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नगर निगम की सत्ता को लेकर अभी से बिछने लगी राजनीतिक बिसात

नवगठित सासाराम नगर निगम के भावी मेयर के चेहरे के तौर पर कई चेहरे सामने आए

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सियासी घराने के लोग बिठाने लगे सियासी समीकरण, राजनीति के चाणक्य भी सक्रिय

रोहतास से अभिषेक कुमार सुमन की रिपोर्ट

Voice4bihar news. सासाराम नगर परिषद को नगर निगम बनाए जाने की अधिसूचना जारी होते ही नगर निगम की सत्ता के लिए राजनीतिक बिसात बिछने लगी है। मेयर पद के लिए सियासी घरानों के लोग इलाके में जनसंपर्क के साथ-साथ जातीय समीकरण का गुणा गणित समझने और समझाने में लगे हैं। साथ ही राजनीतिक चाणक्य की शरण में दरबार लगाना शुरू कर चुके हैं । हालांकि अभी नगर निगम चुनाव में काफी वक्त है और आरक्षण रोस्टर भी स्पष्ट नहीं है, फिर भी सामाजिक व राजनीतिक समीकरणों को टटोलने में लोग जुट गए हैं।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार नगर निगम के लिए निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र की जनसंख्या दो लाख तिरसठ हजार पांच सौ उन्यासी थी, जो वर्तमान में दुगनी के करीब पहुंचने की संभावना है। हालांकि नए परिसीमन निर्धारण के बाद बने इस नगर निगम में दो लाख से अधिक मतदाता होने की संभावना राजनीतिक विशेषज्ञ बता रहे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि नवगठित नगर निगम में मेयर पद का ताज किसके सिर सजेगा।

सीता देवी होंगी दलित उम्मीदवार

लोजपा नेता चंद्रशेखर पासवान की पत्नी सीता देवी।

जिला मुख्यालय के युवा राजनेता व अधिवक्ता चंद्रशेखर पासवान की पत्नी सीता देवी मेयर पद के लिए तब उम्मीदवार होंगी, जब मेयर पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होगा। अनुसूचित जाति के लिए मेयर पद आरक्षित होने के बाद सबसे मजबूत दावेदारी सीता देवी की मानी जा रही हैं। सीता देवी के पति अधिवक्ता चंद्रशेखर पासवान शहर के व्यवसायियों और युवा राजनीतिज्ञों सहित सियासी चाणक्यों की चहेते माने जाते हैं। नगर परिषद की सियासी राजनीति में अधिवक्ता चंद्रशेखर पासवान वर्ष 2001 से 2006 तक पार्षद भी रहे हैं।

शशि पांडे की अध्यक्षता में गठित नगर परिषद बोर्ड के गठन में अधिवक्ता चंद्रशेखर पासवान की अहम भूमिका रही थी। तब मोहन महतो नगर परिषद के उपाध्यक्ष बने थे। ऐसे में माना जा रहा है कि 20 साल पूर्व बोर्ड के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले चंद्रशेखर पासवान इस बार अपनी पत्नी सीता देवी को मेयर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले हैं। हालांकि अब तक पासवान हाउस से इस बारे में किसी भी तरह का खुला संदेश नहीं दिया जा सका है, बावजूद इसके जिले की सियासत में पासवान हाउस की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता ।

राम कुमारी होंगी अति पिछड़ा दावेदार

नगर परिषद के बाद नगर निगम बनते ही अति पिछड़ी जाति के नेताओं की गोलबंदी भी शुरू हो चुकी है। पूरे बिहार में अति पिछड़ों की राजनीति के तेजी से हो रहे ध्रुवीकरण के बीच अति पिछड़ों की सियासी भागीदारी को नजरअंदाज करना किसी भी राजनीतिक दल या व्यक्ति के लिए आसान नहीं है। ऐसे में अति पिछड़ी जाति नोनिया से ताल्लुक रखने वाली राम कुमारी देवी के नाम की चर्चा मेयर पद को लेकर होने लगी है। राम कुमारी देवी वर्तमान में सासाराम प्रखंड की निर्विरोध प्रमुख हैं।

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एक कार्यक्रम के दौरान प्रखंड प्रमुख रामकुमारी देवी।

बीच में एक बार अविश्वास प्रस्ताव आने के बावजूद राम कुमारी देवी ने अपनी राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन करते हुए दोबारा निर्विरोध प्रखंड प्रमुख बनीं। इसके लिए सफल सियासी बिसात बिछाकर राजनीतिक कुशलता का प्रमाण दे चुकी हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि मेयर पद अति पिछड़ा के लिए आरक्षित हुआ तो राम कुमारी देवी प्रबल दावेदारों में में होंगी। राम कुमारी देवी के पीछे कई सियासी धुरंधर सहित उद्योगपतियों का हाथ बताया जाता है।

संतोष कुमार की दावेदारी के होंगे बड़े मायने

पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद के पुत्र संतोष कुमार
पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद के पुत्र संतोष कुमार

पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद के पुत्र व भाजपा युवा नेता संतोष कुमार भी मेयर पद के अहम दावेदार माने जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कुशवाहा जाति का राजनीतिक ध्रुवीकरण होने के साथ-साथ भाजपा संगठन का भी संतोष कुमार को लाभ मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि इस बाबत पूछे जाने पर संतोष कुमार ने स्पष्ट कहा कि सीधे तौर पर वोटिंग होने की स्थिति में ही मेयर पद के उम्मीदवार होंगे यदि दलगत चुनाव हुआ तो भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर वे चुनाव में उतरेंगे।

व्यवसायी वर्ग की उम्मीद साबित हो सकते हैं सुरेंद्र अग्रवाल

सासाराम की सियासत में व्यवसायी समाज की भागीदारी को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। पिछले विधानसभा चुनाव में व्यवसायी समाज से ताल्लुक रखने वाले राजेश कुमार गुप्ता ने राजद का दामन थामते हुए विधानसभा सदस्य बनने तक का सफर तय किया है। इसके बाद व्यवसायी समाज की राजनीतिक गोलबंदी के साथ शुरू हो चुकी है। ऐसे में नगर निगम की सियासत में भी व्यवसायी समाज की रणनीतियां कारगर साबित होंगी।

पूर्व में भी शहर के सुप्रसिद्ध व्यवसाय जगदीश अग्रवाल सासाराम नगर परिषद के चेयरमैन रह चुके हैं। जिनके कार्यकाल को स्वर्णिम कार्यकाल के रूप में याद किया जाता है। इतना ही नहीं जगदीश अग्रवाल के पुत्र सुरेंद्र अग्रवाल नगर परिषद के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में सुरेंद्र अग्रवाल की दावेदारी भी सामने आ सकती है। हालांकि अब तक सुरेंद्र अग्रवाल की तरफ से इस दिशा में कोई जानकारी मीडिया को नहीं दी गई है।

आलोक चमड़िया भी ठोंकेंगे ताल

इसी बीच प्रसिद्ध व्यवसायी के रूप में पहचान रखने वाले शहर के प्रबुद्ध समाज सेवी आलोक चमडिया नगर निगम के मेयर पद के चुनावी मैदान में उतरने के सवाल पर बताया कि अगर प्रबुद्ध लोगों की सहमति बनती है तो नगर निगम की सियासत में ताल ठोकने की रणनीति पर विचार कर सकते हैं । सर्व विदित है कि पिछले विधानसभा चुनाव में आलोक चमड़िया और सुरेन्द्र अग्रवाल राजद की उम्मीदवारी के लिए प्रयासरत थे।

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