हिन्दू धर्म में शामिल होने से क्यों खफा है आदिवासी समुदाय?
मूर्ति पूजक हिन्दू धर्म की बजाए प्रकृति पूजक सरना धर्म की लड़ाई अब सड़क पर उतरी
- आदिवासियों ने किशनगंज में रेलवे ट्रैक व कटिहार में राजमार्ग जाम कर किया जमकर प्रदर्शन
- देश में 2021 में हो रही जनगणना में आदिवासियों की प्रकृति पूजक सरना धर्म कोड को लागू करने की मांग
किशनगंज/कटिहार (voice4bihar desk) । देश में 2021 में हो रही जनगणना में आदिवासियों के लिए प्रकृति पूजक सरना धर्म कोड को लागू करने की मांग को लेकर आदिवासियों ने रविवार को किशनगंज रेलवे स्टेशन पर रेलवे ट्रैक को जाम कर प्रदर्शन किया। इसी तरह कटिहार के बलरामपुर में राजमार्ग को जाम किया। यह प्रदर्शन पांच राज्यों में हो रही जोरदार मांग को लेकर था, जिसके तहत बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आसाम व झारखंड में विभिन्न जगहों पर चक्का जाम किया गया। मकसद यह कि जनगणना के दौरान उन्हें मूर्ति पूजक हिन्दू धर्म में शामिल करने की बजाए अलग धर्म के खांचे में दर्शाया जाए।
आदिवासी सेंगेल अभियान समिति के तहत सैकड़ों आदिवासी मार्च निकालकर किशनगंज रेलवे स्टेशन पहुंचे और ट्रेन रोककर रेलवे ट्रैक पर बैठे गए । रेलवे ट्रैक पर धरना की वजह से कुछ देर के लिए गोआहाटी – दिल्ली और गोआहाटी – कोलकत्ता रेलवे रूट बंद हो गया और ट्रेनों की ठप हो गयी । अपनी मांगों को लेकर पांच राज्यों में हो रहे रेल रोड चक्का जाम का किशनगंज रेलवे स्टेशन पर व्यापक असर दिखा और प्रदर्शन में बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाएं अपने बच्चों के साथ पहुंची । इस दौरान अपने पम्परगत ढोल की धुन के साथ आदिवासियों ने नारेबाजी भी की।
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पुलिस के समझाने पर रेलवे ट्रैक से हटे
आदिवासी सेंगेल अभियंता समिति के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ टुडू ने बताया कि आदिवासी सेंगल अभियान की तरफ से पांच राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आसाम व झारखंड में 2021 की जनगणना में आदिवासियों के एक सरना धर्म कोड की मांग को लेकर रेल और रोड चक्का जाम अभियान चलाया गया जिसके तहत किशनगंज में रेल रोको अभियान चलाया गया। आदिवासी सेंगेल अभियंता समिति के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ टुडू ने बताया कि भारत सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक बातचीत पहल नहीं हो पायी है, जिसके कारण पूर्व में घोषित 31 जनवरी को राष्ट्रव्यापी रेल रोड चक्का जाम का आह्वान किया गया था और उसी के आह्वान पर आज पांच राज्यों में रेल रोड चक्का जाम हुआ है ।
15 करोड़ आदिवासी मां रहे अलग धर्म की मान्यता
विश्वनाथ टुडू ने बताया कि आज का यह सांकेतिक प्रदर्शन है। सरकार सरना धर्म कोड पर अविलंब विचार करे, क्योकि मार्च में जनगणना शुरू होने वाली है । प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ टुडू ने बताया कि बताया कि आज पूरे भारत में पंद्रह करोड़ आदिवासी हैं लेकिन आज तक अनुछेद 25 के तहत उन्हें धार्मिक मान्यता नहीं मिली है जिससे सभी आदिवासी आज संघर्षरत हैं। उन्होंने बताया कि ना ही कोई राजनीतिक दल और ना ही किसी सरकार ने आदिवासियों की इस मांग के ऊपर ध्यान दिया है, जिसके कारण आज आदिवासियों में आक्रोश है और अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन को मजबूर होना पड़ा ।
कटिहार में तीन घंटे जाम रखा स्टेट हाईवे
उधर कटिहार जिले के बलरामपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत एसएच 98 को भिलाई चौक के पास रविवार को आदिवासी समुदाय के लोगों ने जाम कर दिया। सरना धर्म कोड को राष्ट्रीय दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर लगभग तीन घण्टे तक जाम रखा गया । आदिवासी नेता सह आदिवासी सेगेल परगना अध्यक्ष श्याम लाल हेम्ब्रम के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की ।
आदिवासी नेताओं का कहना था कि उनका समुदाय लम्बे समय से समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के साथ ही अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते आ रहा है । जब तक सरकार सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं देती, उनका समुदाय धरना प्रदर्शन करता रहेगा। वहीं पूर्व जिला पार्षद शेबु मरांडी ने कहा कि सरकार बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म को मान्यता दे रही है, जिनकी जनसंख्या सरना धर्म मानने वालों से काफी कम है । ऐसे में प्रतीत होता है कि सरकार आदिवासियों को हिन्दू धर्म अपनाने के लिए मजबूर करने का षड्यंत्र रच रही है । आदिवासी समाज अपना धर्म छोड़ कर किसी और धर्म को कभी नहीं अपनाएगा ।