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वार्ड सदस्य संजय वर्मा की हत्या में शामिल पूर्व उपमुखिया व मुखिया का करीबी गिरफ्तार

तकनीकी जांच के दौरान मामले में संलिप्त पाये गए मदन यादव व धीरज उपाध्याय

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पुलिस ने पूछताछ के बाद दोनों आरोपितों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा

पीड़ित परिजनों ने पांच लोगों पर जताया है हत्या का शक, तीन अब भी फरार

पटना (Voice4bihar news)। जिले के नौबतपुर में एक शादी समारोह के दौरान नवनिर्वाचित वार्ड सदस्य संजय वर्मा की हत्या में शामिल दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। शनिवार को जमलपुरा पंचायत के पूर्व उपमुखिया व लोदीपुर गांव निवासी मदन यादव तथा वर्तमान मुखिया के करीबी डबरचक गांव निवासी धीरज उपाध्याय को पुलिस ने न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। वारदात के 20 दिनों के बाद हुई पहली कार्रवाई से जहां परिजनों को थोड़ा सुकून मिला है, लेकिन तीन अन्य अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं होने से बेचैनी अभी बरकरार है।

सुनियोजित साजिश के तहत हुई थी संजय वर्मा की हत्या

उल्लेखनीय है कि नौबतपुर प्रखंड अंतर्गत जमलपुरा पंचायत के वार्ड संख्या-9 में नव निर्वाचित वार्ड सदस्य संजय वर्मा को अपराधियों ने गोलियों से भून डाला था। विगत 11 दिसंबर की रात एक शादी समारोह के दौरान प्री प्लांड तरीके से संजय वर्मा की हत्या हुई थी। बताया जाता है कि हत्या के पीछे सियासी अनबन मुख्य वजह बनी और इसकी पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। संजय वर्मा के एक करीबी के जरिये उन्हें शादी समारोह में बुलाया गया था।

सूत्र बताते हैं कि वारदात को अंजाम देने से पहले संजय वर्मा पर नजर रखते हुए मौके की तलाश की गयी। इसी शादी समारोह में लाइनर भी मौजूद था। जैसे ही संजय वर्मा भीड़-भाड़ से थोड़ा किनारे हटे, शार्प शूटर ने दो गोलियां दाग दी। आशंका है कि शातिरों ने इस हत्याकांड के लिए ऐसा वक्त चुना था, ताकि पटाखों की शोर के बीच हर्ष फायरिंग का आभाष हो। ऐसा करके अपराधियों ने पुलिस को भी गुमराह करने की कोशिश की। यही वजह है कि आरंभ में पुलिस भी इसे हर्ष फायरिंग ही मानती रही, और नामजद प्राथमिकी लिखने से हिचकती रही।

सवाल यह है कि शादी समारोह में हर्ष फायरिंग छुप-छुपाकर नहीं की जाती। हर्ष फायरिंग करने वालों की तरफ कई कैमरे व लोगों की निगाह होती है। ऐसे में हर्ष फायरिंग का एक भी चश्मदीद या वीडियो फुटेज सामने नहीं आने पर पुलिस ने भी इसे साजिशन हत्या का केस मान लिया। संजय वर्मा के शरीर में लगी दो गोली भी हर्ष फायरिंग की थ्योरी को खारिज करते नजर आए। इसके बाद पुलिस ने तकनीकी आधार पर जांच करते हुए पूर्व उपमुखिया मदन यादव व वर्तमान मुखिया के करीबी धीरज उपाध्याय को धर दबोचा।

हत्याकांड में राजनीतिक वर्चस्व का एंगल सामने आया

संजय वर्मा हत्याकांड में अब तक जितने भी चेहरे सामने आए हैं, सभी पंचायत की राजनीति में धाक रखते हैं। वार्ड सदस्य चुने जाने से पहले भी संजय वर्मा पंचायत की राजनीति में सक्रिय थे। पिछले कार्यकाल में वे जमलपुरा पंचायत के वार्ड संख्या-9 में बतौर पंचायत सचिव कार्य कर चुके हैं। इस दौरान सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के कारण संजय की लोकप्रियता बढ़ी और अगले चुनाव में वार्ड सदस्य चुने गए। माना जा रहा है कि नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों के शपथ ग्रहण के साथ होने वाले उप मुखिया के चुनाव में संजय वर्मा प्रबल दावेदार बनते दिख रहे थे।

