बोचहां विधानसभा उपचुनाव में राजद के अमर पासवान को मिली प्रचंड जीत
भाजपा प्रत्याशी बेबी कुमारी को 36 हजार से अधिक वोटों से हराया
वीआईपी उम्मीदवार गीता कुमारी को तीसरा स्थान, चौथे स्थान पर नोटा
मुजफ्फरपुर (Voice4bihar news)। बिहार में सभी पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी बोचहां विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। क्षेत्र के वोटरों ने 36 हजार से ज्यादा वोटों से राजद उम्मीदवार अमर पासवान को विजयी बनाया है। निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की बेबी कुमारी रहीं, जबकि मुकेश सहनी की वीआईपी को तीसरा स्थान मिला। कांग्रेस पार्टी यहां जमानत बचाने के लिए जद्दोजहद करती दिखी।
राज्य में नए सियासी समीकरण का साथ मिलने से राजद में हर्ष
शनिवार को 25 राउंड की मतगणना में अमर पासवान को 82547, बीजेपी की बेबी कुमारी को 45889, वीआईपी की गीता कुमारी को 29276, कांग्रेस के तरुण चौधरी को 1336 और नोटा को 2966 वोट मिले हैं। राजद और बीजेपी के बीच 36,658 वोटों का अंतर है। अमर पासवान ने इसे पूरी तरह से जनता की जीत बताया है। बता दें कि यह वही सीट है जिसे लेकर वीआईपी और बीजेपी आमने-सामने आ गई थी। इसके बाद इस सीट का राजनीतिक महत्व काफी बढ़ गया था।
भाजपा को भुगतना पड़ा वोटरों की नाराजगी का खामियाजा
भाजपा ने इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। वहीं वीआईपी पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी की इस सीट पर अग्निपरीक्षा थी। भाजपा और राजद के बीच आमने सामने की हुई लड़ाई में मुकेश सहनी की पार्टी यहां तीसरे नंबर पर ही अटक गई और अग्निपरीक्षा में मुकेश सहनी यहां असफल रहे। इस बीच मुकेश सहनी की पार्टी के नेताओं के दावे भी सामने आ रहे हैं।
खुद हारकर भी जीत का श्रेय ले रही वीआईपी
विज्ञापन
मुकेश सहनी का कहना है कि बीजेपी हमारे कारण हारी। लेकिन उनका यह दावा सच से कोसो दूर दिख रहा है। मुकेश सहनी ने इस सीट से 9 बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री व राजद के कद्दावर नेता रहे रमई राम की बेटी गीता कुमारी को टिकट दिया था। रमई राम का बोचहां क्षेत्र पर अपनी मजबूत पकड़ रही है। लिहाजा गीता देवी को वोट मिले। जिस कारण रमई राम के भरोसे मुकेश सहनी ने बीजेपी को थोड़ा डैमेज जरूर कर दिया, लेकिन वे भाजपा के हारने का कारण नहीं बन सके।
भूमिहार वोटरों की नाराजगी से संकट में भाजपा
बोचहां उपचुनाव में भूमिहारों की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ गई। शत प्रतिशत भाजपा का वोट बैंक माने जाने वाले भूमिहार जाति के लोगों ने इस बार भाजपा को सिरे से खारिज कर दिया। जिस वोट बैंक ने पिछले 42 साल से भाजपा का साथ कभी नहीं छोड़ा था, वह इस बार कई कारणों से भाजपा के हाथ से निकल गया, जिसका खामियाजा भाजपा को बोचहां विधानसभा उपचुनाव में भुगतना पड़ा है।
मुजफ्फरपुर में बीजेपी का सबसे बड़ा वोट बैंक दरक रहा
बात सिर्फ बोचहां उप चुनाव के परिणाम की नहीं है। इस चुनाव परिणाम ने भाजपा के लिए भीषण संकट खड़ा कर दिया है। 11 विधानसभा सीट और दो लोकसभा सीट वाले मुजफ्फरपुर में बीजेपी का सबसे बड़ा वोट बैंक दरक गया है। भाजपा के ही कुछ लोगों ने वह काम कर दिया है जो दूसरी पार्टियां बहुत कोशिश करके भी नहीं कर पायी थीं।
1990 के बाद से कम से कम मुजफ्फरपुर जिले में भूमिहारों का कमोबेश पूरा वोट बीजेपी को ही मिलता आया है। लालू के जिस लालटेन से इस जाति को सबसे ज्यादा एलर्जी थी, अब वह खत्म हो गया है। इस बात को बोचहां उपचुनाव में राजद को भारी मतों से मिली जीत ने साबित कर दिया है। आने वाले दिनों में अगर यही ट्रेंड रहा तो फिर 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव भी भाजपा के लिए संकट का होगा।
तिरहुत प्रमंडल में भाजपा की राहें आसान नहीं
बोचहां उपचुनाव के परिणाम के मद्देनजर राजनीतिक गलियारे में यह भी चर्चा होने लगी है कि भाजपा से भूमिहारों की नाराजगी का असर सिर्फ मुजफ्फरपुर ही नहीं, आसपास के कई जिले सीतामढी, वैशाली, समस्तीपुर आदि जिले पड़ भी पड़ सकता है। उतर बिहार के किसी एक प्रमुख जिले से चलने वाली सियासी हवा तीनों जिलों पर असर डालती है। इस स्थिति में बोचहां उपचुनाव का इफेक्ट आने वाले समय में उत्तर बिहार भाजपा को कहां ले जाएगा, यह सहज ही समझा जा सकता है।