मासूम की पुकार पर ‘कोरोना’ से भिड़ गयी मां की ममता
पांच माह के बच्चे के साथ मां भी खुद आइसोलेशन वार्ड में हुई भर्ती
दुधमुंहे बच्चे की खातिर मां ने खुद जोखिम में डाल दी अपनी जान
दरभंगा (voice4bihar news)। देश भर में फैल रहे कोरोना संक्रमण के खौफ ने जहां अपनों से अपनों की दूरी बढ़ा दी है, वहीं एक मासूम की पुकार के आगे विवश मां की ममता ने खुद को कोरोना से जंग में झोंक दिया। वात्सल्य की ताकत लेकर कोरोना से भिड़ने चली इस मां की जिद के आगे कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराने वाले डॉक्टरों ने भी मासूम के पास जाने की इजाजत दे दी। यह पूरा वाक्या दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल यानि डीएमसीएच में बृहस्पतिवार को देखने को मिला।
दरअसल डीएमसीएच के कोरोना आइसोलेशन वार्ड में तीन दिनों से एक पांच माह का कोरोना संक्रमित बच्चा भर्ती है। कोरोना जांच में बच्चे के मां व पिता कोरोना निगेटिव पाये गए थे जबकि दुधमुंहा बच्चा कोरोना पॉजिटिव मिला। दो दिन पहले आई जांच रिपोर्ट के बाद तत्काल बच्चे को कोरोना आइसोलेशन वार्ड में अकेला भर्ती कर लिया गया। लेकिन, तीसरे दिन मां की ममता ने मां को बच्चे तक खींच ही लाया। कोरोना मरीजों से भरे वार्ड में बिना सुरक्षा किट पहने पहुंची और नौनिहाल को स्तनपान कराया।
कोरोना के खौफ पर भारी पड़ी मां की ममता की पुकार
अस्पताल सूत्रों ने बताया कि कोरोना के कारण हो रही तकलीफ से ज्यादा अपनी मां से बिछड़ने के कारण मासूम का रो-रो कर बुरा हाल था। बुधवार की रात कोरोना आइसोलेशन वार्ड में बच्चे के लगातार रोने की आवाज सुनाई दी। मां की ममता ऐसी कि बच्चे की यह हालत देखी नहीं गई। उसने अपने बच्चे के पास जाने की जिद डॉक्टरों से की। कोरोना प्रोटोकॉल के कारण उसे ऐसा करने से रोक दिया गया, लेकिन महिला किसी भी कीमत पर अपने बच्चे के पास जाने की जिद पर अड़ गयी। लिहाजा अपनी जान को जोखिम में डालकर खुद भी कोरोना आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हो गई है।
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नर्स से लेकर चिकित्सक तक मां को बच्चे को होम क्वारंटाइन करने के लिए दे रहे सलाह
एक तरफ महिला अब बच्चे के साथ खुद भी कोरोना आइसोलेशन वार्ड में जा पहुंची तो दूसरी तरफ आइसोलेशन वार्ड में नियुक्त नर्स व चिकित्सक बच्चे की मां को बच्चे को होम क्वारंटाइन करने की सलाह देने लगे। लेकिन, कोरोना संक्रमित बच्चे की मां की ममता इस बात की गवाही नहीं दे रही है।
पूछने पर बच्चे की मां ने बताया कि मैं बच्चे को लेकर घर नहीं जाऊंगी, अगर मैं अपने बेटे को लेकर घर चली जाऊंगा, तो उसका इलाज कौन करेगा। डीएमसीएच से मेरा घर काफी दूर है। यहां से एक भी डॉक्टर इलाज करने नहीं जाएंगे। इसलिए जबतक बेटे कोरोना से ठीक नहीं हो जाता है, तबतक मैं बच्चे के साथ कोरोना आइसोलेशन वार्ड में ही रहूंगी। बच्चे के ठीक होने के बाद ही मैं अपने बेटे को लेकर घर जाऊंगी।
बेटा ही नहीं रहा तो मेरे जिंदा रहने का क्या फायदा?
आगे उस महिला ने कहा कि बेटा ही नहीं रहा तो मेरे जिंदा रहने का क्या फायदा। इसलिए मैं अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चे के साथ आइसोलेशन वार्ड में आ गई हूं। उन्होंने बताया कि दो दिनों से बेटा मुझ से दूर था, तो मैं चैन की सांस नहीं ले पा रही थी। अब बेटे को नजर के सामने देखकर काफी खुश हूं। यहां जो मरीज हैं वे बोल पाते हैं। उन्हें किसी चीज की जरूरत होती है तो वे बोलते हैं। मेरा बच्चा कुछ कहने लायक भी नहीं है। अब पास में मैं रहती हूं तो बेटा कम रो रहा है। मां ने बताया कि नर्स व चिकित्सक बच्चे की काफी ख्याल रख रहे हैं। मैं यहां की व्यवस्था से काफी खुश हूं।