की जाए, तो अधिकारियों को इसे खारिज कर देना चाहिए था। मैं यहां महागठबंधन का आधिकारिक उम्मीदवार हूं, यह बिल्कुल स्पष्ट है, लेकिन अधिकारियों ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया।’
राजद के सिंबल पर पहले अफजल ने किया नामांकन, फिर वीआईपी को मिली सीट
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उल्लेखनीय है कि नामांकन के दौरान ही इस सीट पर बवाल मच गया था। पहले आरजेडी के अफजल अली खान ने लालटेन चिन्ह पर नामांकन कराया था। बाद में वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के बीच बातचीत के बाद यह सीट वीआईपी को दे दी गई। अंतिम दिन वीआईपी ने इस सीट से अपने छोटे भाई व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी को उम्मीदवार बनाया। बावजूद इसके अफजल अली खान ने नाम वापस नहीं लिया।

राजद प्रत्याशी अफजल ने कहा- मैं राष्ट्रीय जनता दल से ही चुनाव लडूंगा।’
नाम वापसी की अंतिम तारीख गुजरने के बाद जब अफजल अली खान से बात की गई, तो उन्होंने कहा- ‘मैं राष्ट्रीय जनता दल से ही चुनाव लडूंगा। मुझे टिकट पार्टी ने दिया है और मैंने आरजेडी के सिंबल लालटेन पर ही नामांकन किया है। टिकट रद्द करने की जानकारी मुझे नही मिली है।’ उन्होंने आगे कहा कि हमारा मुकेश सहनी, तेजस्वी यादव या गठबंधन के किसी भी साथी से कोई मतभेद नहीं है। यह एक दोस्ताना लड़ाई होगी। तेजस्वी यादव मेरे प्रचार में जरूर आएंगे। हम सब इंडिया गठबंधन के हिस्से हैं, आगे जाकर हम तय करेंगे कि क्षेत्र के लिए कौन उपयोगी है।’
17 अक्टूबर को ही आरजेडी ने जिला निर्वाचन अधिकारी को दी थी सूचना
आरजेडी के प्रदेश महासचिव मुख्यालय प्रभारी मुकुंद सिंह ने जिला निर्वाचन पदाधिकारी, दरभंगा को पत्र 17 अक्टूबर को भेजकर स्पष्ट किया था कि गौड़ाबौराम सीट इंडिया गठबंधन की ओर से वीआईपी पार्टी को दी गई है। पत्र में लिखा गया है कि आरजेडी ने इस सीट से किसी भी प्रत्याशी को अधिकृत नहीं किया है और न ही पार्टी के चुनाव चिन्ह लालटेन पर किसी को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई है।
पीछे हटने को तैयार नहीं अफजल, मतदाताओं में भ्रम की स्थिति
उन्होंने निर्वाचन पदाधिकारी से अनुरोध किया है कि इस संबंध में यदि कोई दावा या आवेदन आए तो उसे अमान्य माना जाए। नाम वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब यह तय है कि गौड़ाौराम में महागठबंधन के भीतर जंग देखने को मिलेगी। महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि राजद के स्थानीय कार्यकर्ता संतोष सहनी के लिए प्रचार कर रहे हैं, लेकिन अफजल अली खान की उम्मीदवारी से मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है, क्योंकि वह ‘लालटेन’ चुनाव चिह्न के साथ मैदान में डटे हैं।
कुशेश्वर स्थान सीट पर वीआईपी प्रत्याशी को नहीं मिला सिंबल, निर्दलीय लड़ रहे
दरभंगा जिले की ही एक अन्य विधानसभा सीट कुशेश्वरस्थान से वीआईपी के टिकट पर नामांकन करने वाले गणेश भारती को वीआईपी का सिंबल इसलिए नहीं मिला क्योंकि उनके आवेदन पर राष्ट्रीय अध्यक्ष का हस्ताक्षर नहीं था। इस वजह से वह निर्दलीय उम्मीदवार बनकर रह गए। ऐसे में लोगों का कहना है कि नामांकन से ठीक कुछ घंटे पहले लिए गए निर्णय के कारण ही वीआईपी के सामने यह समस्या उत्पन्न हुई है।
फोटो 5 अफजल अली खां फोटो 6 संतोष सहनी फोटो 7 गणेश भारती