जेल ब्रेक के दौरान मोटरसाइकिल पर चढ़ कर भागा, फिर शुरू कर सकता है गिरोह
जोगबनी (Voice4bihar News)। नेपाल के जेल में बंद अंडरवर्ल्ड से संबंध रहे खूंखार अपराधी उदय सेठी नेपाल में चल रहे Gen-Z (जेन-जी) के आंदोलन में जेल ब्रेक का फायदा उठा कर फरार हो गया। इस पर भारत में रह कर नेपाल में संगठित अपहरण के नेटवर्क को फैलाने का आरोप था। कुख्यात अपहर्ता उदय सेठी नेपाल के रसुवा के जेल से फरार हुआ है। ऐसे में फिर से बिहार व नेपाल में सीमा के आर-पार अपहरण उद्योग के बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
जेल अधिकारी रोकने में हुए असफल, अन्य कैदियों ने किया प्रतिरोध
बताया जाता है कि Gen-Z (जेन-जी) आंदोलन के दौरान हुए जेल ब्रेक का फायदा उठाकर अन्य कैदियों के साथ उदय सेठी भी फरार हो गया। रसुवा जेल एक सुरक्षा अधिकारी के अनुसार इसे रोकने का प्रयास किया गया लेकिन अन्य कैदी बंदी के प्रतिरोध के कारण सुरक्षाकर्मी सफल नहीं हो पाए।
नख्खु जेल से रसुवा जेल में उदय सेठी को किया गया था शिफ्ट
जानकारी के अनुसार, भारत के मुंबई निवासी उदय सेठी को गिरफ्तारी के बाद पहले नख्खु कारागार में रखा गया था, लेकिन वहां के कैदी से लगातार झड़प कर कारागार को ही अपने कब्जे में लेने का प्रयास करने के बाद उसे रसुवा कारागार में शिफ्ट किया गया था।
मुंबई निवासी उदय सेठी पर नेपाल में आतंकी संगठन तैयार करने का भी आरोप
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भारतीय नागरिक रहे उदय 2010 तक नेपाल में आतंक के नेटवर्क को तैयार करने का भी आरोपी रहा है। इसके द्वारा इसके बाद नेपाल में उद्योगी, चिकित्सक, व्यापारी को अपहरण कर फिरौती वसूल करने वाले कुख्यात अपहरणकारी अमर टण्डन के साथ मिलकर नेपाल में एक आपराधिक गिरोह को परिचालित कर रहा था। इसकी गिरफ्तारी होने के साथ नेपाल में संगठित अपहरण के घटना में कमी आई थी।
उदय सेठी का काफी खतरनाक था नेटवर्क
बताया जाता है कि अपराध की दुनिया में अपहरण उद्योग चलाने वाले उदय सेठी का बहुत बड़ा गिरोह था। वह काठमांडू के व्यापारी, मेडिकल कॉलेज के संचालक व अन्य धनाढ्यों को भारतीय नंबर से कॉल कर फिरौती की मांग करता था। रकम नहीं देने पर अपहरण कर लिया जाता था, जबकि अपहरण से पूर्व भारतीय नम्बर से फोन कर अमर टण्डन सीधे जानकारी देता था।
नेपाल की इन बड़ी हस्तियों का अपहरण कर मचा दी थी खलबली
उस समय नेपाल के उद्योगपति में ओमकार भट्टचन, पशुपति पेंट्स के महेश मुरारका सहित शिव सरावगी, सुमीत शेरचन, पवन अग्रवाल, अमित्य गुरुंग, उमेश गर्ग, दिलीप अग्रवाल, ईश्वरदत्त पाण्डे, टिकाराम अर्याल को अगवा कर इसी गिरोह ने फिरौती वसूल किया था। उस वक्त अनुसंधान के जिम्मेदारी में रहे नेपाल केंद्रीय अनुसंधान ब्यूरो के पूर्व डीआईजी हेमंत मल्ल बताते हैं कि उदय सेठी व अमर टंडन भारत व नेपाल में बैठकर अपहरण का धंधा चलाते थे।
श्री मल्ल बताते हैं कि अमर टण्डन ज्यादातर भारत में ही रहता था, जिस कारण गिरफ्तारी नहीं हो पाती जबकि उदय सेठी नेपाल में बैठकर अपराध करता था। जिस व्यापारी से पैसा की मांग की जाती थी, उसने अगर नहीं दिया तो नेपाल में रहे इसके समूह के सदस्य प्रह्लाद महत, विष्णु जिसी, बुढाथोकी, विकास कार्की, सोल्टी उर्फ टासी गुरुंग, विनोद कार्की, अनिल गुरुंग आदि मिलकर उस व्यापारी का अपहरण कर पैसे वसूल किया करते थे।
12 लोगों के अपहरण में संलिप्तता हुई थी उजागर, 32 साल की हुई थी सजा
नेपाल में श्रृंखलाबद्ध अपहरण के घटना बढ़ने के बाद महानगरीय पुलिस अपराध महाशाखा के द्वारा टण्डन को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद नीरज कक्षपति के अपहरण कर फिरौती वसूली के घटना के अनुसंधान के दौरान उदय के साथ प्रहलाद की गिरफ्तारी हुई थी। इस गिरोह के द्वारा 12 लोगों के अपहरण की बात अनुसंधान में सामने आई थी। जिसमें उदय सेठी को 32 वर्ष की सजा हुई थी।