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RSS का पंच परिवर्तन संकल्प अभियान शुरू

संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर शुरू किया गया अभियान

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पटना (voice4bihar news)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने विजयादशमी के दिन पटना में पंच परिवर्तन संकल्प अभियान प्रारंभ किया। पटना की साधनापुरी बस्ती में अभियान का प्रारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार और पटना के चिकित्सक डॉ. रोहित ने किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आलोक कुमार ने कहा कि सनातन संस्कृति और भारतीय समाज में विजयदशमी के दिन संकल्पित कार्यों के सिद्धि के प्रमाण मिलते हैं। इस कारण ही विजयादशमी के दिन हिंदुत्व की रक्षा करते हुए राष्ट्रहित साधने के लिए डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। आज उसके 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष पर संघ अपना कोई उत्सव नहीं मना रहा है। संघ का मानना है कि अभी भी कई कार्य अधूरे हैं, जिन्हें अगले 10 से 15 वर्षों में साधने का संकल्प किया जाएगा। इस संकल्प का नाम पंच परिवर्तन संकल्प अभियान दिया गया है। इसे स्वयंसेवक समाज के सभी व्यक्तियों तक पहुंचाएंगे।

उन्होंने कहा कि अगले 10-15 वर्षों में जब यह अभियान सम्पन्न होगा तो भारत को परम वैभव प्राप्त करते हुए विकसित होने से कोई शक्ति रोक नहीं पाएगी। इसी पुनीत कार्य के लिए संघ ने विजयादशमी जैसे शुभ अवसर पर इसका श्री गणेश किया है।

अभियान के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पंच परिवर्तन संकल्प में पहला संकल्प स्व का है हर भारतीय नागरिक में स्व का बोध होना भारतीयता के सतत होने के लिए आवश्यक है। सैकड़ों वर्षों तक विदेशी आक्रमणकारियों की दमन नीति ने भारतीय नागरिकों से स्व का बोध क्षीण कर दिया है। इस स्व को प्रखर करने के लिए संघ स्वदेशी और संस्कृति को समाज के हर वर्ग तक ले जाएगा।

दूसरा संकल्प समरसता का है। हमारी संस्कृति और परंपराएं एक-दूसरे से समानता और सम्मानजनक व्यवहार सिखाती हैं। परन्तु सामाजिक विसंगतियों के कारण जातिगत भेदभाव समाज में अभी भी व्याप्त है। समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया ने भी कहा था भारत से जाति जाती ही नहीं है। संघ ने दूसरे संकल्प में जातिगत भेदभाव उन्मूलन कर सामाजिक समरसता का संकल्प लिया है।

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तीसरा संकल्प प्रकृति संरक्षण का है। अब बच्चों को भी एहसास हो रहा है कि मनुष्य जाति ने अपने कार्यों से प्रकृति में असंतुलन पैदा कर दिया है। भारतीय चिंतन और संस्कृति मनुष्य को जरूरत के अनुसार भोग करना सिखाती है। २१वीं शताब्दी में मनुष्यों के असीमित भोग करने की प्रवृति ने अतिवाद का संकट खड़ा कर दिया है जिसके कारण यह असंतुलन पैदा हो रहा है।

संघ के स्वयंसेवक समाज तक अतिवाद से बचने का संदेश लेकर जाएंगे जिससे आवश्यकता से अधिक उपभोग की आदत कम की जा सके और इसका सकारात्मक प्रभाव वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण इत्यादि पर दिखे। संघ ने इसका जीवंत उदाहरण इसी वर्ष सम्पन्न हुए महाकुंभ मेले में प्रदर्शित किया था, जब स्वयंसेवकों ने समस्त देश से थाली इकट्ठा कर प्रयागराज में दान किया और महाकुंभ के लाखों टन कचरों से गंगा माता को मुक्ति दिलाई।

कुटुम्ब प्रबोधन का संकल्प चौथा संकल्प है। हजारों विदेशी अतिक्रमणकारियों के हमले और सैकड़ों वर्षों के विदेशी शासन के बावजूद भारत की संस्कृति सुरक्षित रह पाई तो उसके पीछे भारत की परिवार व्यवस्था है। भारत को तोड़ने वाली शक्तियां अब इस परिवार व्यवस्था को तोड़ने में लग गईं हैं।

संयुक्त परिवार को खराब बताकर एकल परिवार को अच्छा बताया जा रहा है। जिस अतिथि को हमारी सभ्यता में देवतुल्य माना गया है, उसे अब अवांछित बनाया जा रहा है। इसलिए अब स्वयंसेवक परिवार को सहेजने और इसका चलन बढ़ाने के लिए परिवार प्रबोधन के संकल्प को समाज के हर वर्ग तक ले जायेंगे।

हमारा पांचवां संकल्प है नागरिक कर्त्तव्यबोध का। विगत कई दशकों से अधिकारों के प्रति सजगता बढ़ी है पर कर्त्तव्य बोध का अभाव रहा है जिसके परिणामस्वरूप अधिकारों में टकराहट बढ़ती जा रही है। कई बार ऐसा देखा गया है कि एक वर्ग दूसरे वर्ग के अधिकारों का या तो अतिक्रमण कर रहा है या हनन कर रहा है। अगर अधिकार बोध के पहले कर्त्तव्य बोध जागृत हो जाए तो अधिकारों का संघर्ष न्यूनतम किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए सिंगापुर में नागरिकों का कर्त्तव्य बोध पूरे देश को स्वच्छ रखता है। यूरोपियन देशों में नदियों को स्वच्छ रखने का नागरिक बोध है। भारत के दर्शन में महिलाओं व बुजुर्गों के प्रति आदर भाव रखना सिखाया गया है परंतु यथार्थ में कुछ त्रुटियां है। इसलिए स्वयंसेवक इस संकल्प के साथ समाज में जायेंगे कि प्रत्येक मनुष्य में नागरिक कर्त्तव्य बोध जागृत करें।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. रोहित ने विजयादशमी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने संघ के शताब्दी वर्ष की जानकारी देते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में संघ ने अपने समर्पण से विश्व के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठन के रूप में अपने को स्थापित किया है। इसके पीछे स्वयंसेवकों की अहर्निश परिश्रम और निस्वार्थ सेवा की भावना रही है। कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने पथ संचलन भी निकाला। यह जानकारी RSS के पटना महानगर प्रचार प्रमुख राकेश रमन ने दी।

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