Header 300×250 Mobile

- Sponsored -

नैनीताल : यहां से कैची धाम जाना है आसान

नैनी झील में बोटिंग और हिमालय दर्शन का आनंद मिलेगा एक साथ

0 51

- Sponsored -

- sponsored -

पटना (voice4bihar news)। अगर आप प्रकृति के करीब जाना चाहते हैं तो नैनीतील (Nainital) जाइए। उत्तराखंड के हलद्वानी के पास अवस्थित नैनीताल और इसके आसपास घूमने के कई स्पॉट हैं। यहां से हिमालय दर्शन भी कर सकते हैं। साथ में नैनी झील में बोटिंग, मुक्तेश्वर महादेव की ट्रैकिंग और कुमाऊं की पहाड़ियों पर मौजूद रानीखेत की यात्रा का मजा भी ले सकते हैं। अगर आप यात्रा में श्रद्धा और भक्ति को शामिल करना चाहते हैं तो नैनी झील के किनारे अवस्थित मां नयना देवी के मंदिर और पास में ही स्थित कैची धाम के भी दर्शन कर सकते हैं। कैची धाम में नीब करोरी बाबा की प्रतिमा का दर्शन कर मन तृप्त हो जाता है।

नैनीताल और उसके आसपास के इन मनमोहक पर्वतीय स्थलों की यात्रा पर जाने के लिए दिल्ली और हावड़ा से ट्रेनें खुलतीं हैं जो आपको काठगोदाम तक ले जायेंगी। काठगोदाम इस मार्ग का अंतिम रेलवे स्टेशन है। हावड़ा और काठगाेदाम के बीच एकमात्र ट्रेन बाघ एक्सप्रेस है जो राेज चलती है। 13019 और 13020 नंबर की बाघ एक्सप्रेस पश्चिम बंगाल के हावड़ा से चलकर झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश से गुजरकर करीब डेढ़ हजार किलोमीटर की दूरी तय कर 36 घंटे में अपने गंतव्य पर पहुंचती है। यह ट्रेन दुर्गापुर, आसनसोल, जामताड़ा, जसीडीह, किउल, बरौनी, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, गोरखपुर, गोंडा, बरेली, रामपुर और लालकुआं स्टेशनों से होती हुई काठगोदाम पहुंचती है।

काठगोदाम स्टेशन पर पहुंचा यात्रियों का जत्था।

दिल्ली से काठगोदाम के लिए शताब्दी और उत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रेनें चलतीं हैं। इसके अलावा जैसलमेर से चलने वाली रानीखेत एक्सप्रेस ट्रेन से भी काठगोदाम पहुंचा जा सकता है। इस ट्रेन को दिल्ली कैंट, दिल्ली सराय रोहिल्ला, दिल्ली जंक्शन, साहिबाबाद और गाजियाबाद स्टेशनों से पकड़ा जा सकता है। ट्रेन के हलद्वानी स्टेशन पहुंचते ही प्रकृति का खूबसूरत नजारा दिखने लगता है। हलद्वानी रेलवे स्टेशन के बगल से ही गोला नदी बहती है। कहते हैं कि गोला नदी ही हलद्वानी और काठगोदाम शहर की लाइफ लाइन है। हालांकि इन दिनों गाेला नदी के कटाव के कारण रेलवे स्टेशन के असतित्व पर खतरा मंडराने लगा है।

काठगोदाम रेलवे स्टेशन से नैनीतील जाने के लिए आप छोटी-बड़ी गाड़ी किराये पर बुक कर सकते हैं या बस से भी जा सकते हैं। रेलवे स्टेशन पर ही आपको गाड़ी वाले मिल जायेंगे। काठगेदाम से नैनीताल का किराया आठ सौ रुपये से 1200 रुपये तक है लेकिन जो एजेंट मिलेंगे वे चार हजार रुपये से माेलजोल शुरू करेंगे। वहां गाड़ी की करीब दो हजार रुपये की रशीद कटती है। लेकिन अगर आप बिना रशीद के जाएं तो हजार-बारह सौ रुपये में नैनीताल पहुंच जाएंगे।

