विधानसभा चुनाव में जातीय दंभ वाले गानों के जरिये नेताओं राजद की छवि बिगाड़ने का आरोप
पटना (Voice4bihar News.) बिहार में गोली, कट्टा, बंदूक व रंगदारी जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर जातीय दंभ प्रदर्शित करने वाले गायक व गीतकारों की अब खैर नहीं। भोजपुरी, मगही व मैथिली बोली में गाये गए ऐसे गानों पर कार्रवाई की पहल राष्ट्रीय जनता दल ने की है। राजद ने ऐसे 32 कलाकारों को लीगल नोटिस भेज कर मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी दी है। इनमें ज्यादातर गायक हैं।
चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री ने गानों के जरिये राजद पर साधा था निशाना
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान विभिन्न जातियों का नाम लेकर ऐसे तमाम गाने रील्स के माध्यम से वायरल हुए थे, जिनमें एक जाति के लोग दूसरे को ललकारते हुए नजर आ रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे ही कुछ गानों ‘मार दिही सिक्सर से छव गोली छाती में…’, भइया की आएगी सरकार, सब बनेंगे रंगदार एवं ‘आवे दे भइया के सत्ता, उठा लेम घरा से रे…’ का इस्तेमाल करते हुए राजद पर जंगलराज लाने का आरोप लगाया था।
राजद के प्रतीकों व पार्टी से बड़े नेताओं का रील्स में किया गया है इस्तेमाल
चुनाव के बाद हार की समीक्षा के बाद राजद को अहसास हुआ कि कहीं न कहीं ऐसे गानों ने पार्टी के साथ ही तेजस्वी की छवि भी धूमिल की है। कई गानों पर अतिउत्साही युवकों की टोली रील्स बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करती रही, जिनमें पार्टी के नाम के साथ ही राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, यादव या अहिर जाति एवं राजद के झंडे तक का इस्तेमाल किया गया है। राजद को अपनी पार्टी के प्रतीक चिह्नों व नेताओं के नाम व तस्वीरों का इस्तेमाल करने पर आपत्ति है।
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भोजपुरी गायक टुनटुन यादव समेत कई कलाकारों को भेजा लीगल नोटिस
जिन गायकों को नोटिस दिया गया है, उनमें भोजपुरी गायक टुनटुन यादव समेत भोजपुरी, मगही व मैथिली के कई कलाकार शामिल हैं। इनमें अधिकतर बिहार राज्य के निवासी हैं और कई दूसरे राज्यों के भी गायक हैं। राजद के इस कदम से भोजपुरी इंडस्ट्री में सन्नाटा पसर गया है। माना जा रहा है कि राजनीतिक दबाव को देखते हुए सरकार के स्तर पर भी ऐसे गायकों के साथ सख्ती हो सकती है। वरिष्ठ राजद नेता चितरंजन गगन ने आरोप लगाया है कि ऐसे गाने सत्ताधारी दलों के संरक्षण में वायरल किये गए हैं, ताकि राजद की छवि खराब हो सके।
बिहार-यूपी में हर जाति के नाम पर बना है जातीय दंभ वाला गाना
यूं तो राजनीति में हार के बाद ही राजद को ऐसे गानों के प्रभाव की चिंता हुई, लेकिन पार्टी स्तर पर किया गया यह प्रयास सराहनीय है। समाज का बुद्धिजीवी तबका इन गानों को लेकर पहले से ही चिंता जाहिर करता रहा है। यू-ट्यूब पर आप किसी भी जाति का नाम लिखकर गाना या सांग लिख दीजिये, ऐसे गानों की भरमार दिखेगी। बबुआन, भूमिहार, अहिरान, कोइरान, ब्राह्मण, पासवान व चमरान… से लेकर तमाम जातियों के नाम पर दबंगई वाले गाने गाये गए हैं।
शादी समारोहों में धमाल करने के लिए बजाये जाते हैं ऐसे गाने
वैसे तो इन गानों का इस्तेमाल शादी समारोहों में आर्केष्ट्रा व डीजे की धुन पर डांस करने के लिए किया जाता है, लेकिन कई बार जुलूस वगैरह में ऐसे गाने बजाने से सामाजिक तनाव का वातावरण बनता है। ऐसे में वृहत समाज हित में ऐसे गानों पर प्रतिबंध व सेंसरसिप की मांग लंबे समय से होती रही है। लोगों का मानना है कि अगर इस दिशा में कोई एक्शन होगा तो बिहार व यूपी के सामाजिक ताने-बाने के लिए काफी सकारात्मक होगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि इन्हें रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई पहल होती है या नहीं।
