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जिंदा जलाए गए दो लोगों के परिजन भी एफआईआर के लिए तैयार नहीं

बुजुर्ग एवं विक्षिप्त को जलाकर हत्या करने में चौकीदार के बयान पर प्राथमिकी

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डबल मर्डर केस : दो लोगों की हत्या में महज खानापूर्ति के लिए दर्ज हुई दो एफआईआर

आरा (Voice4bihar news) । भोजपुर के उदवंतनगर में सोमवार को हुई एक बुजुर्ग व एक युवक को जिंदा जलाए जाने की वारदात जितनी लोमहर्षक थी, उससे अधिक आश्चर्यजनक दोनों मृतकों के परिजनों का व्यवहार रहा। दो लोगों की निर्मम हत्या के मामले में जब एफआईआर दर्ज कराने की बात आई तो दोनों पक्ष पीछे हट गये। अर्थात दो लोगों की जिंदा जलाकर हत्या में एक भी अभियुक्त नहीं।

उल्लेखनीय है कि उदवंतनगर थाना क्षेत्र के बकरी गांव में सोमवार की दोपहर एक बुजुर्ग को जिंदा जलाए जाने के बाद उग्र भीड़ ने हत्यारोपित की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। इतना ही नहीं पुलिस के पहुंचने के पहले ही उसके शव को जला दिया था। इस मामले में दोनों मृतकों के परिजनों ने मंगलवार को केस करने से इनकार कर दिया। ऐसे में चौकीदार के बयान पर इस मामले में दोनों की हत्या को लेकर अलग – अलग दो प्राथमिकी दर्ज की गयी है। यह एफआईआर महज खानापूर्ति के लिए है।

स्थानीय पुलिस के अनुसार बकरी गांव निवासी बुजुर्ग डिग्री चौधरी को जलाने में ज्ञानचक गांव निवासी मुटुर यादव उर्फ पगला को आरोपित किया गया है, जो भीड़ के हाथों मारा जा चुका है। वहीं मुटुर उर्फ पगला की हत्या में भीड़ व अज्ञात लोगों पर केस किया गया है। सूत्रों ने बताया कि विक्षिप्त की हत्या के मामले में भीड़ में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है। हालांकि अबतक इस मामले में किसी की पहचान या धरपकड़ की सूचना नहीं है।

बता दें कि सोमवार की दोपहर बकरी गांव के बधार में आम और गेहूं की रखवाली कर रहे डिग्री चौधरी नामक एक बुजुर्ग को एक सनकी ने जिंदा जला दिया गया था। इसके आरोप में भीड़ ने ज्ञानचक गांव के एक विक्षिप्त मुटुर यादव उर्फ पगला के हाथ-पैर बांध कर जमकर पीटा था। अधमरा हो जाने के बाद उसे भी जला दिया गया था। “जैसे को तैसा” की तर्ज पर हुई हत्या में पुलिस को सिर्फ दो अधजली लाशें मिली थीं।

अधजले मांस के लोथड़े का हुआ पोस्टमार्टम

बकरी गांव में सोमवार को जलाकर मारे गये दोनों लोगों के शवों का सोमवार की रात पोस्टमार्टम किया गया। उसके बाद दोनों शव उनके परिजनों को सौप दिये गये। सूत्रों के अनुसार पहले उदवंतनगर के बकरी गांव निवासी बुजुर्ग डिग्री चौधरी के शव को परिजन गांव ले गए। उसके बाद उनकी हत्या के आरोपित ज्ञानचक गांव निवासी मुटूर यादव उर्फ पगला के परिजनों को पुलिस देकर बुलाया, तब उसके परिजन अस्पताल पहुंचे और शव ले गये।

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ऑन स्पॉट सजा के लिए बदनाम रहा है भोजपुर का भीड़ तंत्र

भोजपुर जिले में विगत एक दशक के घटनाक्रमों पर नजर डालें तो कई ऐसे मौके आए जब भीड़ तंत्र ने कानून अपने हाथ में लेते हुए ऑन स्पॉट सजा दी है। कई बार यह भीड़ इतनी बेकाबू हुई है कि मर्यादा भी तार-तार कर दी। आरा के बहुचर्चित मुखिया हत्याकांड के बाद उग्र भीड़ ने आरा से लेकर पटना तक बवाल किया था। कुछ घंटों के लिए राजधानी पटना भी बंधक हो गया था।

ऐसा ही एक मौका तीन साल पहले बिहिया में दिखा था जब एक छात्र की हत्या की आरोपित नर्तकी का सरेशाम चीरहरण कर किया गया था। 21 अगस्त 2018 को हुई इस शर्मनाक घटना में नर्तकी को निर्वस्त्र कर पूरे बाजार में दौड़ा कर पीटा गया था। सरेबाजार हुई इस घटना का बहुतेरे लोगों ने इसका वीडियो भी बनाया था।

दरअसल बिहिया में एक छात्र की हत्या कर शव को रेलवे ट्रैक पर फेंके जाने से आक्रोशित लोगों ने तहकीकात की तो शक की सूई एक नर्तकी पर जा टिकी। फिर क्या था- उग्र भीड़ ने जमकर उपद्रव मचाया। रेड लाइट एरिया की दुकानों में जमकर लूटपाट, तोडफोड़ और आगजनी की गई थी। स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी थी।

यह भी पढ़ें : बुजुर्ग को जिंदा जलाने वाले शख्स को उग्र भीड़ ने भी मार कर जला डाला

इसी तरह 5 मई 2018 को जिले के चांदी थाना क्षेत्र के रूपचकिया गांव में एक किराना दुकानदार के घर में चोरी करने के आरोप में एक संदिग्ध युवक को भीड़ ने पकड़ा था। उसके बाद बेरहमी से पीटकर उसकी हत्या कर दी गई। 19 जून 2019 को भी आरा शहर के गौसगंज में भीड़ ने कानून हाथ में लिया गया था। तब चोरी के आरोप में पीट-पीटकर एक युवक को मार डाला गया था।

इसके अलावा हाल ही में पवना बाजार में ट्रैक्टर पलटने से दो युवकों की मौत के बाद उग्र भीड़ ने पुलिस वालों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था। इस दौरान अंचलाधिकारी की गाड़ी फूंक दी और होमगार्ड जवान की रायफल छीन ली गयी थी। रोड़ेबाजी में अगिआंव इंस्पेक्टर सहित तीन थानों की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गयी। टाउन थानाध्यक्ष सहित आधा दर्जन पुलिसकर्मी चोटिल हो गये। इनमें टाउन थाना इंचार्ज अविनाश कुमार को काफी चोटें आयी । उपद्रव के दौरान दो राहगीरों का सिर भी फूट गया था। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हाल के वर्षों में भोजपुर जिले में ऐसी उग्र भीड़ नहीं दिखी थी ।

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