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जिस दफ्तर में घूस लेते धराए, पुनः उसी जगह हुयी पोस्टिंग, स्वास्थ्य महकमे का अजब खेल

रोहतास जिले में ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल में सिविल सर्जन पर उठ रही उंगली

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डीएम राेहतास ने दिये जांच के आदेश, दो माह बाद भी बेशर्मी की नहीं गिरी दीवार

जिला बीस सूत्री समिति के सदस्य विनोद कुशवाहा ने जिला प्रभारी मंत्री के समक्ष उठाया मुद्दा

पंकज प्रताप मौर्य के साथ बजरंगी कुमार की रिपोर्ट

सासाराम (Voice4biharNews)। भ्रष्टाचार व घूस लेने के आरोप में दबोचे गए स्वास्थ्य विभाग के दो क्लर्कों को रोहतास सिविल सर्जन डॉ. मणिराज रंजन ने पुनः अपने कार्यालय में कार्य करने की जिम्मेदारी सौंपी है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने घूस लेने के आरोप में क्लर्क राजकृष्ण उर्फ पिंटू को दिसंबर 2021 में जबकि क्लर्क संतोष कुमार को अगस्त 2023 में घूस के रुप में मोटी रकम लेते हुए रंगेहाथ दबोचा था। सिविल सर्जन कार्यालय व एसीएमओ कार्यालय में दो दागी क्लर्कों की पोस्टिंग का मामला जिला 20सूत्री समिति की बैठक में उठा तो डीएम उदिता सिंह ने इसकी जांच का आदेश दिया है।हद तो तब है जब सत्ताधारी दल के नगर निगम जदयू अध्यक्ष सह जिला बीस सूत्री सदस्य ने मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के दौरान लिखित शिकायत देकर कारवाई की मांग किया बावजूद इसके अबतक बेशर्मी की दीवार नहीं ढही है। रिश्वतखोरी के आरोपी लिपिकों को अब तक नहीं हटाया गया है।

जिला कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति की बैठक में उठा मुद्दा, कठघरे में स्वास्थ्य प्रशासन

दरअसल, जिला बीस सूत्री समिति के सदस्य विनोद कुशवाहा ने इस मुद्दे को जिला प्रभारी मंत्री जयंत राज के समक्ष उठाकर प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। एक तरफ रिश्वतखोरी के खिलाफ मुहिम छेड़कर निगरानी विभाग भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने का काम कर रहा है, वहीं रोहतास जिला में बैठे अधिकारी पुनः दागी कर्मचारियों को उसी जगह पोस्टिंग देकर उपकृत करने में लगे हैं। विगत 4 जुलाई 2025 को जिला प्रभारी मंत्री जयंत राज की अध्यक्षता में हुई जिला कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति की बैठक में यह मामला उठा।

जिस अफसर की कार्यशैली पर सवाल, उसे ही मिला जांच का जिम्मा

जिला बीस सूत्री समिति के सदस्य विनोद कुशवाहा ने इस आशय का मामला उठाया। जिसमें कहा गया है कि सिविल सर्जन डॉ. मणिराज रंजन ने सरकारी नियमों को ताक पर रखते हुए भ्रष्टाचार में लिप्त घूसखोर लिपिकों को पुनः अपने कार्यालय एवं एसीएमओ कार्यालय में पदस्थापित कर लिया है। इस संबंध में जांच व कार्रवाई करने की जिम्मेवारी सिविल सर्जन रोहतास या अनुमंडल पदाधिकारी, सासाराम को सौंपी गयी है। हालांकि दागी व भ्रष्ट कर्मचारियों की पदस्थापना में सिविल सर्जन खुद आरोपी हैं। ऐसे में देखना होगा कि इस मामले में जांच व कार्रवाई की दिशा क्या होती है।

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दिसंबर 2021 में घूस लेते हुई थी गिरफ्तारी, जून 2025 में उसी ओहदे पर लौटे