हालांकि गाड़ी से लेकर होटल के कमरे तक का किराया इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप सीजन में जा रहे हैं या ऑफ सीजन में। पूरे साल शनिवार और रविवार को नैनीताल में पर्यटकों की अच्छी-खासी मौजूदगी होती है। ऐसे में अगर आप शनिवार को नैनीताल पहुंचते हैं तो हर जगह किराया अधिक देना होगा। यानी नैनीताल में घूमने का खर्चा ज्यादा आएगा। बारिश के दिनों को छोड़कर पूरे साल नैनीताल में पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। दिल्ली से ट्रेन से पांच से छह घंटे में नैनीताल पहुंचने की सुविधा होने के चलते यहां लोगों की भीड़ हर दिन रहती है।

दो दिनों में नैनीतील और इसके आसपास की दर्शनीय स्थलों पर जाया जा सकता है। पर अगर आपके पास यहां रुकने के लिए तीन से चार रातें हों तो आप सफर का पूरा मजा ले सकते हैं। नैनीताल शहर का नाम नैनी और ताल को जोड़ने से बना है। नाम के अनुरूप यहां शहर के बीचोबीच नैनी झील है। मान्यता है कि इस झील का निर्माण माता सती की आंसुओं से हुआ है। यहां माता सती की बायीं आंख गिरी थी। यहां श्री नयना माता का मंदिर है जो 51 शक्तिपीठों में से एक है।

पुराणों में नैनी झील के जल को मानसराेवर की भांति पवित्र माना गया है। महर्षि अत्रि, पुलत्स्य और पुलह ने इस घाटी में तपस्या की थी। उन्नीसवीं सदी में नैनीताल की खोज होने पर उस वक्त के यहां के प्रमुख निवासी मोती राम शाह का मकान यहां का पहला भवन माना जाता है जो पिलग्रिम कॉटेज के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में यहां जो श्री मां नयना देवी का मंदिर है उसे 21 जुलाई, 1984 को मोती राम शाह के पुत्र अमरनाथ साह और प्रपौत्र राजेंद्र नाथ शाह ने बनवाया है। बताते हैं कि यहां का प्राचीन मंदिर 1880 के भूस्खलन में पूरी तरह नष्ट होकर मलबे के नीचे दब गया था। मोती राम शाह के पुत्र अमरनाथ साह के सपने में श्री मां नयना देवी ने उस स्थान के बारे में बताया जहां उनकी प्रतिमा दबी हुई थी। इसके बाद अमरनाथ साह ने अपने बंधुओं और परिवार के लोगों के साथ मिलकर देवी मां की प्रतिमा उस स्थल से खोज निकाली और उसे स्थापित कर 1883 में मंदिर का निर्माण कराया।

नैनीताल का मौसम सालो भर सुहाना रहता है। यानी गर्मी के दिनों में भी अगर थोड़ी सी बारिश हो जाए तो आपके कानाें को ठंड महसूस होने लगेगी। नैनीताल के लोगों का कहना है कि बम्बई के फैशन और नैनीताल के मौसम का कोई भरोसा नहीं है, इसे बदलते देर नहीं लगती। पहाड़ों पर कभी भी बारिश शुरू हो सकती है और मौसम में ठंडापन आ जाता है। यही कारण है कि दिल्ली में रहने वाले लोग जब गर्मी से ऊब जाते हैं तो कुछ दिनों के लिए यहां चले आते हैं।

विज्ञापन

नैनीताल की नैनी झील में बाेटिंग का अपना मजा है। 420 रुपये के फिक्स किराये पर यहां बोट मिलती है। इसमें एक साथ अधिकतम तीन लोग सवार हो सकते हैं। हालांकि इतने ही रुपये देकर आप इस शर्त पर भी नाव ले सकते हैं कि आप खुद ही उसे पैडल के सहारे चलायेंगे। उस नाव में कोई नाविक नहीं होगा ताे चार लोग भी उसमें सवार हो सकते हैं। करीब आधे घंटे में झील की सैर कराकर नाव किनारे आ लगती है।

यहां से कुछ ऐसा दिखता है हिमालय।

नैनीताल दर्शन में आप मनसा देवी मंदिर, केव गार्डन, बारा पत्थर, लवर्स प्वाइंट, सुसाइड प्वाइंट, खुर्पाताल, और सरियाताल वाटर फाॅल देखने भी जा सकते हैं। नैनीताल की पहाड़ी से आप हिमालय दर्शन भी कर सकते हैं। शर्त है कि मौसम साफ हो। यानी कि ना धुंध हो और ना ही बादल। धुंध और बादल की स्थिति में आपको सुनहरे रंग के हिमालय के दर्शन नहीं हो सकेंगे। जहां आप हिमालय दर्शन करने जाएंगे वहां से पहाड़ी ड्रेस में फोटो शूट कर सकते हैं। चाहें तो घुड़सवारी का भी मजा ले सकते हैं।

