सरकारी नौकरियों में OBC की हकमारी पर राजद व जदयू ने फिर उठाये सवाल
लालू-तेजस्वी ने जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया तो उपेन्द्र ने कोलेजियम सिस्टम को बताया अप्रासंगिक
OBC की हकमारी पर RJD-JDU के एक सुर, सोशल मीडिया पर छेड़ा हैशटैग अभियान
सियासी गलियारों में चर्चा- कहीं नए राजनीतिक समीकरण की आहट तो नहीं!
पटना (voice4bihar news)। हाल ही में जारी बिहार लोक सेवा आयोग के रिजल्ट में आरक्षित वर्ग ओबीसी व अनारक्षित वर्ग का कटऑफ मार्क्स एक समान होने पर राज्य की सियासत फिर से गरमा गयी है। कई नेता इसे OBC की हकमारी के तौर पर देख रहे हैं। विपक्ष ने इस पर केंद्र व राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की है तो राज्य की सत्ता में बैठे पिछड़े वर्ग के नेताओं ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा है। देश भर में आर्थिक आधार पर सवर्ण जातियों को आरक्षण दिये जाने के बाद से यह पहला मौका है जब राज्य के कई नेता एक सुर में आवाज उठाते दिख रहे हैं।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने जातीय जनगणना का मुद्दा जोर शोर से उठाया
‘जनगणना में ओबीसी कॉलम लागू करो’ हैशटैग से ट्वीट करते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने लिखा है कि केंद्र सरकार हिंदुओं की बहुसंख्यक आबादी की जनगणना क्यों नहीं करवाना चाहती? जनगणना में मात्र एक कॉलम जोड़ पिछड़ों-अतिपिछड़ों की वास्तविक संख्या ज्ञात होने से किसे, क्या और किसका डर है?
श्री प्रसाद ने अपने छह माह पुराने ट्वीट को कोट करते हुए कहा है कि “कथित NPR, NRC और 2021 की भारतीय जनगणना पर लाखों करोड़ खर्च होंगे। सुना है NPR में अनेकों अलग-2 कॉलम जोड़ रहे है लेकिन इसमें जातिगत जनगणना का एक कॉलम और जोड़ने में क्या दिक्कत है? क्या 5000 से अधिक जातियों वाले 60% अनगिनत पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदू नहीं है जो आप उनकी गणना नहीं चाहते?”
लालू प्रसाद ने पूछा-जब धर्म के आधार पर जनगणना होती है तो जाति के आधार पर क्यों नहीं?
केंद्र सरकार हिंदुओं की बहुसंख्यक आबादी की जनगणना क्यों नहीं करवाना चाहती? जनगणना में मात्र एक कॉलम जोड़ पिछड़ों-अतिपिछड़ों की वास्तविक संख्या ज्ञात होने से किसे, क्या और किसका डर है? #जनगणना_में_OBC_कालम_लागू_करो https://t.co/19If4NKGlX
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) June 8, 2021
इसी हैशटैग के साथ लालू प्रसाद ने फिर सवाल उठाया कि ‘जब जनगणना में किस धर्म के कितने लोग हैं इसकी गिनती होती है तो फिर जातीय गणना करने में क्या अड़चन है?’ इसके साथ भी उन्होंने 29 दिसंबर 2020 का ट्वीट कोट किया है, जिसमें लिखा है कि “केंद्र सरकार जनगणना में कुत्ता-बिल्ली, हाथी-घोड़ा, सियार-सुअर सब की गिनती करती है तो पिछड़े और अतिपिछड़ों की गिनती करने में क्या परेशानी है? जनगणना में एक अलग जाति का कॉलम जोड़ने में क्या दिक्कत है? क्या जातिगत जनगणना करेंगे तो 10% की 90 प्रतिशत पर हुकूमत की पोल खुल जायेगी?”
उपेंद्र कुशवाहा ने कोलेजियम सिस्टम पर फिर उठाये सवाल
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की ओर से उपेंद्र कुशवाहा जिस कोलेजियम सिस्टम पर करारा प्रहार करते रहे हैं, जदयू में आने के बाद उसे दुबारा जोरदार तरीके से उठाया है। मंगलवार को #हल्ला बोल दरवाजा खोल तथा #Opens The Gate के तहत अभियान छेड़ते हुए श्री कुशवाहा ने लिखा- “कॉलेजियम सिस्टम हमारे लोकतंत्र के लिए एक अभिशाप है। आजादी के 74वें साल में भी इसके अस्तित्व का कारण नहीं पता। उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में लोकतांत्रिक तरीके से न्यायाधीशों के चयन के लिए विज्ञापन, आवेदन और परीक्षा होनी चाहिए।”
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी से विनम्र निवेदन है कि औपनिवेशिक काल की कॉलेजियम व्यवस्था को अविलंब समाप्त कर सभी के लिए उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय का बंद दरवाजा खोल दें। कॉलेजियम व्यवस्था के तहत जज के वारिस ही जज बनते जा रहे हैं, वह भी बिना कोई खुली परीक्षा के! https://t.co/odaf24mobR
— RLSP_JDU India (@RLSPIndia) June 8, 2021
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गौरतलब है कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की बहाली के लिए लागू कोलेजियम सिस्टम की प्रासंगिकता पर सवाल उठते रहे हैं। आरोप है कि इस व्यवस्था के जरिये केवल कुछ खास जातियों व परिवारों के लोग ही न्यायाधीश बन पाते हैं। अन्य बाहरी लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट में जज बनना लगभग नामुमकिन है। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा इस मुद्दे पर काफी मुखर रहे हैं।
मंगलवार को उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी से अपील की है कि अप्रासंगिक हो चुकी इस व्यवस्था को अब खत्म करने में ही देश की भलाई है। उन्होंने RLSP_JDU India के ट्वीट को रीट्वीट किया, जिसमें कहा गया है कि “आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी से विनम्र निवेदन है कि औपनिवेशिक काल की कॉलेजियम व्यवस्था को अविलंब समाप्त कर सभी के लिए उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय का बंद दरवाजा खोल दें। कॉलेजियम व्यवस्था के तहत जज के वारिस ही जज बनते जा रहे हैं, वह भी बिना कोई खुली परीक्षा के!”
