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पंचायत प्रतिनिधियों का नहीं बढ़ेगा कार्यकाल, परामर्श समिति देखेगी कार्यभार

नीतीश कैबिनेट की बैठक में 18 एजेंटों पर लगी मुहर, पंचायत चुनाव का प्रस्ताव नहीं

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पंचायती राज एक्ट में संशोधन के लिए अध्यादेश लाएगी सरकार

पटना (voice4bihar news)। राज्य के पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल आगामी 15 जून को खत्म होने के बाद पंचायतों के संचालन को लेकर दुविधा की स्थिति खत्म हो गयी है। सरकार ने इस बाबत एक बड़ा फैसला लेते हुए स्पष्ट कर दिया है कि पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ेगा। मंगलवार को मुख्य सचिवालय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई स्टेट कैबिनेट की बैठक में इस आशय के संकेत मिले हैं।

गौरतलब है कि राज्य मंत्रिपरिषद ने मंगलवार को 18 एजेंडों पर मुहर लगाई है। उम्मीद की जा रही थी कि पंचायत चुनाव कराने की स्थिति में स्टेट कैबिनेट में कोई प्रस्ताव आएगा, लेकिन पंचायत चुनाव से संबंधित कोई प्रस्ताव नहीं होने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि पंचायत चुनाव समय पर नहीं होंगे। चूंकि पंचायती राज संस्थाओं का वर्तमान कार्यकाल इसी माह की 15 तारीख को खत्म हो रहा है। ऐसे में अब पंचायत चुनाव होने की उम्मीद क्षीण हो चुकी है।

परामर्श समितियों का होगा गठन

सवाल यह है कि पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल नहीं बढ़ने पर क्या विकल्प अपनाया जाएगा? इस संबंध में पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि बिहार में पंचायत चुनाव नहीं होने की स्थिति में त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं (ग्राम पंचायत, ग्राम कचहरी, पंचायत समिति, जिला परिषद) में परामर्शी समिति का गठन किया जाएगाl बताया जा रहा है कि जब तक अगला पंयायत चुनाव नहीं होगा तब तक परामर्श समिति को ही आंशिक शक्ति दी जाएगी।

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मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा- अध्यादेश लाएगी राज्य सरकार

पंचायती राज मंत्री श्री चौधरी ने बताया कि “इस संबंध में राज्य सरकार जल्द ही एक अध्यादेश लाएगी।” ऐसे में अब यह तय हो गया है कि राज्य में पंचायती राज के करीब ढाई लाख प्रतिनिधियों का कार्यभार संभालने के लिए परामर्श समिति बनेगी। अब इसे लागू करने के लिए पंचायती राज एक्ट में संशोधन की तैयारी चल रही है। इसके लिए सरकार अध्यादेश लाएगी, जो छह माह तक प्रभावी होगा। हालांकि परामर्श समितियों को आर्थिक शक्तियां कितनी दी जाएंगी यह अध्यादेश आने के बाद ही पता चलेगा।

पंचायती राज विभाग ने जारी किये 656 करोड़ रुपये

इसके अलावा स्टेट कैबिनेट में षष्टम् राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल ₹ 656.00 करोड़ (छह अरब छप्पन करोड़ रुपये) मात्र की राशि ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराये जाने के लिए अग्रिम निकासी की स्वीकृति प्रदान की गई।

यह भी देखें : पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए चौतरफा दबाव, … क्या करेगी सरकार?

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