रोहतास में 458 अनाथ बच्चों को मिल रहा “परवरिश योजना” का लाभ, पालन-पोषण में मिल रही सरकारी मदद
रोहतास जिले के सदर प्रखंड में सर्वाधिक 55 अनाथ अवयस्कों को मिल रहा है लाभ
कोराना संक्रमण या अन्य वजहों से अनाथ हुए बच्चों को प्रतिमाह मिल रहे 1000 रुपये
18 वर्ष की आयु पूरी होने तक लाभार्थियों को मिलता रहेगा परवरिश योजना का अनुदान
अभिषेक कुमार के साथ बजरंगी कुमार सुमन की रिपोर्ट
सासाराम (voice4bihar news)। बिहार में रहने वाले अनाथ, गरीब, बेसहारा व असाध्य रोगों से पीड़ित बच्चों के पालन-पोषण के मकसद से शुरू “परवरिश योजना” राज्य के हजारों बच्चों के लिए सहारा बनकर उभरी है। इसके दायरे में आने वाले अवयस्कों को प्रतिमाह अनुदान के रुप में 1000 रुपये राज्य सरकार मुहैया करा रही है। इस योजना का महत्व तब और बढ़ गया, जब सरकार ने कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को इस योजना के दायरे में लाकर लाभ प्रदान करना शुरू किया। चयनित बच्चों को 18 वर्ष की आयु पूरी होने तक अनुदान मिलेगा।
समाज कल्याण विभाग के बाल संरक्षण योजना अंतर्गत संचालित “परवरिश” योजना रोहतास जिले में अनाथ अवयस्कों के लिए भी लाभकारी सिद्ध हो रहा है। इस योजना के तहत रोहतास जिले में अब तक कुल 458 अनाथ बच्चों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। इसके तहत बच्चों को 1000 रुपये प्रतिमाह दिये जा रहे हैं। वैसे तो यह योजना कोरोना संक्रमण काल के पहले से संचालित है, लेकिन कोरोना के कारण बिहार में बड़ी संख्या में जान गंवा चुके लोगों के अवयस्क बच्चों को भी इसका लाभ मिलने लगा है।
सासाराम प्रखंड में सर्वाधिक 55 बच्चों को मिल रहा लाभ
जिला बाल संरक्षण के तहत परवरिश योजना का लाभ सासाराम प्रखंड में सर्वाधिक 55 अनाथ बच्चों को मिल रहा है। यदि जिले के सभी प्रखंडों की बात करें तो अकोढ़ीगोला में 27, डिहरी (ग्रामीण) में 22, डेहरी (नगर) में 10, नौहट्टा में 15, तिलौथू में 14, रोहतास में 12, सासाराम में 55, नोखा में 42, करगहर में 21, कोचस में 20, शिवसागर में 19, चेनारी में 18, संझौली में 39, काराकाट में 26, बिक्रमगंज में 25, नासरीगंज में 22, दिनारा दिनारा में 20, दावथ में 18, राजपूर में 17 अनाथ बच्चों को इस योजना के तहत लाभ पहुंचाया जा रहा है। 18 वर्ष की आयु पूरी होने तक इन्हें प्रतिमाह 1000 रुपये दिये जाएंगे।
“परवरिश” के लिए आवेदन करने का यह है नियम
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इस योजना का लाभ लेने के लिए निशुल्क रूप से स्थानीय आंगनबाड़ी केंद्रों के अलावे बाल विकास परियोजना (सीडीपीओ) कार्यालय या जिला बाल संरक्षण इकाई कार्यालय से ली जा सकती है। आवेदन के साथ बीपीएल सूची का प्रमाण पत्र और जन्म प्रमाण पत्र आंगनवाड़ी सेविका के पास जमा करना होगा। सेविका आवेदन की जांच करके सीडीपीओ कार्यालय में जमा करेंगी, जहां से एसडीएम (अनुमंडल पदाधिकारी) के पास भेजा जाएगा और अंतिम रूप से सहायता राशि के लिए जिला बाल संरक्षण इकाई कार्यालय से नाम सूची में शामिल किया जाएगा।
परवरिश योजना का रोहतास जिले में मिल रहा बेहतर परिणाम
जिला बाल संरक्षण इकाई रोहतास के सहायक निदेशक के अनुसार परवरिश योजना रोहतास जिले में बेहतर परिणाम मिल रहा हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना में रोहतास जिले ने 1 से 5 के बीच अपना स्थान बनाया है। सहायक निदेशक ने जानकारी दी है कि परवरिश योजना के तहत जिले में कुल 458 बच्चों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसके लिए बच्चों के अभिभावक के साथ संयुक्त खाता खोलना होगा। उसी खाते में सहायता राशि प्रतिमाह मिलती रहेगी। सरकार के निर्देश पर समाज कल्याण विभाग के बाल विकास परियोजना कार्यालय के माध्यम से परवरिश योजना चल रही है।
आंगनबाड़ी सेविकाएं अपने पोषक क्षेत्र से ऐसे बच्चों का कर रहीं चयन
उन्होंने कहा कि इसके प्रचार प्रसार के लिए जिले के सभी बाल विकास परियोजना कार्यालय के साथ-साथ आंगनबाड़ी में होर्डिंग के माध्यम से जानकारी दी जा रही है। साथ हीं आंगनबाड़ी सेविका अपने क्षेत्र से जानकारी इकट्ठा कर बाल विकास परियोजना पदाधिकारी कार्यालय में जमा करेंगी, जहाँ से आगे की प्रकिया पूरी की जाएगी। निदेशक ने इस योजना को प्रचारित प्रसारित कर अधिकाधिक अनाथ अयस्कों को योजना के तहत आच्छादित करने की दिशा में सामुदायिक प्रयास को योजना की सफलता का मूल सूत्र बताया है।
किसे मिलेगा इस योजना का लाभ!
परवरिश योजना के तहत लाभ पाने के लिए सरकार ने कुछ शर्तें तय कर रखी है। इसके तहत पहली शर्त यह है कि आर्थिक रूप से विपन्न परिवार, जिनका नाम BPL सूची में दर्ज हो, साथ ही जिनकी वार्षिक आमदनी 60 हजार रुपये से कम हो… इस योजना का लाभ ले पाएंगे।
दूसरी शर्त यह है कि कोरोना संक्रमण अथवा किसी अन्य वजह से अनाथ या बेसहारा बच्चे जो अपने किसी निकटतम संबंधी या नाते रिश्तेदार के साथ रह रहे हैं, इस योजना के पात्र होंगे। इसके अलावा HIV पॉजिटिव, एड्स व कुष्ठ रोग से पीड़ित अवयस्क बच्चों को इसका लाभ मिलेगा। जिन बच्चों के माता-पिता HIV पॉजिटिव, एड्स व कुष्ठ रोग के कारण 40 प्रतिशत से अधिक विकलांग हो चुके हैं, उन्हें भी परवरिश योजना के दायरे में रखा गया है।