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी पिता के अभियान को आगे बढ़ाया
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के हैशटैग ‘जनगणना में ओबीसी कॉलम लागू करो’ के तहत नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी पिछड़े वर्गों की हकमारी के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार मानते हुए लिखा – “जातीय जनगणना के वास्तविक आँकड़े ज्ञात होने पर ही पता चलेगा कि जीविकोपार्जन के लिए विभिन्न जातियों के लोग क्या करते है और उनके सामाजिक आर्थिक हालात क्या है? वस्तुस्थिति ज्ञात होने पर ही उनके उत्थान और विकास संबंधित योजनाएँ बनाई जा सकेंगी”
जातीय जनगणना के वास्तविक आँकड़े ज्ञात होने पर ही पता चलेगा कि जीविकोपार्जन के लिए विभिन्न जातियों के लोग क्या करते है और उनके सामाजिक आर्थिक हालात क्या है? वस्तुस्थिति ज्ञात होने पर ही उनके उत्थान और विकास संबंधित योजनाएँ बनाई जा सकेंगी। #जनगणना_में_OBC_कालम_लागू_करो https://t.co/JLLMBZDSWe
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) June 8, 2021
इसके साथ ही तेजस्वी ने अपना दो माह पुराना ट्वीट भी कोट किया है, जिसमें लिखा है – “दुर्भाग्य है कि आज भी वंचित वर्गों की राजनीतिक,आर्थिक,सामाजिक हिस्सेदारी उनकी संख्या के अनुपात में नहीं है। आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी से ही देश में एक समान,संतुलित और समुचित विकास संभव है। हमारी माँग रही है कि 2021 की जनगणना में जातीय गणना भी होनी चाहिए”
तेजस्वी की बहन रोहिणी आचार्या भी खुलकर आईं सामने
सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहने वाली लालू प्रसाद की सबसे छोटी पुत्री रोहिणी आचार्या ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई। उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद व भाई तेजस्वी यादव को रीट्वीट करते हुए एक-एक कर कई पोस्ट लिख डाले। जनगणना_में_OBC_कालम_लागू_करो हैशटैग से वे लिखती हैं – “गर्व से कहो हम हिंदू हैं.. ये कहने वाले..! गरीबों वंचितों शोषितों के अधिकार देने से क्यों डरती है..?”
रोहिणी फिर सवाल उठाती हैं कि “हिंदू हृदय सम्राट होने का दम्भ भरते हैं..! बहुसंख्यक हिंदुओं की जनगणना से क्यों डरते हैं..? जब हिंदू मुस्लिम की जनगणना बड़े शान से वो करते हैं..! बहुसंख्यक हिंदुओं को उनकी आबादी बताने से ये क्यों डरते हैं..?” बहरहाल ट्वीटर पर विगत दो दिनों से ये सभी हैशटैग जोर-शोर से ट्रेंड कर रहे हैं। काफी लोग इस अभियान से जुड़ते जा रहे हैं।
प्रो. दिलीप मंडल समेत कई लोग अभियान से जुड़े
इनके अलावा प्रो. दिलीप मंडल ने भी इस मुद्दे पर लिखा है -“जाति जनगणना के आंकड़े सामने न आने और ओबीसी की संख्या का पता न चलने के कारण केंद्र सरकार उच्च शिक्षा के लिए ओबीसी को सिर्फ 300 स्कॉलरशिप देती है. 80 करोड़ ओबीसी आबादी के हिसाब से ये बहुत कम है।” एक अन्य यूजर गजराज पटेल लिखते हैं – राम मंदिर ट्रस्ट में कितने लोग है ओबीसी के? जवाब है जीरो! आखिर क्यो नही है, चंदा तो खूब वसूला जाता है ओबीसी से उन्हें हिन्दू बनाकर फिर ट्रस्ट में एक भी ओबीसी हिन्दू क्यों नहीं है? जागो ओबीसी जागो!!”
क्या बिहार में पिछड़ों की राजनीति फिर बनाएगी नया सियासी समीकरण?
गौरतलब है कि BPSC की ओर से हाल ही में जारी रिजल्ट में सामान्य वर्ग का कटऑफ मार्क्स 535 रखा गया जबकि आरक्षित कोटा होने के बावजूद OBC का रिजल्ट भी 535 अंक पर ही हुआ। इसमें पिछड़े वर्गों की हुई हकमारी को राजनीतिक मुद्दा बनाने की पुरजोर कोशिश इन नेताओं ने की है। इसके साथ ही अब सियासी हलकों में यह भी चर्चा छिड़ गयी है कि क्या पिछड़े वर्ग की यह राजनीति राज्य में नए सियासी समीकरण का आधार बनेगी? बहरहाल देखना होगा कि #जनगणना_में_OBC_कालम_लागू_करो तथा #हल्ला_बोल_दरवाज़ा_खोल, #OpenTheGates से कितने लोग जुड़ पाते हैं!