यहां के अलावा आप शहर से करीब 55 किलोमीटर दूर मुक्तेश्वर महादेव जा सकते हैं। कहते हैं कि यहां आने वालों को माेक्ष की प्राप्ति होती है। अगर सड़क पर जाम ना लगा हो तो आपकी गाड़ी उस पहाड़ी के पास तक जा सकती है जहां महादेव का वास है। वरना आपको दो से तीन किलोमीटर तक बाइक की सवारी करनी पड़ सकती है। मुक्तेश्वर महादेव के मंदिर में जाने के लिए आप सीढ़ियों का सहारा ले सकते हैं और चाहें तो मुक्तेश्वर महादेव के मंदिर की परिक्रमा करते हुए ट्रैकिंग करते हुए भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। ट्रैकिंग के लिए गाइड का सहारा ले सकते हैं। गाइड की फीस है 350 रुपये। गाइड आपको रास्ते में चौली की जाली सहित स्थानीय पेड़-पौधों व अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताते हुए मंदिर तक ले जायेंगे।

मुक्तेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के 18 प्रमख मंदिरों में से एक है। यहां महादेव की स्थापना पांडवों ने करीब 5300 वर्ष पूर्व की थी। पांडवों ने स्वर्गारोहण से पूर्व जिन 108 मंदिरों में दर्शन पूजन किया था यह मंदिर उनमें से एक है। यहां पांडवों को अपने गुरु द्रोणाचार्य की हत्या के दोष से मुक्ति मिली थी। मान्यता है कि जीवन में अनजाने में जो पाप मनुष्य के हाथों से हो जाते हैं, इस मंदिर में महादेव का दर्शन पूजन करने से उन पापों से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस धाम को मुक्तिनाथ धाम भी कहते हैं।

जब आप नैनीतील गये हैं तो वहां से करीब 61 किलोमीटर दूर रानीखेत और 67 किलोमीटर दूर रामनगर में स्थित कार्बेट नेशनल पार्क जरूर जाएं। नैनीताल में ही स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर में आपके मन को अत्यंत शांति मिलेगी। वहां मुख्यत: हनुमान जी का मंदिर है। यहां लगातार धीमे स्वर में बजते रामभजन आपको सुकुन देते हैं।

इस मंदिर में उल्लिखित शिलालेख के अनुसार, उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में नीब करोरी महाराज का जन्म हुआ था। बचपन में उनका नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। 1910 में दस साल की अवस्था में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और गुजरात में बाबनिया नामक स्थान को अपना पहला ठिकाना बनाया। यहां वे 1917 तक रहे। यहां वे तलैया बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए। यहां उन्होंने हनुमान जी का छोटा सा मंदिर बनवाया। 1917 में वे वहां से चलकर फर्रुखाबाद जिले में स्थित नीब करोरी गांव पहुंचे। इसी गांव में उन्हें श्री श्री 1008 परमहंस बाबा लक्ष्मणदास की पदवी दी गयी। यहीं से लक्ष्मीनारायण शर्मा नीब करोरी महाराज के रूप में जाने जाने लगे। 1935 से 1938 के बीच उन्होंने नैनीताल को लीला-स्थली के रूप में चुना और देश-दुनिया में नीब करोरी महाराज के रूप में प्रसिद्ध हुए। यहां मनोरा पर्वत स्थित बजरी टीले पर उन्होंने 1952 में छोटे से संकट मोचन हनुमान मंदिर की स्थापना की। आज यह मंदिर हनुमानगढ़ी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

नैनीताल से करीब 18 किलामीटर दूर कैची धाम में नीब करोरी महाराज का आश्रम है। यहां आश्रम में बाबा का दर्शन कर और उन्हें कंबल भेंटकर श्रद्धालु धन्य हो जाते हैं। यहां रोज भक्तों का मेला लगा रहता है। कहते हैं कि बड़े-बड़े स्टार और उद्योगपित से लेकर आम आदमी भी अपनी मनोकामना पूर्ति की इच्छा लेकर यहां आते हैं और महाराज उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored

Leave A Reply