Header 300×250 Mobile

- Sponsored -

चौतरफा घिरते जा रहे सम्राट, अपने भी उतरे विरोध में

बिहार के उपमुख्यमंत्री पर छह लोगों की हत्या में संलिप्त होने और अपनी उम्र को लेकर हेराफेरी करने का आरोप

0 88

- Sponsored -

- sponsored -

पटना (voice4bihar news)। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चौतरफा घिरते जा रहे हैं। जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर के लगातार खुलासे के बाद भाजपा के साथ ही एनडीए की सहयोगी जदयू भी सम्राट के इस्तीफे की मांग कर रहा है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता अश्विनी चौबे ने राजनीति में सुचिता के लिए 11 अक्टूबर को जेपी आवास में उपवास पर बैठने की घोषणा कर दी है। वहीं बुधवार को जनसुराज ने बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां को ज्ञापन सौंपकर उपमुख्यमंत्री को बर्खास्त कर हत्या और जालसाजी के मामले में गिरफ्तार करने की मांग की है।

दुर्गा पूजा की छुट्‌टी के बाद जनसुराज जाएगी अदालत

जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने राजभवन के वरिष्ठ अधिकारी को ज्ञापन सौंपने के बाद बताया कि ज्ञापन पार्टी का अगला कदम मामले को अदालत में ले जाने का है। हालांकि उन्होंने इस संबंध में किसी तारीख का एलान नहीं किया पर समझा जाता है कि दुर्गा पूजा अवकाश के बाद 07 सितंबर को पटना हाईकोर्ट में कामकाज शुरू होने के बाद जनसुराज सम्राट चौधरी के खिलाफ इस मामले को पटना हाईकोर्ट ले जाएगी।

जनसुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह, प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती, महासचिव किशोर कुमार और पूर्व विधान पार्षद रामबली सिंह चंद्रवंशी के हस्तक्षयुक्त ज्ञापन में बिहार के राज्यपाल को जानकारी दी गयी है कि बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की छह हत्याओं में संलिप्ता और विधान सभा/परिषद चुनावों के दौरान दायर घोषणापत्रों में जालसाजी से जुड़े ठोस साक्ष्य एवं दस्तावेज सार्वजनिक किए गए हैं।

बताया गया है कि वर्ष 1995 में विधान सभा चुनाव की मतगणना के दौरान 29 मार्च को मुंगेर जिले के लौना परसा गांव में कांग्रेस नेता एवं विधानसभा प्रत्याशी सच्चिदानंद सिंह और उनके समर्थकों पर बम एवं गोलियों से हमला किया गया, जिसमें सिंह सहित पांच अन्य व्यक्तियों की मृत्यु हुई।

विज्ञापन

इस घटना से संबंधित तारापुर थाना कांड संख्या 44/1995 दिनांक 29/03/1995 दर्ज हुआ। इस कांड में सम्म्राट चौधरी उर्फ राकेश कुमार अभियुक्त बनाए गए तथा पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी भी हुई, किंतु उन्होंने मुख्य न्यायिक दंधिकारी के सामने स्कूल का सर्टिफिकेट दिखाकर स्वयं को नाबालिग बताकर जमानत प्राप्त की।

वर्ष 1999 में बिना विधान सभा अथवा विधान परिषद का सदस्य बने जब उन्हें कृषि विभाग में मंत्री बनाया गया, तब पीके सिन्हा की याचिका पर बिहार के तत्कालीन राज्यपाल ने उन्हें 25 वर्ष की आयु से कम होने के आधार पर मंत्री पद से हटा दिया।

इसके बाद वर्ष 2000 में सम्राट चौधरी परबत्ता विधान सभा क्षेत्र से विधान चुनाव लड़े और विधायक बने। उनकी सदस्यता को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के पुत्र सुशील कुमार ने न्यायालय में चुनौती दी। इस मामले में सर्वोच न्यायालय ने वर्ष 2003 में अपना निर्णय दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि जमानत प्राप्त करने के लिए सम्म्राट चौधरी ने वर्ष 1996 में अपनी आयु 16 वर्ष से कम दर्शाई थी। न्यायालय ने उनके द्वारा प्रस्तुत विद्यालय के फ़र्जी दस्तावेजों को मानने से इंकार किया और इस आधार पर वर्ष 2000 में हुआ, उनका निर्वाचन निरस्त कर दिया गया।

नवंबर 2005 के विधान सभा चुनाव में भी इसी आधार पर उच्च न्यायालय ने उनकी उम्मीदवारी रद्द की थी। आश्चर्यजनक यह है कि वर्ष 2010 के विधान सभा चुनाव में सम्राट चौधरी ने अपने नामांकन पत्र में अपनी उम्र 28 वर्ष बतायी और वर्ष 2020 के विधान परिषद चुनाव हेतु प्रस्तुत घोषणापत्र में उन्होंने अपनी आयु 51 वर्ष दर्ज की है, जबकि सर्वोच न्यायालय के अवलोकन के अनुसार यदि 1996 में उनकी आयु 16 वर्ष से कम थी, तो 2020 में उनकी आयु 40 वर्ष से भी कम होनी चाहिए।

ज्ञापन में कहा गया है कि सम्राट चौधरी ने उक्त हत्याकांड से बचने के लिए स्वयं को नाबालिग दर्शाया और न्यायिक व्यवस्था को धोखे में रखा तथा पुनः वर्ष 2020 में न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए झूठी जानकारी प्रस्तुत कर चुनाव जीता और उपमुख्यमंत्री पद पर आसीन हो गए।

अतः देश की लोकतांत्रिक एवं न्यायिक व्यवस्था में जनमानस का विश्वास बनाए रखने हेतु यह आवश्यक है कि सम्राट चौधरी को तत्काल उपमुख्यमंत्री पद से हटाया जाए, हत्या और जलसाजी के मामले में तुरंत गिरफ्तार किया जाए तथा पूरे मामले का उच्च न्यायालय की निगरानी में निष्पक्ष अन्वेषण कराया जाए।

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored

Leave A Reply