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मदन यादव को हराकर वार्ड सदस्य बने थे संजय वर्मा

पुलिस की गिरफ्त में आया धीरज उपाध्याय भी पंचायत की राजनीति में सक्रिय रहा है। वह लगातार दूसरी बार निर्वाचित मुखिया का बेहद करीबी माना जाता है। पिछले कार्यकाल के दौरान वार्ड सचिव संजय वर्मा और धीरज उपाध्याय में काफी अच्छे संबंध रहे थे, लेकिन आखिरी दिनों में कुछ योजनाओं को लेकर दोनों में अनबन हो गयी। दूसरी ओर पूर्व उपमुखिया मदन यादव व संजय वर्मा चुनाव में आमने-सामने रह चुके हैं। जमलपुरा पंचायत के वार्ड-9 से इस बार मदन यादव की टक्कर संजय वर्मा से हुई थी, जिसमें संजय वर्मा वार्ड सदस्य चुने गए थे।

हत्यारोपितों की गिरफ्तारी से परिजन संतुष्ट, आरोपितों के समर्थक नाराज

संजय वर्मा हत्याकांड में दो अभियुक्तों की गिरफ्तारी से नाराज उनके धीरज उपाध्याय व मदन यादव के समर्थकों ने पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश की। करीब एक सौ से अधिक समर्थक घंटों थाने पर डटे रहे और दोनों को रिहा करने की मांग की। हालांकि पुलिस ने यह करते हुए उन्हें लौटा दिया कि तकनीकी जांच में दोनों आरोपितों की संलिप्तता सामने आई है। दूसरी ओर मृतक संजय वर्मा के पिता शिवनाथ वर्मा इस कार्रवाई से संतुष्ट दिखे। उन्होंने अन्य अभियुक्तों को भी शीघ्र गिरफ्तार करने की मांग की।

थाने पर हंगामा के सवाल पर श्री वर्मा ने Voice4bihar को बताया कि कुछ लोग जान बूझकर आरोपितों को बचाना चाहते हैं, लेकिन हम अपने बेटे के हत्यारों को सजा के अंजाम तक पहुंचाने में कसर नहीं छोड़ेंगे। गौरतलब है कि इस हत्याकांड की जांच को गलत दिशा में डायवर्ट करने की बार-बार कोशिश की गयी। पिछले दिनों पीड़ितों को सांत्वना देने पहुंचे पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने भी इस बात की ओर इशारा किया था। श्री चौधरी ने केस के अनुसंधानकर्ता की भूमिका पर संदेह जताते हुए एसआईटी गठन की बात कही थी।

मृतक के परिजनों का आरोप था कि शुरू में स्थानीय पुलिस नामजद एफआईआर दर्ज करने से पीछे हटती रही। वह हर्ष फायरिंग के एंगल से अज्ञात पर एफआईआर कर मामले की लीपापोती करना चाहती थी। इसके बाद मृतक के पिता ने वरीय पुलिस अधीक्षक पटना को आवेदन देकर पांच लोगों पर हत्या का संदेह व्यक्त किया। मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस के तेवर में बदलाव आया। बहरहाल देखना होगा कि अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी कब तक हो पाती है।

संजय वर्मा के हत्यारों का स्पीडी ट्रायल कराए पुलिस : रवि मौर्य

दूसरी ओर “मौर्य शक्ति” के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि मौर्य ने कहा है कि संजय वर्मा हत्याकांड में सभी आरोपितों के खिलाफ स्पीडी ट्रायल चलाया जाए। जनप्रतिनिधि की हत्या में शामिल अपराधियों की गिरफ्तारी में अनावश्यक विलंब हो रहा है। उन्होंने कहा कि संजय वर्मा की मौत से उनके वृद्ध पिता और बच्चों को 20 लाख रुपये की आर्थिक मदद सरकार की ओर से दी जानी चाहिए। पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के साथ ही सुरक्षा के लिए आर्म्स का लाइसेंस राज्य सरकार तुरंत दे।

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