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शराबबंदी कानून पर सुप्रीम कोर्ट की फिर कड़ी टिप्पणी, बिहार सरकार को लगाई फटकार

ब्रेथ एनालाइजर से जांच कर किसी को शराब सेवन के आरोप में गिरफ्तार करने का मामला

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पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने दी थी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

Voice4bihar News. बिहार में लागू पूर्ण शराबबंदी कानून से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर बिहार सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार राज्य बनाम नरेंद्र कुमार प्रकरण में एक बार फिर बिहार सरकार को शराबबंदी कानून के प्रति उनके उदासीन रवैये के लिए फटकार लगाई। मामला ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट के आधार पर शराबबंदी कानून के तहत हुई गिरफ्तारी को चुनौती देने से जुड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट की द्विसदस्यीय पीठ में शामिल न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा के समक्ष इस मामले की सुनवाई चल रही थी। बिहार राज्य बनाम नरेंद्र कुमार प्रकरण में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह, अधिवक्ता शिवेश सिन्हा एवं अधिवक्ता अमृत कुमार ने इस केस की पैरवी की। नरेंद्र कुमार राम की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने यह प्रस्तुत किया कि बिहार में शराबबंदी ने पूरे राज्य को बोझिल कर दिया है।

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पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके न्यायमूर्ति संजय करोल ने इस केस की सुनवाई के दौरान कहा कि “पूरा राज्य शराबबंदी की गिरफ्त में है और इसने पूरे राज्य में अराजक स्थिति पैदा कर दी है। न्यायपालिका, पुलिस अधिकारी सभी इस विधायी गलत निर्णय का खामियाज़ा भुगत रहे हैं।” अदालत ने राज्य सरकार से 2016 से अब तक इस कानून के तहत शुरू की गई अभियोजन कार्यवाही के आंकड़े और विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने यह भी प्रश्न उठाया कि क्या राज्य के अधिकारी आधी रात को किसी के घर में घुसकर उसे ब्रेथ एनालाइज़र या चिकित्सकीय जांच के लिए बाध्य कर सकते हैं, और क्या यह अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत संवैधानिक रूप से अनुमत है। न्यायमूर्ति करोल ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि वे ऐसे प्रावधानों की संवैधानिक वैधता की जांच भी करेंगे।

मालूम हो कि नरेंद्र कुमार राम की ओर से पटना हाईकोर्ट में पेश अधिवक्ता शिवेश सिन्हा ने केवल ब्रेथ एनलाइजर से जांच कर किसी को शराब सेवन के आरोप में गिरफ्तार कर लेने को चुनौती दी थी। इस पर पटना हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने इसी फरवरी महीने में दिए अपने फैसले में केवल ब्रेथ एनलाइजर रिपोर्ट पर शराबबंदी कानून के तहत दर्ज केस को अवैध ठहरा दिया था। पटना हाईकोर्ट के उसी आदेश को बिहार सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। ‌

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