उल्लेखनीय है कि, दिसंबर 2021 में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की मुख्यालय टीम ने सिविल सर्जन कार्यालय सासाराम में तैनात क्लर्क राजकृष्ण उर्फ पिंटू को 10,000/- रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। अभी आरोपों से पूरी तरह मुक्ति भी नहीं मिली कि 17 जून 2025 को एक आदेश जारी कर सिविल सर्जन-सह-मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी रोहतास डॉ. मणिराज रंजन ने अपने कार्यालय में क्लर्कों की कमी का हवाला देते हुए फिर उसी कुर्सी पर बैठा दिया।

संतोष कुमार, लिपिक, सिविल सर्जन कार्यालय, सासाराम को घूसखोरी के आरोप में पकड़कर ले जाती निगरानी की टीम। (फाइल फोटो)

सिविल सर्जन ने चार लिपिकों का तबादला किया, लेकिन विवाद सिर्फ दो पर

पत्र में कहा गया कि सिविल सर्जन कार्यालय में लिपिकों के स्वीकृत 4 (चार) पदों के विरूद्ध मात्र एक लिपिक के कार्यरत रहने के कारण कामकाज में परेशानी होती थी। इसके मद्देनजर कार्यहित में अशोक कुमार, लिपिक, सदर अस्पताल, सासाराम, अमित रमण, लिपिक, जिला मलेरिया कार्यालय, रोहतास एवं राज कृष्ण उर्फ पिंटू, लिपिक, राजकीय फार्मेसी महाविद्यालय, रोहतास (सासाराम) को स्थानांतरित करते हुये अगले आदेश तक सिविल सर्जन कार्यालय सासाराम में लिपिक के रिक्त पद पर पदस्थापित किया जाता है। पत्र जारी होते ही खलबली मच गयी। इसमें आपत्ति सिर्फ राज कृष्ण उर्फ पिंटू और संतोष कुमार के नाम को लेकर है। निगरानी द्वारा दबोचे जाने के आरोपियों की पोस्टिंग पर आपत्ति लाजिमी है।

राजकृष्ण उर्फ पिन्टू, लिपिक, सिविल सर्जन कार्यालय, सासाराम को घूसखोरी के आरोप में पकड़कर ले जाती निगरानी की टीम। (फाइल फोटो)

शिकायतकर्ता ने कहा- यह “भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति” के खिलाफ

शिकायतकर्ता का आरोप है कि “भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति” अपनाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयासों को धता बताने वाला कार्य सासाराम में हुआ है। घूसखोरी में पकड़े गए क्लर्कों को न तो बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने क्लिनचिट दी है और ने किसी सक्षम अदालत ने ही बरी किया है। इन्हें सिर्फ जमानत पर रिहा किया गया है। यह सब जानते हुए भी सिविल सर्जन डॉ. मणिराज रंजन ने 17 जून 2025 को जारी पत्रांक 1568 दिनांक के द्वारा निगरानी द्वारा रिश्वतखोरी के आरोपी लिपिक राज कृष्ण को पुनः सिविल सर्जन कार्यालय में एवं पत्रांक 1567 के द्वारा रिश्वतखोरी के आरोपी लिपिक संतोष कुमार को उसी कार्यालय परिसर में सिविल सर्जन कक्ष के स्टे कक्ष में संचालित अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी रोहतास के कार्यालय में पदस्थापित कर दिया।

जदयू नगर अध्यक्ष सह जिला बीस सूत्री समिति सदस्य का आरोप है कि यह सब सिविल सर्जन कार्यालय में पुनः रिश्वतखोरी एवं भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के मकसद से किया गया है। उन्होंने जिला 20सूत्री समिति के अध्यक्ष के नाते प्रभारी मंत्री जयंत राज से समिति की बैठक में लिखित आवेदन देकर अनुरोध किया है कि सिविल सर्जन रोहतास के कार्यकलापों की विस्तृत जांच कर दोनों रिश्वतखोर, भ्रष्टाचारी लिपिकों को रोहतास जिले के सुदूर प्रखण्डों में पदस्थापित कराया जाए। बहरहाल देखना है कि जिला प्रशासन स्वयं को इस आरोप से बेदाग बनाने के लिए कब और क्या कारवाई कर्ता है साथ हीं यह भी देखना दिलचस्प होगा कि शिकायत कर्ता इस मुहिम को आगे कहां तक जारी रखते हैं।

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