BJP कोटे से मंत्री बनने के लिए पैसे देने पड़ते हैं !
भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के आरोपों से गरमायी BJP की अंदरूनी सियासत
पटना (voice4bihar)। क्या भाजपा (BJP) कोटे से मंत्री बनने के लिए पैसे देने पड़ते हैं। आज यह सवाल हम इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने यह आरोप भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल पर लगाया है। हालांकि इस आरोप को लेकर अब तक जायसवाल या उनकी पार्टी भाजपा की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। पर, सिद्धांत की राजनीति करने के भाजपा के दावे की कलई खोल दी है। चुंकि ज्ञानू भाजपा के विधायक हैं इसलिए उनकी कही बात का महत्व और बढ़ जाता है।
यहां हम बता दें कि तीन दिन पहले नौ फरवरी को जब नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तब ज्ञानू ने आरोप लगाया था कि भाजपा को वोट अगड़ों का चाहिए पर सत्ता में भागीदारी नहीं देना चाहती है। उस वक्त उन्होंने पार्टी के प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव पर भी आरोप लगाये और उनकी शिकायत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से करने की बात कही। इस आरोप के दो दिन बाद ही उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल पर यह आरोप लगाकर सनसनी फैला दी कि वे मंत्री बनाने के लिए पैसे लेते हैं।
अब तक भाजपा में पद पाने के लिए संघ से गहरे रिश्ते होना और नागपुर तक पहुंच जरूरी माना जाता था। पर यह पहली बार है कि प्रदेश अध्यक्ष पर इसके लिए पैसे लेने का आरोप किसी ने सार्वजनिक रूप से लगाया हो। बिहार के लोगों को याद होगा कि विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के पिछड़ने के बाद कांग्रेस नेताओं ने पैसे लेकर टिकट बांटने का आरोप अपनी ही पार्टी के नेताओं पर लगाया। यहां तक कि कई नेताओं ने पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ इस आरोप में धरना-प्रदर्शन भी किया।
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राजद की बात करें तो उसके एक नेता शक्ति मलिक ने तेजस्वी यादव पर टिकट देने के बदले पैसे की मांग की। भोला पासवान ने इसका एक वीडियो भी जारी किया और कहा कि उन्हें कुछ होता है तो इसके जिम्मेदार तेजस्वी यादव होंगे। बाद में शक्ति मलिक की हत्या हो गयी तो विपक्षी नेताओं ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया। हालांकि बाद में पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट दे दी।
बनियापुर विधानसभा का टिकट भी वीआईपी के कोटे में जाने पर स्थानीय भाजपा नेताओं ने कुछ इसी तरह के आरोप लगाये। बनियापुर से 2015 में भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए मसरख के पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह को प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में श्री सिंह ने लगभग 53000 वोट लाकर लाकर दूसरा स्थान प्राप्त किया। इसके बाद से श्री सिंह भाजपा के हर कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में कड़ी मेहनत की।
तारकेश्वर सिंह के समर्थकों का कहना है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में जब जदयू और भाजपा के बीच टिकट बंटवारे की बात आई तो बनियापुर सीट भाजपा कोटे में आई। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल और तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने तारकेश्वर सिंह को बधाई देकर क्षेत्र में जाने का आदेश दिया। लेकिन एक नाटकीय घटनाक्रम में भाजपा ने यह सीट वीआईपी को दे दी। तारकेश्वर के समर्थकों का कहना है कि स्थानीय सांसद ने प्रदेश नेतृत्व से मिलीभगत कर उनका टिकट कटवा दिया।
बनियापुर विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी के सजायाफ्ता पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के भाई केदारनाथ सिंह आरजेडी के प्रत्याशी थे, जबकि वहां वीआईपी का कोई जनाधार नहीं था। पार्टी ने डमी कैंडिडेट विरेंदर ओझा को प्रत्याशी बनाया। नतीजा हुआ कि तारकेश्वर सिंह भी मैदान में कूदे और सीट राजद के पास चली गयी। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिससे खुद को सिद्धांत वाली कहने वाली पार्टी भटकती हुई दिखी है।